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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९७

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१८६ ककोरा-कक्ष मकान् बनते रहे। किन्तु आजकल मोटी ईटके। इसका संस्कृत पर्याय कोलक, कोषफन, कृतफल, . सामने इसका व्यवहार बिन्नकुल उठ गया है। कटकफल हेथ, स्थ लमरिच, ककोलक, माधवाचित, ककोरा-युक्त प्रदेशके बदाजं ज़िलेका एक ग्राम। यह काल, कट फल और मरिच है। यह अघु, तोच, बदाऊं नगरमे छह कोस दूर गङ्गानदीके तटपर | उष्ण, तिल, हृद्य, रुचिकारक और मुखद्गम हृद्रोग, भव'स्थत है। प्रति वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमाको | कफ, वायुजन्य रोग तथा नेवरोगनाशकी (भावप्रकाश) महात्सव होता है। कानपुर, दिलो, फरुखाबाद २ गन्धपटो, एक जड़ी-बूटी। और गहलखण्ड के नामा स्थानोंसे पायः लाखों लोग कक्कानक (सं० क्लो०) कक्कोलस्य , कोन पाते हैं। यानी पुण्यसलिला गङ्गामें तर्पण और स्वार्थ कन्। १ गन्धद्रव्यविशेष, शौतनची २ कोल अवगाहनादि कार्य सम्पन्न कर व्यवमायमें लगते या शीतनचौनीका अतर। ३ थालीपिके कस्त- हैं। उमो समय बाजार भी जमता है। भारतवर्षक गत सप्तम वर्ष पर्वन। (विश्वयु० २१४ प.) नाना स्थानोंसे चीजें बिकने आया करती हैं। | कक्क्वा गृहस्थको आवश्यकताके अनुसार सकल ही द्रव्य ( स० पु.) गुणचन्द्रकै गालापत्य । मिल जाते हैं। कक्स (धातु) म्वा० पर० अक० सेट : “कस भासे।" कक्क (धातु) म्वा० पर• प्रक० सेट। “वाहासे।" | (कविकल्पद्रुम ) हास्य करना, हंसना। (कविकल्पद्रुम) हास्य करना, हंसना। . .. कक्वट (सं• वि.) कक खतौति. अक्ख अटन् । कक्कट (सं० पु.) कक-पटन। मृगविशेष, अश्वमेध हास्ययुक्त, हंसोड़, हंसनेवाला। २कठिग, कड़ा। यन्नमें यह मुग आवश्यक पाता था। (पु.) ३ खटिका, खड़िया मट्टो ! क्षविशेष, कक्कड़ (हिं.. पु०) किसी किस्मकी बनी हुई सम्बाकू। | पाटका पेड़। तम्बाकूके पत्तेको सेंक चर करते और उसमें पौनेकौ | कक्खटपत्र (सं० पु०) कक्खटानि प्रयान्वितानि तम्बाकू मिला छोटी चिलममें भरते हैं। इसीका पत्राणि यस्य, बहुव्री०। वृक्षविशेष, पेड़। नाम कक्कड़ है। कई लोगोंके बैठकर तम्बाकू पौनेको | ( Corchorus olitorius) इससे पाट या ण उपजता जगहको 'कबाड़खाना', बहुत तम्बाकू पौनेवालेको है। संस्कृत पर्याय पड़, वाजशल, सर और 'ककड़बाज' और पैसा लेकर इका पिलानेवालेको | चिम है। 'कक्कड़ वाला' कहते हैं। कक्वट पत्रक, कक्वटपव देखो। • प्र०) केकय टेश. एक मका या कवटी (सं० स्त्री.) कक्वति प्रकाश वर्षपेन कमोरके अन्तर्गत है। कक्काके अधिवासियों को वर्णान्, कक्ख-अटन्-डोप । खटिका, सइया मट्टी। 'ककरवाने' या 'गकर' कहते हैं। २ दुन्दुभि, नकारा। इसका संस्क त पर्याय खटिका, व लेखा काठनो ३ एक प्रकारके सिख। इन लोगोंमे कच्छ, कडा, और खटी है। खड़िया देखी। कढ़ा, करें और कैस-पांच ककार व्यवहृत हैं। कक्ष (सं० पु०) कषतीति, कष-स। त्यदिहनिक- ४ काका, पौती। प्रायः पिताके लघु भ्राताको 'कक्का' मिकषिभ्यः सः । उण ३।६। १ वाहुमूल, बगल, कांख । कहते हैं। २वण, घास। ३ लता, बैल। ४ शुष्क बण, सूखी कक्कन (मं० पु.) कक-उलच । वकुलवृक्ष, मौल घास। ५ कच्छ, कछार। ६ शुष्कः वण, सूखा सिगैका पेड़। जंगल। ७ पाप, गुनाह। ८वन, 12 । ककल (सं० पु०) ककते प्रकाशते, कक -क्लिप ; १० भित्ति, दीवार। ११ पार्श्व, ओर। १२ प्रकोष्ठ, कोनात म स्यार्यात, कुलच्वलादित्वात् ण ; कक चासौ कमरा, घर। १२ कक्षारोग, कखरवार, १४ कांछ, कोलति, कमेधा । १ गन्धद्रव्यविशेष, शीतलचीनी। लांग। १५ अञ्चल, पौठपर पड़नेशाला दुपट्टेका ठिना