पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/७३९

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०३८ कन्वजाति नामसे एक पसभ्य जातिका परिचय मिलता है। रहनसे प्रत्येक ग्रामका शासन कार्य सुशृङ्खलासे चलता बोध होता-प्राचीन उड़ियोंने केशकन्वर शब्दसे है। अन्यान्य असभ्यों को भांति यह भी दा-चार 'कन्ध' मात्र रख छोड़ा है। पुराणादिका प्रमाण ग्रामों को मिला एक विभाग बनाते और उसका एक नीचे उहत है-“नोत्तरा प्राविजया मलकशकन्धराः।" नायक ठहराते हैं। कन्ध कहते-दूसो नियमसे हम ____उड़ीसके पार्वत्यप्रदेश में इनका प्रधान वासस्थान | एकसाथ समस्त बौद राज्य शासन करते थे। है। एतद्भिब उड़ीसेके दक्षिणांश महानदीके उत्तर ____ काई ८५ वर्ष पहले अंगरेज कन्धजातिके सम्बन्धमें किनारे ३४०० वर्ग मोल भूमिपर यह देख पड़ते कुछ अधिक जानते न थे। वह केवल इतना ही और पूर्व चिलका हद, पश्चिम बरार प्रदेश, सम्बल- समझते-समुद्रोपकूलके बौद और गुमसर नामक पुरके खंदोर वा कलहण्डो प्रदेश और बस्ते जिले में दोनों हिन्दू राज्योंके पश्चिम यह असभ्य लोग भी यह रहते हैं। रहते हैं। गोदावरी एवं महानदीके मध्यवर्ती अपने देशके मध्य केवल कन्ध हो वास नहीं प्रायः ३०० मोल दो और ५०से १०० मोल प्रस्थ करते। वहां शबर, कोल, डोम, पान और भूभागमें शबर तथा कन्ध वास करते हैं। यह अन्यान्य असभ्य भी रहते हैं। किन्तु वह कन्धोंको देश-वन एवं पर्वतमय होनेसे दुर्गम पड़ता है। हो जाते और नीच श्रेणीके लोग विदेशोय इस देशमें थोडे महीने ही ठहर सकते समझ पड़ते हैं। कन्ध उनसे कोई विशेष सम्बन्ध हैं। १८३५ ई०को गुमसरके राजाने बाकी नहीं रखते। फिर वह अति सामान्य हस्त-शिल्प पर राजख देनेके लिये विद्रोही हो कन्धों का ही जीवन चलाते और अपनी बनायो ट्रव्यसामग्रीके आश्रय लिया था। इसी घटनामें अंगरेज कन्धोंसे विनिमयमें कन्धोंसे शस्यादि पाते हैं। परिचित हुये और लोगों को रख इनके पाचार, भाजकल कन्ध हिन्दुवोंको निम्नश्रेणीमें गिने व्यवहार, नियम, न्याय, धर्म, कर्म एवं देशादिका जाते हैं। इस सम्बनमें अनुसन्धान करना उचित विषय समझ। है-पहले कन्ध कहां थे। इनमें कोई कहता - अपने आवासको मध्यस्थ भूमिमें जो कन्ध रहते, पहले मध्यभारतमें हमारा दल रहता था, जो ताड़ित | वह अधिक दिन एक स्थलपर नहीं ठहरते ; इधर होनेपर पूर्वको ओर उड़ीसेतक भग पाया। फिर | उधर देशके नाना स्थानोंमें घूमा करते हैं। यह दूसरोंके कथनानुसार पहले कन्ध उड़ीसेके दक्षि- न तो गवरनमेण्टको कुछ कर देते पौर न उसके णांशमें हो रहे, विताड़ित होनेपर पश्चिमको बरार किसो कर्मचारीसे कोई संस्रव रखते हैं। किन्तु प्रदेश पर्यन्त हट गये। इन दोनों मन्तव्योंसे समझ अनेक स्थलपर इनमें अर्ध कर्ता-प्रधान और अर्ध- पड़ा-जब उड़ीसे और मध्यभारतमें पायजातिका सामन्त-प्रधान मिश्रित शासनप्रणाली देख पड़ती प्रभुत्व बढ़ा,तब कन्धों का दल विताड़ित हो मध्यप्रदेशमें है। इस श्रेणीके कन्ध अपने जातीय भावके प्रति जाकर बसा। जो हो, किन्तु प्रायः चार पुरुष गुजरे एकान्त अनुरागो होते हैं। बौद प्रदेश को ही इन्होंने अपना प्रधान वासस्थान मान ____ हिन्दू राजावोंसे दूरीभूत किये जानेपर कन्ध तान रखा है। बौद प्रदेश आजकल एक हिन्दू राजाके | श्रेणियों में बंट गये। इनमें जो सर्वापेक्षा दर्जन अधीन है। यह राज्य महानदीके दोनों किनारे प्रायः | पड़ते, वह हिन्दू राज्य के अधीन पति नीच श्रेणौके ३५ मौल विस्तृत है। स्थानीय राजा महानदीका लोगोंकी भांति रहते, अपनो भूमि नहीं रखते कर देते हैं। इसी प्रदेशके निकटवर्ती पर्वतोंमें कन्ध, और दूसरोंके निकट दैनिक रोसिसे परिश्रम उठा, रहते हैं। इनके ग्राम खुद्र क्षुद्री पर्वत-शिखर वा या वनमें काष्ठ जुटा जोवन धारण करते हैं। दूसरी घनवनमें परस्पर पृथक होते है। पृथक पृथक श्रेणोके कन्ध युद्धके समय हिन्दुवोंके निकट अन्य