कण्टपना-कण्ठ ६६१ कण्ट्रपत्रा, करपवफला देखो। | कण्टारिका ( सं. स्त्री०) १ अग्निदीपनी वृक्ष । २ कण्ट- कण्टपत्रिका (सं. स्त्री०) वार्ताको वृक्ष, भंटेका पौदा। कारी, कटेरो। कण्टपाद (सं० पु.) विकत वृक्ष, बैंचो। कण्टागेल (सं० पु०) कटात गला देखो। कण्डपुङ्खा (सं० स्त्री० ) कण्टकशरपुवा, कंटीली कण्टार्तगला (सं० स्त्री० ) नोलझिण्टी, काली कट- शरफोंका। सरैया। कण्टपुटिका, कटपुडा देखो। कण्टाईलता, कस्टात गला देखो। कण्टफल (सं० पु.) कण्ठं कण्टकान्वितं फलम् कण्टाल (सं० पु०) १ मदनवृक्ष, मैनफलका पौदा। मध्यपदलो। १ देवताड़, बूंधरबेल, सनैया।२ क्षुद्र पनसक्ष, कटहलका पेड़। गोक्षुरक, छोटी गोखरू । ३ पनस, कटहल। ४ धुस्त- कण्टालिका, कटकारी देखी। रक, धतूरा। ५ लताकरत, किसी किस्मका करोंदा। कण्टाली, एकारी देखो। ६ एरण्ड, रेड़। ७ नद्याम। ८ कुसुम्भ, कुसुम। कण्टालु (सं० पु. ) कण्टाय कण्टकाय अलति ब्रह्मदण्डी। बहुव्रीहि समास करनेसे उक्त फलोंके पर्याप्नोति, कण्ट-अल-उण । १ ववूरक वृक्ष, बबूलका पेड़का भी बोध होता है। पेड़। २ वृहतो, कटाई। ३ वंश, बांस । ४ वार्ताको कण्टफला (सं० स्त्री०) कण्डं कण्टकाचित फलं वृक्ष, बैंगनका पौदा। ५ कर्कटीभेद, किसी किस्मकी यस्याः। १ देवदाली लता। २ लघुकारवेल्ली, छोटा ककडी। करेला। ३ ब्रह्मदण्डी वृक्ष। ४ कर्कोटी, काकरोल, कण्टाहय (सं० पु०) कराएं कण्टकं पाहूयते स्पर्धते, गुलककरा। ५ बृहती, कटाई। कण्ट-बा-हे-क। पद्मकन्द, कमलगट्टा।। कण्टल (स० पु.) कण्टः अस्त्यस्य, कण्ट-पलच; ! कण्टिका (सं. स्त्री०) अतिबला, ककैया, ककई। कण्टेन कण्टकेन अति पर्याप्नोति, कण्ट-अल-अच कण्टी (स.पु.) कण्टः कण्टकः अस्यास्ति, कण्ट- .इति वा। वावल वृक्ष, बबूलका पेड़। इसका संस्कृत इनि। १ खेतापामार्ग, सफेद लटजीरा। २ गोक्षुर, पर्याय-वावल, स्वर्णपुष्य और सूक्ष्मपुष्य है। | गोखरू । ३ क्षुद्रगोक्षुर, छोटी गोखुरू। ४ खदिर, खैर। कण्टवल्लगे (सं० स्त्री०) श्रीवल्ली वृक्ष। इसे कोकण- कण्ठ (सं० पु०) कण्ठ। कोष्ठः। उच् ॥१३॥ में बाघे टी कहते हैं। १ गलदेश, ग्रोवाके सम्मुखका भाग, हलक, नरेटा, कण्टवल्ली (सं० स्त्री०) कण्टा कण्टकान्विता वल्ली, टंटवा। सुश्रुतके मतानुसार कण्ठमें चार तरुणास्थि मध्यपदलो। श्रीवल्लोवृक्ष, बाधेटौं। और मण्डला नामक तीन अस्विसन्धि हैं। इसको कण्टवृक्ष (सं० पु.) तेजःफलवृक्ष, कायफलका पेड़। नाडोमें उभय पाच पर 'चार धमनी रहती हैं। कण्टसारका (स. स्त्री०) खेतमिण्टोवृक्ष, सफेद उनमें दोको लोला और दोको मन्या कहते है। कटसरैयेका पेड़। किसी प्रकारसे उक्त धमनी विद्ध होने पर मूकता एवं कण्टाकारी (सं० पु.) १विकात वृक्ष, बैंचौका स्वरविकृति आती और रस-ग्रहणको शक्ति चली पौदा। (स्त्री०) २ पनसवृक्ष, कटहल। जाती है। २ ग्रोवाका समुदाय अंश, गर्दनका सारा कण्टाकुम्भाड़, (सं• पु०) कण्टकलताविशेष, एक हिस्सा। अनेक स्थलमें कण्डशब्द ग्रोवाके समस्त कंटोली बल। अंशका भी द्योतक है। कण्ठव्यतीत ग्रोवाके अन्यान्य कण्टाफल (सं० पु०) कटि भाव अप कण्टा कट- अंशमें ४ कण्डरा, १ कूर्च, अस्थि, ८ अस्थिसन्धि कोपलक्षितं फलं यस्य। १ धुस्तूरवक्ष, धतूरेका पेड़। और ३६ स्नायु हैं। पौवाके उभय पाश्च में पड़नेवाली पनसवच, कटलका पौदा। पनसफल. कारला.शिरातोंका नाम ४शिरावोंका नाम माढका है। इन सिरावोंके विद्य कण्डारवी (सं० स्त्री०) वासा, नौलो नरगन्दी। होनेसे सद्यः मृत्य पाता है। (सुनुव Vol. III. 166 .
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