कड़ीदार-कढ़ोरना ६५१ हिस्सा। ४ धनी। ५पस्थिविशेष, एक हड्डी। पशु- कढ़ाई (हिं. स्त्री०) १ वहिष्करण, काढ़नेका काम, वोंके वक्षःस्थलके अस्थिको 'कड़ों कहते हैं। कठि- निकलाई। २ वहिष्करणका पारिश्रमिक, निकास नेता, मुशकिल, अड़चन । ७ कठोर, सख्त। देनेको उजरत । ३ सूचिकम, सूईका काम, कसीदा। कड़ीदार (हिं० वि०) १ मण्डलविशिष्ट, छल्लेदार, सूचिकमका पारिश्रमिक, कसोदा काढनेकी जिसके कड़ी रहे। (पु०)२किसी किस्मका कसौदा। उजरत। ५ कड़ाही। यह शृङ्खलाके सूत्र-जैसा होता है। कढ़ाना (हिं० क्रि०) वहिर्गत कराना, बाहर कड़ पा (हिं) कट देखो। निकलाना। कड़ पा तेल (हि.) कट तैल देखो। कढ़ाव (हिं. पु.) १ सूचिकर्म, शिल्प, कसौदा, कड़ पाना (हिं.क्रि.) १ कट बोध होना, कड़ वा नक्श। २ कड़ाह। लगना। २ वह होना, गुस्सा आना, नाक-भौं कढ़ावना, कढ़ाना देखो। चढ़ाना। ३ पोड़ा करना, दर्द होना, किरकिराना। कढ़ी (हिं॰ स्त्रो.) व्यञ्चन विशेष, एक सालन । कड़ आहट (हिं०) कट ता देखो। । कड़ाही में घी या तेल खू व कड़कड़ा हौंग, राई पौर कड़ई (हिं. स्त्री०) कट, चरपरी। मृतकके घर- हलदीका चूर्ण छोड़ देते हैं। जब यह चूर्ण ख ब वालोंको सम्बन्धियों द्वारा भेजा जानेवाला भोजन पकता और सोंधा सुगन्ध आने लगता, तब मढे या 'कड़ई-रोटो' या 'कड़ ई-खिचड़ों कहाता है। पतले दहीसे घुला हुआ वेसन कड़ाहामें पड़ता है। कड़ लो (सं० स्त्री०) अस्त्रविशेष, एक हथियार। पीछे नमक-मिच छोड़ इसे धोमो पांच में पकानेसे कड़ डुच्ची (सं० स्त्री०) क्षुद्र कारवेल, छोटा करेला, कढ़ी बन जातो है। प्रायः कढ़ीमें बेसनकी छोटी करेली। छोटो पकौड़ियां भो डाल देते हैं। कढ़ी अत्यन्त कड़ (हिं.) कट देखो। खाद व्यञ्जन है। जिन त्योहारों पर पूरी नहीं बनतो, कड़ेरा (हिं. पु०) खरादकर कोई चीज बनानवाला।। उनमें कढ़ी अवश्य छनती है। यह भातके साथ कड़े लोट (हिं. पु.) व्यायामभेद, मालखम्भको खानसे बहुत अच्छी लगती है। कढ़ी पाचन, दीपन, • एक कसरत । लघुपाक, रुचिजनक और कफ, वायु तथा बद्धकोष्ठ कड़ेलोटन, कड़े लोट देखो। रोगनाशक है। कढ़ोमें पड़नेवालो पकोड़ो फुल्चौड़ी कड़ोड़ा (हिं. पु.) उच्च पदाधिकारी, करोड़ोंका कहाती है। अफसर। कढ़ पा, कदुवा देखो। कड़ा (हिं. वि.) ऋण ले लेकर अपना काम कढ़ वा (हिं० पु.) १ एहीत, लिया हुघा, जो निकाला चलानेवाला, जो कुज के भरोसे रहता हो। गया हो। २ रातका रखा भोजन। यह बच्चोंके कड, कड्दा देखो। लिये बचाकर रख लिया जाता है। ३ ऋण, देना। कढ़ना (हिं.क्रि.) १ वहिर्गत होना, निकलना।। ४ पात्रविशेष, पुरवा, बोरका । २ उदय होना, चढ़ना, देख पड़ना। ३ अग्रसर करना (हिं• क्रि०) यन्त्रविशेष, एक औज़ार । होना, बढ़ना। ४ घनीभूत होना, गढ़ियाना। इससे धातुके पावापर शिल्पकार गोलाकार रेखायें कढनी (हिं० स्त्री०) मन्थनरन्न, नेतो, मथानोको खोंचते हैं। रस्त्री। . कढ़या (हिं. पु.) १निकाल लेनेवाला, जो अलग कढलाना (हिं. क्रि०) हाथ या पैर पकड़ कर कर लेता हो। २ उद्दारकर्ता, उबार लेनेवाला, जो घसीटना, बथेड़ना। बचाता हो। (स्त्रो०) ३ कड़ाही। कढ़बाना, कढ़ाना देखो। कदोरना (हिं.क्रि.) घसौटना, लथेड़ना, कढ़खाना।
पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६५२
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