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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६६९

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कण्ठाग्नि-कण्डन वहिर्गमनोम ख, कण्ठ में उपस्थित, बाहर निकल । १ सिंह, शेर। २ मत्तहस्ती, मतवाला हाथो। जानेवाला, जो गलमें आकर लग गया हो। | ३ कपोत, कबूतर। कण्ठाग्नि ( सं० पु०) कण्ठ कण्ठाभ्यन्तरे अग्निः | कण्ठौरवो (सं० स्त्री० ) कण्ठोरव-डीए । वासक वृक्ष, पाचकाग्निः यस्य, बहुव्री०। पक्षी, चिड़िया। पक्षीका अड़ सेका पेड़। आहार गलाध:करणसे ही परिपाक हो जाता है। कण्ठोल (स० पु०) क्रमेलक, अट। कण्ठाभरण (सं० लो०) कण्ठे धार्य प्राभरणम्, कण्डोला (स. स्त्री०) पान विशेष, मटकी, मथनेका 'मध्यपदलो। १ गलदेशका अलङ्कार, गलेका ज़ वर, बरतन। ना। २ सरस्वतीकण्ठाभरणका संक्षिप्त नाम। कण्ठेकाल (स. पु.) कण्ठ कालः विषपानजो कण्ठार-वर्गभूमिके उत्तरका एक महाग्रामः। दुर्गाने नीलिमा यस्य, अलुक समा०। महादेव । दुर्गासुरका मस्तक काट पादके अङ्गुष्ठसे उसका कण्ठ कण्ठ खरतीर्थ (सं० लो०) तीर्थविशेष, एक पवित्र इसी स्थानपर डाल दिया था। दुर्गासुरका कण्ठ । स्थान। . यहां गिरनेसे ही इस स्थानका नाम कण्ठार पड़ा। कण्ठोक्त (सं० लो०) अपनी साक्षी, ज़ाती शहादत । कलिकालमें यहां भूमिहार और राजपूत जाति रहती कण्य (सं.वि.) कण्ठे भव:, कण्ठ शरीरावयव- है। राजपूतोंसे यवनोंका युद्ध होगा। कण्ठारवासी त्वात् यत्। यतोऽनावः । पा दा१।२१३ । १ गलदेशजात, अपने ग्राममें भाग लगा पलायन करेंगे। हलकसे निकलनेवाला। २ कण्ठोच्चारित, हलक से (भविष्य० ब्रह्मखण्ड ५६३९-४१) बोला जानेवाला। अ, श्रा, क, ख, ग, घ और ह कण्ठाल (स० पु०) कठि-बालच। १ शूरण, जमीं | अक्षर कण्ठसे उच्चारण किया जाता है। ३ कण्ठ- कन्द। २ युद्ध, लड़ाई। ३ नौका, नाव। ४ खन्ता, स्वरके उपकारी, गलेकी आवाज़को फायदा पहुं. खुरपी। ५ उष्ट्र, अंट। ६ गुण, रस्सी। ७ वृक्ष- चानेवाला। विशेष, एक पेड़। "यवकोलकुलत्थानां यूष: कख्योऽनिलापहा।” ( मुश्चत) कण्ठालङ्कार ( पु.) कास, एक घास। . . कण्ठावर्ग (सं० पु.) कण्ठके लिये उपकारी कुछ कंण्ठाला (सं० स्त्री०) कण्ठाल-टाप। १ जाल- औषध, हलकको फायदा पहुंचानेवाली जड़ो- गोणिका, फांसको रस्सो। २ ब्राह्मणयष्टिका । बूटियोंका जखीरा। अनन्तमूल, इक्षुमूल, मधुक, ३ द्रोणिविशेष, मटकी। पिप्पली, द्राक्षा, विदारी, कैटर्य, हंसपादी, बहती कण्ठालु (स. स्त्री०) कण्ठ-पुङ्खा, गलफोंका। और कण्दकारिकाके समुदायको कण्ठयवर्ग कहते हैं। २ त्रिपर्णी नामक कन्दशाक। कण्ठावर्ण (सं० पु०) कण्ाश्चासौ वर्णश्चेति, कण्ठावसक्त (स० वि०) कण्ठसे चिपटा हुआ, जो कर्मधा। कण्ठसे उच्चारण किया जानेवाला वर्ण, गले लगा रहा हो। जो हर्फ हलकसे निकलता हो। कण्डा देखो। कण्ठिका (सं० स्त्री०) कण्ठो मूष्यतया अस्त्यस्याः, कण्ठास्वर (सं० पु०) कण्ठका खर, जो हफ-इल्लत कण्ठ-ठन्-टाप। कण्ठाभरणविशेष, कण्ठो, गलेमें हलकसे निकलता हो। केवल प्रकार और प्राकार पहनेको एकलड़ी छोटी माला। हो कण्ठाखर होता है। कण्ठी (स० स्त्री० ) कण्ठ अल्पार्थे ङोप। १ गलदेश, कण्डक (स• पु० ) कासामयविशेष, खांसोको एक गुल। २ अखकण्ठ-वेष्टनरज्जु, अमाड़ी, घोड़ेके गलेमें | बीमारी। . बंधनेवाली रस्मी। (त्रि.) ३ गलसम्बन्धीय, गलेसे कण्डन (सं० लो०) कडि भावे ल्य ट इदित्वात् मुम् । सरोकार रखनेवाला। (पु०) ४ कलाय, मटर। १.निस्तुषीकरण, छराई, कुटाई। २ तष, भसी, कण्ठोरख (संपु०), कण्ठयां रखो यस्य, बहुव्री०।। अनाजका उतरा हुपा छिलका।