पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९०

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कंधनौ-कंपू ५८ के धनी (हिं. स्त्री०) किहिणी, कमरका एक बन्द। रानी एलिजयेथने इसे भारतवर्षमें जा व्यापार गहना। धनी बच्चोंको अधिक पहनायी जाती करनेको आना दी थी। कंपनीने प्रथम भारतवर्षमै है। इसमें घुघरू लगे रहते हैं। विशाल भवन बनाये। फिर उसने कितनो ही भूमि कंधा (हिं० पु०) स्कन्ध, शाना, मोढा। क्रय की। पन्तको कंपनीने कई प्रान्तोंपर अधिकार कधार (हिं. पु०) १ अफगानस्थानका एक प्रदेश किया था। भारतमें इसौने अंगरेजो राज्यको जड । २ अफगानस्थानका एक नगर । कन्दाहार देखो। ३ कर्ण- जमायी है। प्रामिसरी नोटको 'कंपनी कागज कहते धार, मलाह। हैं। ३ सैन्यविशेष, एक फौज। इसमें कपतानके कधारी (हि. वि.) १ गान्धार टेशसम्बन्धीय, नीचे ६०से १०० तक सिपाही रहते हैं। कंधारमे ताल्लक रखनेवाला। २ गान्धार देशका कंपा (हिं० पु.) लासेदार बांसको पतची खपाच या अधिवासी, कंधारका रहनेवाला। (पु०) ३ कन्वारका । नीमका सोका। इससे पची पकड़ते हैं। किसी पेड- घोड़ा। ४ कर्णधारी, मांझी। ..पर पचियोंके खानेकी कोई चीज रख चारो भोर कंप कंधावर (हिं स्त्री०) वृषभक स्कन्धपर पडने- लगाते हैं। जैसे ही पच्ची खानको पाता. वैसे ही वाला जयेका भाग। २ चद्दर, कंधेका पट्ठा। यह । उसके परमें यह चिपट जाता है। फिर पक्षी नीचे विवाहमें पहनी जाती है। वरको भली भांति वस्त्र • गिर पड़ता और उड़ नहीं सकता। २ बांसको एक पहना ऊपरसे एक दुपट्टा डाल देते हैं। इसका एक लंबो छड। इसके भी सिरेपर लासा लगा रहता है। किनारा बायें कौंधेपर रहता और दूसरा किनारा बहेलिये पक्षोको बैठा देख धोकैसे परमें इसे कुवा भी पौधेसे घूम और दानी बग़लके नीचे जाकर बायें देते हैं। फिर पक्षी या तो छड़में ही चिपटा रहता ही कधेपर पहुंचता है। यही दुपट्टा कौंधावर कहाता या परमें लासा लग जानेसे नीचे गिर पडता है। है। ३ ताशको रस्सी। इसीको गले में डाल ताशा कंपाई, कपक पौ देखो। छातीपर लटकाया और बजाया जाता है। कपाना (हिं.क्रि.)१ हिलाना, डोलना, इधर उधर कधियाना (हिं.क्रि.) कधा देना, कंधेपर रखना। चलाना। २ भयभीत करना, डर देखाना। क'धेला (हिं पु०) स्त्रियोंके क'धेपर रहनेवाला । कपास (० स्त्री०=Compass ) १दिङ निर्णय- साडीका हिस्सा। यन्त्र, कुतुबनुमा। एक छोटी डब्बोमें चुंबकको सई कंधेली (हिं. स्त्री०) पर्याण विशेष, किमी किस्मका लगी रहती है। समतलपर रखने से सूई का मुंह पालान या खोगीर। गाड़ोमें जोतनके ममय यह उत्तरको पड़ता है। इससे लेग उत्तर दिक पहचान घोडेके गले में डाली जाती है। कंधली अण्डाकार लेते हैं। फिर दूसरी दिशावोंका पता लगने में कोई मेखला-जैसी होती है। नीचे एक मुलायम और कठिनता नहीं पाती। कंपाससे समुद्रके नाविकों गुलगुली गद्दी रहती है। इससे घोड़े का वधा नहीं | और स्थलके मापकों तथा देशालेख्योंको बड़ा लाभ लगता। पहुंचता है। परकार। ३ राइटैंगल। इससे कंधया, कन्हैया देखो। पैमायश करने में रेखा लगाते समय समकोण ठहराया कंपकंपी (हिं. स्त्री.) कम्प, थरथराहट डोलाव। जाता है। कंपना (हिं. क्रि.) कम्पित होना, यरथगना, कपिल (हिं० पु.) नगरविशेष, एक शहर। हिलना-डलना। द्रौपदीका स्वयम्बर इसी नगरमें हुआ था। . कंपनी (० स्त्री०= Company) १ व्यापारियोंका कम्पिन और काम्पित्य देखो। दस, सौदागरोंका गिरोह। २ ईष्ट इण्डिया कंपनी, कंपू (हिं० पु.) १ सेनावास, छावनो। २ शिविर, १६....को इलेण्डमें बना हुमा व्यापारियोमा एक ! डेरा। कंपू वनवागन कदम्ब कपवाग खरे।' (पद्माकर) २ युक्त- Tol. III. 148