पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६०

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इन्द्रस्तुत्-इन्द्रासन ५८ करेंगे।' इन्द्रने तब इन्हें सेनापति बननेको कहा।। इन्द्रानुज (सं० पु०) वामनावतारी भगवान् । इन्द्रके इन्होंने उसे मान लिया। (भारत, पादि, १४ प.) बाद अदितिके गर्भ और कश्यपके औरससे वामनने इन्द्रस्तुत् (सं० पु०) इन्द्रः स्तयते यस्मिन, इन्द्र-स्तु- । जन्म लिया था। इसलिये इनका यह नाम पड़ा है। क्विप्। इन्द्रयज्ञ। इस यज्ञमें इन्द्रको आराधना | जन्मविवरण वामन शब्दमें देखो। होती है। इन्द्राभ (सं० पु०) इन्द्रस्यैवाभा यस्य अथवा इन्द्र इन्द्रस्तोम (सं० पु०) इन्द्रस्य स्तोमः स्तुतिः यस्मिन् । इवा-भाति, इन्द्र-बा-भा-क। कुरुवंशीय धृतराष्ट्र के अतिरानाङ्गमूत यागविशेष। राजाका अनुष्ठेय यज्ञ। सप्तम पुत्र । | इन्द्राभा (सं० स्त्री०) कङ्कपक्षिभेद,किसो किस्म का बगला। इन्द्रस्वरस (सं० पु०) वृष्टिजल, बारिशका पानी।। इन्द्रायन (हिं. पु.) इन्द्र वारुणी देखो। इन्द्र खत (वे. त्रि.) इन्द्रको समता करनेवाला, इन्द्रायुध (सं० क्लो०) इन्द्रस्यायुधमिव, ६-तत्। इन्द्र-जैसा। १ इन्द्रका अस्त्र वज। २ रामधनुः। इसकी उत्पत्तिका इन्द्रहव (वै० पु०) इन्द्रका आह्वान। विवरण इन्द, शब्दमें देखो। अाकाशमें रामधनुष देखकर इन्द्र हु (सं० स्त्री०) इन्द्रः इयतेऽनया, इन्द्र-ह्वे-क्विप | वह किसीको न दिखाना चाहिये,-"न दिवोन्द्रायुध' दृष्टा सम्पसारणम्, ६-तत्। इन्द्रको आराधनाका मन्त्र। कस्यचिद्दर्शयेत् बुधः।" (मनु) किन्तु किसी-किसीके मतान- इन्द्रा (सं० स्त्री०) १ इन्द्रकी पत्नी शचोदेवी।। सार पर्वतपर खड़े होकर देखनेसे दिखा देने में कोई २ फणिज्मक वृक्ष। ३ इन्द्रवारुणी। दोष नहीं लगता,-'कैचित्त पर्वतादिस्थस्य दर्शने न दोषः।" इन्द्राग्निदेवता (सं० स्त्री०) अनुराधा नक्षत्र। ( मेधातिथि) ३ वचकमणि, होरा। ४ स्थावर विषान्त- इन्द्राग्निधम (स' पु०) इन्द्राग्नेः मेघानलस्य धम- गत कन्द विष । ५ कान्यकुञ्जका एक पराक्रान्त नृपति। इव, उप०६-तत्। १हिम, बरफ। २ अग्निविशेष। कान्यकुञ्ज देखो। यह अग्नि प्रति वर्ष वैशाख और ज्येष्ठ मासमें प्रायः इन्द्रायुधशिखिन् (सं० पु.) किसी नागका नाम । पृथिवीपर गिरती है। इससे महिष, गो, वृक्ष तथा| इन्द्रायुधा (सं. स्त्री०) इन्द्रायुधवत् ऊर्धराज सविष गह श्रादि जल जाते हैं। जलायुका, किसी किस्मको ज़हरीलो जोंक। इसको इन्द्राणिका (सं० स्त्री०) १ निगुण्डोवृक्ष, संभाल । पीठ इन्द्रधनुष-जैसो चमकती है। २ नीलसिन्दुवार, काला संभाल । इन्द्रारि (सं० पु.) असुर, राक्षस । सर्वदा ही असर इन्द्राणिकापत्र (सं० लो०) निगुण्डीपत्र, संभालका| इन्दके यज्ञमें विघ्न डाला करते हैं। पत्ता। इन्द्रार्घपादप (सं० पु०) क्रमुकवृक्ष, सुपारोका पेड़। इन्द्राणी (सं. स्त्री०) इन्द्रस्य पत्नी, डोष् । आणुक् च ।। इन्द्रालिश (सं० पु.) इन्दं आलिशति, इन्द-भा-लिश- पा ४।१४। १ इन्द्रको स्त्री शची। इनके परम त। इन्दगोप कोट, एक कोड़ा। ऐश्वर्य है। २ दुर्गाशक्ति। देवदानव इनके अधीन इन्द्रावरज, इन्द्रानुज देखो। रहते हैं। ये सकलको मङ्गलदात्री हैं। “ऐश्वर्य परमं | इन्द्रावसान (संपु) इन्दस्यावसान: यत्र बहुव्री । यस्याः वश व सुरासुराः। इदि परमैश्वयं च इन्दाणो तेन सा शिवा।" | मरुभूमि, रेतीलो ज़मोन् । (.देवीपुराण ) ३ स्थलैला, बड़ी इलायची। ४ सूक्ष्म ला, इन्द्राशन (सं• पु०) १ सिद्धि, भांग । २ गुञ्जा, घुघचौ । छोटी इलायची। ५ स्त्रीन्द्रिय । ६ सिन्धुवार, संभालू । इन्द्राशनक, इन्द्राशन देखो। ७ इन्द्रायन। इन्द्रासन (सं०-पु०-क्लो०) इन्द आत्मा अस्यते क्षिप्यते इन्द्रादृश (सं० पु०) इन्द्रस्यैवादर्शनमस्य, इन्द्र-प्रा येन, इन्द्र-अस करणे लुपट । १ इन्द्र का सिंहासन । दृश-ढक, ६-तत्। इन्द्रगोप कोट । २ राजाका सिंहासन। ३ पञ्चमात्रिक प्रस्तावविशेष ।