पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९

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इन्द्रवौज-इन्द्रसेनानी धनुषाकार ( Herpes-zoster ) और कटिबन्धाकार | इन्द्रशत्रु (स० पु० ) इन्द्रः शत्रुः यस्य, बहुव्रो० । ( Herpes-iris)। सिवा इसके यह रोग ( Herpes- वृत्रासुर । “इन्द्रोऽस्य शमयिता वा तस्यात् इन्द्रशव :।” (निरुक्त) prepulacis), शिश्नत्वक् और ( Herpes-labialis)| इन्द्रशैल (सं० पु०) इन्द्राभिधः शैलः, शाक-तत्। ओष्ठमें भी उपजता है। सायुमें उपदाह उठना हो | इन्द्रकील-पर्वत।। इन्द्रविडाका प्रधान कारण है। इस रोगमें शरीर इन्द्रश्चेष्ठ (वै० त्रि.) इन्द्रको प्रधानको भांति ग्लानिसे भरा रहता, शिरः दुखता, पार्खमें शूल उठता रखनेवाला। और ईषत् ज्वर चढ़ पाता है। दश-बारह दिनमें इन्द्रसन्धा (सं० स्त्री) इन्ट्रके साथ संसर्ग। ही इन्द्रविद्या आरोग्य हो जाती है। यह दद्रुजातीय इन्द्रसारथि (सं• पु०) इन्द्रस्य सारथिः। १ मातलि, रोग है। इन्द्रका रथचालक। २ वायु, हवा। (ऋक् ४।४५।२) ___ वैद्योंके मतसे पित्तजन्य विसपैकी भांति इन्द्रविड्दा- इन्द्रसावर्णि ( सं० पु०) इन्द्रस्य सावर्णि: । चतुर्दश मनु । को चिकित्सा करना और सकल फुसियोंके पकने पर इन्द्रसुत (सं० पु० ) १ जयन्त । २ अर्जुन । ३ वानर- काकोल्यादि गणोक्त द्रव्यको वृतपाक करके लगाना राज वाली वृक्ष। चाहिये। होमियोपाथिक डाकर युवकके यह रोग | इन्द्रसुरस (सं० पु०) इन्द्रः कुटजः इव सुरसः, उप. होनेपर रसटक्सका और तृपके होनेपर मेजेरियमका कर्मधा। निर्गुण्डी वृक्ष, संभाल । प्रधानतः व्यवहार करते हैं। सामान्य इन्द्रविद्वापर इन्द्रसुरसा (सं० स्त्री०) इन्ट सुरस देखो। सलफर और सिपियाको,उपद्रवरहितपर मारिसको, इन्द्रसुरा (सं० स्त्री० ) इन्द्रस्य प्रात्मनः सुरा इव प्रिया। लिङ्गचर्मके पूय युक्तरोगपर फाइटो और ग्राफाइटीसको, | गोरक्षकर्कटिका, फूट । अत्यन्त पौड़ादायकपर आर्सनिकको और दुर्बल एवं | इन्द्रसुरिष, इन्द,सरस देखो। शूलग्रस्तपर टेलुरियम्को लगाते हैं। इन्द्रसुरिस, इन्द मुरस देखो। इन्द्रवीज (सं० पु०) इन्द्रस्य कुटजस्य वीजम् । इन्द्रसूक्त (सं० लो०) इन्द्र-देवतं सूक्तम्, शाक० तत्। इन्द्रयव, कुड़ा। इन्द्रदैवत मन्व सूता। इसो मन्त्रसे इन्द्रका स्तव इन्द्रवृक्ष (सं० पु०) इन्द्रस्य वृक्षः। १ देवदारु।। करते हैं। इसपर लोग इन्द्रध्वज लगाते हैं इसलिये इसका नाम इन्द्रसूनु (सं० पु०) १ वानरपति बालि। २ अर्जन इन्द्रवृक्ष पड़गया है। २ खेत कुटजवृक्ष वृक्ष। इन्द्रवद्ध (सं० पु.) १ मुश्कवर्जित कुलक्षणाख विशेष, इन्द्रसेन (सं० पु० ) इन्द्रस्य सेनेव महतो सेना यस्य, किसी किस्मका खराब घोड़ा। बहुव्री०। १ परीक्षितके खनाम-प्रसिद्ध पुत्र । २ युधि- इन्द्रद्दा, इन्द्रविडा देखो। ष्ठिरके पुत्र। ३ नलके पुत्र । ४ किसी नागका नाम । इन्द्रवृद्धिक, इन्द्रबद्ध देखो। इन्द्रसेना (सं० स्त्री०) १ इन्द्रसैन्य, इन्द्रको फौज । इन्द्रवैटूर्य (सं० लो०) बहुमूल्य रत्नविशेष, किसी २ मौहल्यको ज्येष्ठ पुत्रवधू और ब्रनको माता। किस्मका कीमती पत्थर। ३ नलको कन्या। इन्द्रव्रत (सं० लो०) इन्द्रस्येव व्रतम् । व्रतविशेष। इन्द्रसेनानी (सं० पु०) सेनां नयति सेनानी विप, इन्द्र जैसे लोकका उपकार करनेके लिये चार मास ६-तत्। कार्तिक । इन्द्र ने कार्तिकका बल-पराक्रम तक जल बरसाते हैं, वैसे ही राजा भी अपनी प्रजाको देख कहा था, 'आप इन्द्रत्व लीजिये। हम आपके सुख देने के लिये धनादि प्रदान किया करते हैं। इसी । आदेशपर चलेंगे। किन्तु इन्होंने उत्तर दिया,- नियमका नाम इन्द्रव्रत है। 'हमें इन्द्रत्व न चाहिये। आप हो उसे अपने हाथमें न्द्रशक्ति (सं० स्त्री०) इन्द्राणी, इन्द्रकी पत्नी। । रखिये। . हम आपको आज्ञानुसार सर्वथा कार्य ।