पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/६७९

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६७० कथाक्रम-कथासरित्सागर है। इसमें वक्ता और श्रोता दोनों अपनी-अपनी राह कथाप्राण (सपु०) कथया प्राणिति जीवति, कथा- लेते हैं। (अव्य.) ८ कथं, कैसे, कहांसे, क्यों। प्र-अण-अच; कथायां प्राणः जीवनोपाया यस्य इति कथाक्रम (सं० पु०) कथायाः क्रमः प्रसङ्गः, ६-तत्। वा। १ कथक, किस्सागो, कहानी कहकर काम कथाप्रसङ्ग, गुफ्तगूका आगाज। चलानेवाला। २ नाटकरचयिता, वांगको किताब कथाचल (सं० लो०) प्रबन्धकल्पनाका चातुर्य, बनानेवाला। किस्से को चाल। कथाभास ( स० पु.) असत् तकैमूलक वाक्य विशेष, कथादि (स. पु०) ठक् प्रत्ययके लिये पाणिनिका झूठो बहसको एक बात। न्यायमतसे इसे वादी पौर कहा एक शब्दगण। इसमें कथा, विकथा, विश्व प्रतिवादो उठाते हैं। कथा, सङ्कथा, वितण्डा, कुष्ठविद्, जनवाद, जनेवाद, | कथामय (सं० त्रि.) कथा-मयट । कथापूर्ण, किस्म से वृत्तिसग्रह, गुण, गण और पायुर्वेद शब्द पड़ता है। भरा हुआ, जिसमें कहानियां रहें। कथानक (स'• क्लो०) कथयति अन, कथ बाहुलकात् कथामुख (सं० लो०) कथाया भामुखम्, ६-तत् । आनक्। १ गल्प, कहानी। २ कथाविशेष, कोई कथाग्रन्थको प्रस्तावना, कस्म को दोबाचा। कथा- छोटा किस्मा। वेतालपचीसो और सिंहासनबत्तोसी सरित्सागरके दूसरे लम्बकका नाम 'कथामुख' है। आदिको छोटी छोटी कथावोंका नाम कथानक है। कथायोग (सं० पु.) कथायाः योगः, ६-तत् । कथा- कथानिका (सं० स्त्री.) उपन्यासभेद, किसी किस्माको | प्रसङ्ग, गुफ्तगू, बातचीत। . कहानो। यह कथासे बिलकुल मिलती-जुलती है। “पटुत्व सत्यवादित्व कथायोगेन बुध्यते।" (हितोपदेश) केवल प्रधान विषयको अनेक पात्र कहा करते हैं। कथारम्भ सं. पु०) कथायाः प्रारम्भः, ६-तत्। कथानुराग (सं० पु०) ध्यान, तवज्जो, बातचीतमें मन | कथाका प्रारम्भ, किस्म का पागाज, कहानोको कहाई। लगनेको हालत। कथारम्भकाल (सं० पु०) कथाके प्रारम्भ होनेका कथान्त (सं० पु०) बार्ताको समाप्ति, बातचौतका अखौर। समय, जिस वक्त में किस्सा कहना शुरू करें। कथान्तर (सं.लो.) कथाया अन्तरं अवकाशः। कथालाप (सं० पु.) कथायाः पालापः, ६-तत्। १कथावसर, बातचीतका मौका। २.अन्य कथा,.. कथनोपकथन, बातचीत । दूसरी ब त। ३ कलह, झगड़ा। कथावशेष, कथाशेष देखो कथापीठ (सं० पु०) कथायाः पीठमिव, उपमि। कथावार्ता (सं० स्त्री०) कथा च वार्ता च, हन्द । विविध कथाका आधार, किस्मेको जड़। कथासरित्सागरके | कथा, तरह तरहको बात-चीत, किस्सा कहानी। प्रथम लम्बकको 'कथापोठ कहते हैं। कथाविरक्त (संवि०) वार्तालापसे अलग रहने- कथाप्रबन्ध (सं• पु.) कथायाः प्रबन्धः, ६-तत्। वाला, जो बातचौत नापसन्द करता हो। गल्पका उसख, कि स्मेको बन्दिश, बनी हुई कहानी। कथाशेष (सं० त्रि०) कथा मात्र शेषो यस्य, बहुव्री। कथाप्रसङ्ग (सं० पु० ) कथायाः प्रसङ्गः, ६-तत्। १ मृत, मुर्दा, जिसके सिर्फ बात बाकी रहे। (पु.) १ नानाविध कथनोपकथन, तरह-तरह की बातचीत । २ वार्ता, बात। ३ गोष्ठीवचन, गप। कथासंग्रह (सं० पु.) आख्यानोंका समूह, कहा "मिथः कथाप्रसनन विवाद किल चक्रतुः ।" (कथासरित्सागर) नियोंकी लड़ी। . ३ विषवैद्य, जहरको दवा करनेवाला, जो जहर- कथासरित्सागर (स'. पु.) १ कथाको नदियों का मोहरा बेचता हो। (वि.) कथायां प्रसङ्गो यस्य, | समुद्र, कहानियोंके दरयावोंका बहर। २ संस्कृत बहुव्रो०। ४ अविश्वास गल्पकारक, लगातार किस्सा | कथाग्रन्थविशेष, कहानियों को किसी किताबका कहनेवाला, बेवकू.फ। ५ वातुक, पामल, मतवाला।। नाम। सोमदेव भट्ट नामक जनैक कविने काश्मा-.