सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६५५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

६५४ कणाद द्रव्यके साथ उसके परमाणुका सम्बन्ध रहता है शियाने उनका मत प्रकाश किया। उन्होंने अपने जेसे घटके साथ मृत्तिकाका सम्बन्ध इत्यादि। बनाये काव्यदर्शनमें कहा है- प्रभाव चार प्रकारका है-प्रागभाव, ध्वंसाभाव, "Nunc age, quo motu genitalia materiai अन्योन्याभाव और अत्यन्ताभाव। अभाव देखी। । Corpora res varias gignant, genitasque कणादके मसमें अन्धकार कोई स्वतन्त्र पदार्थ resolvant नहीं। तेजके अभावको ही पन्धकार कहते हैं। Et qua vi facere id congantur, quaeve प्रमाण इन्होंने दो हौ प्रकारका माना है-प्रत्यक्ष sit ollis और अनुमान । उपमान अनुमानके अन्तर्भूत है। Reddita mobilitas magnum per inane meandi Expediam." महर्षि कणादने ही सर्वप्रथम परमाणुवाद चलाया (II. 61-64. *) था। इनके कथनानुसार एकमात्र परमाणु सत्वरूप लक्रशियाने स्पष्ट हो स्वीकार किया, कि पर- नित्य पदार्थ है। उसका दसरा कोई कारण नहीं होता। माणु ने इस जगत्को जन्म दिया है। वास्तविक लक्रशियाका द्वितीय अध्याय पढ़नेसे कणादका मत “सदकारणवन्नित्यम् ।" (वैशे • सू० ४।११) हम जो यावतीय जड़पदार्थ प्रत्यक्ष करते, वह बहुत कुछ मिलता है। __ अब देखना चाहिये-किसने सर्वप्रथम परमाणुवाद समुदाय परमाणुके संयोगसे बनते हैं। विशेष चलाया था, महर्षि कणाद या थे सके डेमक्रिटस्ने । विशेष प्रकारके परमाणुवोंमें विशेष नामक एक पदार्थ ___ इस बातके समझने का कोई उपाय नहीं-कणाद रहता है। उसोको शक्तिसे भिव-भिन्न रूप परमाणु किस समयके व्यक्ति रहे । अपना देशीय प्रवाद मानने- भिन्न-जसे देख पड़ते हैं। से यह ५६ हजार वर्ष के लोग हो सकते हैं। फिर कणादके मतमें अदृष्ट कारण विशेष हारा पर- भी भगवगोतामें वैशेषिकका मत रहौत हुआ है। माणावोंका सयोग गंठनेसे इस विश्वसंसारको उतपत्ति सुतरां गोता बननेसे पहले महर्षि कणाद विद्यमान हुयी है। थे। इससे मानना पड़ेगा-डेमक्रिटेससे बहुत पहले इन्होंने जड़पदार्थ का मूलतत्त्व अपने सूत्रके मध्य क्यों सनिवेश किया है। वैशेषिक-उपस्कारमें स्पष्ट कणादका जन्म हुआ। अतएव समझ सकते-महर्षि कणादने ही सर्वान परमाणवाद चलाया था। डेम. हो लिख दिया है- क्रिटम्को जोवनी पढ़नेसे बोध होता-वह संन्यासि- "दृष्ट कारणे सत्यदृष्ट कल्पनानवकाशात् ।" क्योंकि दृष्ट कारण रहते अदृष्ट कारणको कल्पना योंके साथ भारतवर्ष आये थे। सम्भवतः संन्यासियों- के मुखसे कणादका मत सुन अपने ग्रन्यमें उन्होंने घावश्यक नहीं। वैशेषिकको बात लिखी है। वास्तविक महर्षि कणाद अपनी चारो ओर जो देख पाते, उसीके ज्ञानानुशोलनमें प्रवृत्त हो जाते थे।

  • Thus the Great World's eternally renewed ;

जो परमाणु वा जड़तत्त्व कणादने अपने सूत्र में Thus endless atoms are with power endued, प्रचार किया, आजकल भारतवर्ष में विशेष आदर न Successive generations to supply; मिलते भी युरोपीय दार्शनिकोंने उसको यथेष्ट सम्मान Some creatures flourishing, while others die. Like racers, each revolving age, we find, दिया है। ई०से ४४० वर्ष पूर्व ग्रीक देशमें डेम- Retires, and leaves the lamp of life behind. क्रिटस्ने परमाणुवाद चलाया था। उसके पीछे If you suppose that seeds at rest convey, Motion to bodies, wide from truth you stay. एपिक्यु रासने इस मतको सविशेष प्रचार किया। Through the Vast Void as those premordiala robe, . उनका सिद्धान्त बिलकुल कणादसे मिलता है। लुके-].. By foreign force or gravity they move.