पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/५९८

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कनक-कशोत्या पला। १६ ग्रहगणक भ्रमणका पथ, सितारों के घूमने- लांग। ८ विरोध, झगड़ा। मध्यदेश, दरमियानी को राह। १७ प्रतियोगिता, विरोध, हसद । १८ नौ- जगह। १.राजाका अन्तःपुर, शाही जनानखाना। काका एक अवयव, नावका एक हिस्सा। १८ कमर- ११. अञ्चल, दुपट्टे का पला। १२ रोगविशेष, कांखमें बन्द, फेंटा। २. राजान्तःपुर, शाही जनानखाना। निकलनेवाली गिलटी। सुश्रुतके वचनानुमार वामपाच २१ महिष, भैसा। २२ बहेड़ा। २३ जन्तुगणका और बगुल में वेदनायुक्त जो कृष्णवर्ण स्फोटक निकल शब्द, जानवगेको बोलो। २४ समता, बराबरी। श्राना, वही कक्षा कहलाता है। यह पित्तज रोग है। २५ परिमाणविशेष, रत्तो। २६ भारतोल जाति इसमें पित्तसे उत्पन्न विसपैकी भांति चिकित्सा विशेष। २७ वृहद् हार, फाटक । २८ तुला, तरा करनेका उपदेश दिया गया है। कक्षापर पद्मके जका पन्ना। २८ गोट, किनारी। ३० ग्रह, नक्षत्र। मृणालसे संलग्न कर्दम, गुलच पोर शक्तिको पोस कक्षक (सं० पु०) सर्प विशेष, एक सांप। यह अथवा पहाड़ी मट्ठो में घी डाल प्रलेप चढ़ाना चाहिये। राजा जनमेजयके सर्पयज्ञकालपर दग्ध हुआ था। वटके मूल, मुस्तक, कदलोके मून और पद्मके मृणाल- कक्षतु (सं० पु.) कक्ष इव तन्यते, कच-तन्-ड। की ग्रन्थि पीस तथा शतधौत तके साथ मिला प्रलेप वृक्षविशेष, एक पेड़।। लगानेसे भी उपकार होता है। (चक्रदच) कक्षधर (स. क्ली.) कक्षा धारयति, कक्षा--अच कक्षान्तर (सं० ली.) अन्तःपुर, जनानखाना, भीतरी पृषोदरादित्वात् इस्खः। सुश्रुतोल वक्ष भोर कक्ष- या घराऊ कमरा। देशक मध्यका मर्मस्थान, कंधेका जोड़। यह ममें कक्षापट (सं. पु.) कक्षाकार: पट: वस्त्रम् । कौपीन, विद्ध होनेसे पक्षाघात लगता है। कांछा। कक्षप (सं• पु०) कक्षे जलप्रायदेशे पिवति, कक्ष- कक्षावान् (सं. पु.) कक्षा साम्यमस्यास्तीति, कक्षा. पा-क। कच्छप, कछुवा। मतुप मस्य वः। मुनिविशेष । कबरहा ( स. स्त्री० ) को जलप्राये रोइति, कक्षावक्षक (सं.पु.) कक्षाया अवेक्षकः, तत्। कचराइक। नागरमोथा। यह जलप्राय देशमें हो १ अन्तःपुरपालक, कञ्चको, जनानखानका मुहाफ़िज़ । अधिकांश उत्पन्न होती है। . २ उद्यानपालक, बागबान्। ३ नाया कारक, तमाथा कश्वशाय (स• पु०) कक्षे शुष्कळणे शेते, कच- करनेवाला। ४ कवि, शायर । ५ लम्पट, जिनाकार। शी-ण। कुक्कर, कुत्ता। ६ हाररक्षक, दरबान् । कक्षशायिनी (स• स्त्री०) कक्ष-शो-यो-ङोप । कुतिया। कक्षी (सं० त्रि.) कक्षं पापमस्तास्य; कक्ष-इनि। कचशायु ( स० पु. ) कक्षे शेते, कक्ष-शो-उ। पापी, गुनहगार। कु कर, कुत्ता। कक्षीकत (सं० वि० ) कक्ष-चि-व-त। आयत्तीवत, कक्षसेन (सं० पु.) १ कोई राजा। यह परौ- अधौन, मातहत, दवाया हुया। क्षितके पुत्र और आविक्षतके पौत्र थे । २ कोई ऋषि। कक्षोवान् (सं० पु०) ऋषिविशेषः। इनके पिताका इनके पुत्रका नाम अभिप्रतारी था। . दीर्घतमा और माताका नाम उसिज् था। इन्हें कक्षस्थ ( सं० वि.) पाचपर अवस्थित, पुढेपर बैठा हुआ। कश्यु (सं० पु०) रौद्रावके पुत्र । दश अप्सरावोंके गर्भसे कक्षा (सं• स्त्री.) कक्ष-टाप । १ हस्तीके बन्धनको रुद्रावके दश पुत्र उत्पन्न हुये थे। उनमें घृताचौके रन, हाथी बांधनकी रस्मो। २ चन्द्रहार । ३ प्रकोष्ठ, गर्भसे जो पुत्र उपजा, उसका नाम कक्षेषु पड़ा। कोठरी। ४ भित्ति, दीवार। ५ साम्य, बराबरी। कोस्था (सं० स्त्री.) कक्षात् कच्छभूमितः उत्तिष्ठति, है रथका एक प्रक, गाडीका कोई हिस्सा। काच, कच-उत्-था-क-टाय । भद्रमुस्ता, नागरमोथा । Vol. III. 150