पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६५९

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६५८ कण्टकारी राष्ट्रिका, अनाक्रान्ता, भण्टाकी, सिहो, धावनिका, भावप्रकाशके मतसे यह सारक, तिक्त एवं कटरस, कण्टकारिका, कण्टकिनी, दुष्पषिणी, निदिग्धा, | लघु, रक्ष, उष्णवीर्य, पाचक और कास, श्वास, ज्वर, धावनी, क्षुद्रकण्टिका, बहुकण्टा, क्षुद्रफला, कण्टानिका लेमा, वायु, पौनस, पाखं शूल, कृमि तथा हृद्रोग- और चित्रफला है। युक्तप्रदेशमें इसे भटकटैया, नाशक है। रिंगनी, कटेरी या छोटी कटाई कहते हैं। खेत ___कण्टकारो और बृहती दोनों शब्द पर्यायमें आया कण्टकारीका बङ्गाली नाम क्षुद्रा, हिन्दुस्थानो करते हैं। सुश्रुतके मतमें जो जाति क्षुद्र और क्षुद्र कटीला, दक्षिणी दौरलिकाफल, तमौली कन्दनपत्री भण्टाको नामसे प्रसिद्ध रहती, उसोको विहन्मण्डली और तेलङ्गो वकुदकाया या नोलमुल्लकू है। पाश्चात्य वहतो कहती है। बहती धारक, हृदयग्राही, पाचक, वैज्ञानिक नाम Solanum Xanthocarpum है। कटुतिक्तरस, उष्णवौय और कफ, वायु, मुख-विरसता, कण्टकारी वृक्ष। मल, अरुचि, कुष्ठ, ज्वर, खास, शूल, कास एवं है। इसका मूल व्यवहार्य है। उसके प्रभावमें अम्निमान्द्यनाशक है। समस्त अंश ले सकते हैं। माना १ माषा रहती है। यह ओषधि अधिक सकण्टक और विस्तृत होती | ____ कण्टकारीका फल तिक्त, रस एवं पाकमें कषाय, है। भारतवर्ष में पञ्जाब एवं प्रासामसे सिंहल और वीर्य निःसारक, भेदक, तीक्ष्ण, पित्त तथा अग्निवर्धक, मलक्का होप तक कण्टकारी मिलती है। दक्षिण-पूर्व लघु और कफ, वात, कण्ड, काश, भेद, क्वमि एवं एशिया, मलय, अयनवृत्तमें पानेवाली अष्ट्रेलिया और ज्वररोगनाशक होता है। मतान्तरसे उक्त फल, पोलिनेशिया में भी यह पाई जाती है। शीतकालमें तीक्ष्या, लघु, कट, दीपन, रुच और खास, काय. कण्टकारी फलती है। पुष्प रक्तवर्ण लगते हैं। ज्वर तथा कफनाशक है। कण्टकारी श्वेत और नोल भेदसे विविध होती क्षुद्र कण्ट कारोका फल कटु, तिक्त, रेचक, पित्त- है। खेतकण्टकारीको खेता, क्षुद्रा, चन्द्रहासा, कर, मूवकारक और हिक्का, दि, यवत्, श्वास,काश, लक्ष्मणा, क्षेत्रदूतिका, गर्भदा, चन्द्रमा, चन्द्री, चन्द्रपुष्यो, | कफ, कण्ड, वात, क्वमि एवं ज्वरनाशक होता है। और प्रियजरी कहते हैं। यह विशेषतः गर्भप्रद । डाकर विलसनने कण्टकारीको कट और वात- .