पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६७८

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कधर्मा-कथा ६०० कथइर्मा (सं.वि.) किस प्रकार काय करनेवाला, । कवयितव्य (सं०वि०) कथ-णिच-तव्य । वक्तब्ध, कैसे काम चलानेवाला। कहने लायक, जो कहा जा सकता हो। कथवार (सं• अव्य० ) कथम्-क-णमुल । किसप्रकार, कथरी (सं० स्त्री०) १ कन्यारी, नागफनी। (हिं०)२ वस्त्र. किस तौरसे, कैसे करके। विशेष, एक कपड़ा। कथरी पुराने चिथड़ोंको जोड़ कथञ्चन (सं० अव्य.) कथम्-चन। किसी प्रकार जोड़ बनायो और ओढ़ी या बिछायी जाती है। प्रायः नहीं, किसी तौरसे नहीं। दरिद्र इसे व्यवहार करते हैं। किन्तु कुछ वर्ष पहले कथञ्चित् (सं० अव्य.) १ किञ्चित्, कुछ। २ कौसी भारतम कथरीका बड़ो चास रहो। कथरी बिछाने प्रकार, किसी तौरसे, बमुश्किल । में मुलायम और ठण्डी रहती है। गरमौके दिनों कथन (सं० लो०) कथ भावे ल्य ट्। १ कथा, वाक्य, कथरीपर सोना बहुत अच्छा लगता है। कथा (सं० स्त्री०) कथ-अड-टाए। चितिपूनिकविकुचि- बयान्। (त्रि.) २ करनेवाला, बड़बड़िया, जो चर्चिय। पा शश१५। १ प्रबन्धकी बहु मिथ्या एवं बहुत बात करता हो। अल्पसत्यपूर्ण कल्पना, किस्सा, कहानी। २ तक, कथना (हिं. क्रि०) १ कथन करना, कहना। बहस । “तत्त्वनिर्णयविजवान्यवरखरूपयोगान्धावानुमवधचनसन्दर्भ: २काव्यरचना करना, शेर बनाना। निन्दा निकालना, कथा।" (गौतमत्ति ४१) पदार्थके यथार्थ निश्चय किंवा हिकारत करना। प्रतिपक्षक पराजय प्रयोजक वाक्यका ही नाम कथा कथनी (हिं. स्त्री० ) १ कथन, बातचीत । २ वकवाद, है। न्यायदर्शनके मतमें कथा विविध होती है- बड़बड़ाहट। वाद, जल्प और वितण्डा। नैयायिक उन्हों व्यक्तियों को कथनीय (सं० त्रि.) कथ-अनीयर । तव्यत्तव्यानौयरः। कथाका अधिकारी समझते-जो श्रवणेन्द्रिय प्रतिमें पा १६ । वक्तव्य, बयान् करने या कहने लायक । कोई कोई दोष नहीं रखते, साधारण लोगोंका स्वीकृत २ सम्बन्धक योग्य, जो नाम रखने काबिल हो। वाक्य मानने में तकै उठानेसे डरते, प्रकलहकारो रहते. ३ निन्दनीय, खराब। स्त्रीय वार्तामें साधारणका विश्वास बढ़ानेको युक्ति कथन्ता (सं. स्त्री०) जिज्ञासा, पूछताछ। पादि कहते और यथार्थ निर्णयमें समर्थ पड़ते अथवा कथम्, कथं देखो। विपक्षक पराजयको कामना करते हैं। "कथाधिकारिस्त कथमपि (सं० अव्य.) कथञ्च पपिच, इन्द।। किसी तत्त्वनिर्णयविजयान्चतराभिलाषिणः सर्वजनसिद्धानुभवापलापिनः श्रवचादि- प्रकार, किसी भी तौरसे। २ अति यत्नसे, बड़ी पटव: अकलाकारिणः कचौपथिकव्यापारसमाः।” (गौतमचि १४१) मुश्किल में। ३ पति कष्टस, बडी तकलीफ में। ४ प्रति किसी किसी मतमें वादिप्रतिवादीके पक्ष और गौरवसे, बड़े बारमें। ५ दृढ़रूपसे, पक्के तौरपर। । पतिपक्षका परिग्रह कथा कहाता है। कथम्प्रमाण (सं० वि०.) किस प्रमाणवाला, कौनसी| "वादिप्रतिवादिना पचप्रतिपचपरिग्रहः कया।" (सर्वदर्शनस यह-पचपा० द०) नापका। कथम्भाव (सं० पु०) कथम् भू-घञ्। कैसी स्थिति, ३ वार्ता, बात। ४ वाक्य, जुमला। ५ विवरण, . कौनसी हालत। वयान्, तफसील। ६ धर्मालोचना, मजहबी बयान् । कथम्भत (सं० त्रि.) कथम् भू-त । १ किस रूप ७ उपन्यास विशेष, किसी किस्मका दास्तान्। इसमें वाला, कौनसी सूरत रखनेवाला। २.किसप्रकार पूर्वपीठिका और उत्तरपौठिका रहती है। पूर्व- उत्पन्न हुआ, किस तौरपर पैदा। पीठिका एक कथक कहता है। अनेक श्रोता उसे कथयान (सं० वि०) कथन करनेवासा, कहते हुआ, उत्साह प्रदान करते हैं। कथक वा वक्ता सब कथा जो बोल रहा हो। | कहता है। कथा समाप्त होनेसे उत्तरपीठिका पंडती Vol. III. . 170