पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९१

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कंपोज—कंस

प्रदेशका एक नगर । कानपुर देखो। यह शब्द अंग- मूलका प्रत्येक द्रव्य ६ पल ३ तोला १॥ मासे ५१२ रेजीके कैम्प ( Camp)का अपभ्रश है। पल जल में डाल पकाये और १२८ पल शेष रहनेसे कंपोज (अं० पु०-Compose) अक्षरोंका जोड़, उतारे। फिर १०० पल गुड़ डाल अवलेह बना ले। इरफोका जमाव। मुद्रायन्त्र में अक्षरोंको यथास्थान अवलेहमें शुण्डोचर्ण ८ तोला, मरिचचूर्ण ८ तोला, रखना कपोज कहाता है। पिप्पलोचूर्ण ८ ताला, यवक्षार ८ ताला, गुड़त्वक कंपोजिंग (अं० पु० = Composing ) १ पुस्तकादि २ तोला, तेजपत्र २ तोला और एलाचर्ण २ तोला छापनेमें धातुके अक्षर यथास्थान उठा-उठाकर रखनेका मिला देते हैं। प्रत्यह १क शहरीतकी और पाव काम। २ कंपोज करने को मजदूरो। अक्षर जमानेके तोले उक्त अवलेह सेवन करनेसे शाथ प्रति विविध चौखटेको 'क'पोजिंग फेम', अधर जोड़नेके घरको पौड़ा दब जातो है। 'क'पोजिंग रूल और अक्षर जोड़नेको तख तोको कस (सं० क्लो. पु.) काम्यते कामयति वा अनेन 'क पोजिंग ष्टिक' कहते हैं। . पातुम, कम्-स। वह वदिहनिकमिकषिभ्य: सः। उप शहर । क पोजिटर (अं० पु. =Compositor ) अक्षर मिलाने १ मद्यादि पान करनेका पात्र, शराब बगैरह पौनका या जोड़नेवाला, जो छापनेके लिये हरफोंको सिल- बरतन। इसका पर्याय पानभाजन, कश और सिलेवार बैठाता हो। कांस्य है। २ धातुद्रव्य, कसमाक्षिक। ३ स्वर्ण कंपोजिटरी (हिं. स्त्री० ) १ क णेजिटरका काम, रौप्यादि-निर्मित पानपात्र, सोने चांदीका गिलास या अक्षरको जोड़ाई। कटोरा। ४ परिमाण विशेष, आढ़क, पाठ सेरको कबर (हिं.) कम्बल देखो। तौल । ५ कांस्यधातु, कांसा। ७ भाग ताम्र और कीय, कय्य देखो। २ भाग वङ्ग मिलानेसे कांसा बनता है। पर्याय कंयु, कय्य देखो। कांस्य, कंशास्थि और ताम्राध है। चीन और भारत- कीय (संत्रि.) के मुखमस्यास्ति कम्-यस् । वर्षमें कांसेके बरतन चलते हैं। बंगाल के खगड़ के 'म्या वभयुस्ति तुत यसः । पा रा१३८ । मुखी, शाद, खश। प्रान्तमें बननेवाले कांसे के बरतन चाँदीको तरह चम- कंय्य, कय्य देखो। कते हैं। इस धातुका आपेक्षिक गुरुत्व ८°४३२ कंवल (हिं०) कमल देखो। है। कांसे की परीक्षा करनेसे निम्नलिखित धातु कवल-ककड़ी (हिं० स्त्री) कमलकन्द, कमलको | निकलते हैं- • जड़। तांबा ४०°8 भाग। कवलगट्टा (हिं. पु०) कमलका वौज। कितने भी जस्ता २५°४ भाग। लोग कमलगट्टे का हलुवा. बनाकर खाते हैं। रूपाजस्ता ... ... ३१.६ भाग। । कंवलबाव (हिं.) कमलवायु देखो। लौह २.६ भाग। कवासा (हिं० पु.) दुहिताके पुत्रका पुत्र, लड़कीके विलायती लोग इसे एक प्रकारका जर्मनसिलवर- । लड़ केका लड़का। । जैसा (German Silver ) समझते हैं। कंवूल (सं• लो०) नौलकण्ठोक्त वर्षलग्न-कालीन ६ गोलाकार यन्नपात्र विशेष । ७ असुरविशेष, अष्टम ग्टहयोग। अरबीमें इसे 'कबूल' कहते हैं। एक राक्षस। यह मथुराराज उग्रसेनके पुत्र और कश (सं० पु. लो०) मद्यादि पानपात्र, शराब कृष्णाके मातुल रहे। हरिवंशमें कसको उत्पत्ति वगैरह पानेका बरतन। इस प्रकार लिखी है- कशहरीतको (सं० स्त्री०) शोथ रोगका एक औषध किसी समय ऋतसाता उग्रसेन-पलो मुयामुन सजनकी एक दवा। हरीसको १०० पल एवं दा- नामक पर्वतका दर्शन करने गयो थौं। वहां