पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६४८

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कठिन-कठिया उष्णवीर्य, दाहकारी, पित्तकारक, अग्निदीपक और । कठिनाई (हि.) कठिनता देखो। कुष्ठ, मूत्रक्वच्छ, रक्तदोष, पाचशूल, कफ तथा वायु कठिनान्त:करण (सं• वि०) निष्ठुर, बेरहम, कड़े नाशक है। तुलसौ शब्दमें विस्त त विवरण देखो। दिलवाला। २ अर्जकवृक्ष, छोटो तुलसौ। कठिनिका (सं• स्त्री० ) कठिन-डीए खार्थे कन्-टाम् कठिन (स० वि०) कठःइनच् । बहुलमन्धवापि । उम् इखश्च । १ कठिनो, खड़िया, छहो। २ खाली, २१८। १ दृढ़, सखू त, कड़ा । इसका संस्कृत पर्याय- हंडी। ... कठर, कक्खट, कर, कठोर, कठोल, जरठ, कर्कर, कठिनी (स. स्त्री०) कठिन-डौष । षिद्ध गोरादिव्यश्च । काठर और कमठायित है। २ निठुर, बेरहम। पा ४१४१। खटिका, खड़िया, छुहो। इसका ३ दुर्बाध, मुश्किलसे समझ पड़नेवाला। ४ तोक्षण, संस्कृत पर्याय-पाकशला, अमिता धातु, कक- - तेज़, पैना। ५ दुःसह, जो मुश्किलसे बरदाश्त हो। खटी, खटो, खड़ी, वर्णचेखिका, धातुपस और __“नितान्तकठिनां रज मम न वेद सा मानसौम् ।” (विक्रमोर्वशी) कठिनिका है। खो देखो। शुद्ध, सहो, जो ग़लत न हो। (पु.)७ निविड़ारस्य, "गुधिगवगवनारम्भे न पतति कठिनौ सम्भ्रमाद्यस्य । झाडौ। (लो०) ८ यवान्य जाजोत्रिकट निम्बादि तेनाम्बा यदि मुतिनो वद वग्या कौदृशौ भवति ।" (हितोपदेश) द्रव्य, अजवायन, जीरा, सोंठ, मिर्च, पोपत्त, चिरायता कठिनीक (सं० पु.) खटिका, खड़िया। वगैरह चोजें । ८ स्थाली, मट्ठोकी हंडी। कठिनोभूत (सं.वि.) अकठिनं कठिनं भूतम्, __ हिंदौके कवियोंने कठिनताके स्थानमें भी इस चि। दृढ़ पड़ जानेवाला, जो सख्ती पकड़ लेता शब्दको व्यवहार किया है। हो। जो वस्तु द्रव होते कठिन पड़ जाता, वही कठिनचित्त (सं.वि.) कठिनं चित्तं वस्त्र, बहुव्रो। कठिनोभूत कहाता है। निदय, बेरहम। कठिनोपल (सं. पु०) कौसुम्भी थालि, किसी कठिनता (सं० स्त्री०) कठिनस्य भावः, कठिन-तल किस्मका अनाज। टाप। १ दृढ़ता, सख तो, कड़ापन। २ निष्ठ रता, | कठिन्यादिपेया (सं० स्त्री०) वैद्यकोक्त पेयविशेष, बेरहमी। ३तीक्षणता, तेज़ी, पेनापन । ४ दुःसहता, एक पक। खडिया ८ तोला, मिसरी ४ तोला, बरदाश्त कर न सकनेको हालत । ५ दुर्बोधता, गोंद ४ तोला, सौंफ २ तोला और दालचीनी २ तोला समझमें आ न सकनेको हालत। ६ भयानकता, एकत्र कुचल किसी मट्टोके बरतनमें १ सेर जलके खौफनाको। . साथ रातको भिगो देना चाहिये। फिर छानकर कठिनताई (हिं.) कठिनता देखो। कुछ देर स्थिर भावसे रखने पर ऊपरी अंश निर्मल कठिनत्व (सं० ली.) कठिनता देखो। पड़ जाता है। इसी खच्छ जलको पौनेसे ग्रहणी, कठिनपृष्ठ (सं० पु०) कठिनं पृष्ठमस्य, बहुब्रो। अमाशय और रक्तपिक्त दबता है। पूर्वोक्त ट्रव्य- कच्छप, बाखा, कछुवा। समूहके साथ २ तोला लौंग और २ तोल धनिया कठिनपृष्ठक (सं० पु०) कठिन-पृष्ठ स्वार्थे संज्ञायां भी मिला देनेसे अस्वपित्तके लिये यह पेय उपकारी कन्। कच्छप, संगपुश्त, कछुवा । होता है। फिर कच्चे वेलका चर्ण २ तोला पूर्वोक्त कठिनफल (स'• पु०) कपित्थवृक्ष, कैथेका पेड़। सकल द्रव्योंके साथ डाल देनेसे रक्तातिसारको लाभ । कठिनहृदय, कठिनचित्त देखो। पहुंचता है। कठिना (सं० स्त्रो०) कठिन-टा। १ शर्करा, कठिया (हिं. वि०) १ कठिन, सख्त छिलकेवाला। शेकर, चीनी। २ गुड़ शर्करा, गुड़के नीचे पड़नेवाला (पु०) २ गोधूमभेद, किसी किस्म का गेहूं। इसका दाना। ३ काकोदुम्बरिका, गोबला, कठगूखर। । शल्क रक्तवर्ण एवं स्कूल रहता और तुषका प्राधिका