पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/८१

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दूल्लत-इश्क इल्म-नबातात, ज्योतिषशास्त्रको इल्म-नजम, न्याय- व्यक्तिको सशरीर यमके सदनसे बला सकता था। किसी दिन अनेक राजर्षि मुनिगणके साथ इसके शास्त्रको इल्म-बहस या इल्म-मन्तिक, लोहकान्तधर्मको इल्म-मकनातीस, विनयरीतिको इल्म-मजलिस, दृग्विद्या मकान्पर आये। इल्वलने अति समादरसे उनकी को इल्म-मनाजिर, राजनीतिको इल्म-मुदन, त्रिकोण अभ्यर्थना को और फिर भेड़का रूप रखनेवाले मितिको इल्म-मूसीकी, वायुविद्याको इल्म-हवा, रेखा वातापिको काटकर इसने मांस बनाया। उसे देख गसितको इल्म हिन्दसा, खगोलविद्याको इल्म-हैयत ऋषि चकराये । किन्तु अगस्ताने कहा, 'कोयो भय और पशुविद्याको इल्म-हैवानात कहते हैं। नहीं, हमी यह मांस खायेंगे। आप ठहर जायिये।' इल्लत (अ.स्त्री.) १कारण, बायस। २ अभियोग, इल्वल उन्हें मांस खिला जब वातापिको पुकारने लगा, इलजाम । ३ दर्व्यसन, बुरी आदत। ४ अपराध, कुसूर।। तब अगस्ताका वायु निकल पड़ा। उन्होंने उत्तर ५ मल, कूड़ा। दिया,-'पापका वातापि कहां है? उसे तो हमने इलती (प०वि०) दुव्र्यसनमें फंसा हुवा, जो बुरी | पेटमें पचा डाला।' उसपर यह धमकी देने लगा। पादत रखता हो। अवशेषको इल्वल भी अगस्ताके नेत्रसे निर्गत अग्नि इबल (सं० पु.) पक्षिभेद, एक चिड़िया। द्वारा जल गया। (रामायण और महाभारत ) इल्ला (हिं० अव्य०) १ परन्तु, लेकिन। ( स्त्री०) इल्वला (सं० स्त्री०) मृगशिरानक्षत्रके शिरःपर स्थित २ पिटका विशेष, एक फुन्सी। यह त्वक के ऊपर | पांच क्षुद्र तारा। उठती है और कठिन तथा मर जैसी होती है। . इव (सं० अव्य.) १ सदृश, मानिन्द, बराबर । इलिश (सं० पु०) मत्स्यभेद, इलोश। इलौश देखो। २ जिसप्रकार, जैसे। ३ किसीप्रकार, शायद, कुछ- इखका, इल्वला देखो। कुछ। ४ प्रायः, करौब-करीब। ५ इसप्रकार, ठोक इल्खड़, इल्वल देखो। तौरपर। इखल (सं० पु०) इल-वल वा इल-क्किए-वलच । | इवोलक (सं० पु०) लम्बोदरके पुत्र। (विष्णुपुराण) १ मतस्यभेद, बाम मछली। २ दैत्यविशेष। यह इवेपोरेशन (अं० पु० = Evaporation ) बाष्पभाव, सिंहिकाके गर्भ और विप्रचित्तिके औरससे उतपन्न तबखोर, पानीका भाय बनना। वाष्य देखो। हुवा था। इसका अपर नाम सँहिकेय था। व्यंश्य. | इशरत (अ. स्त्री०) सन्तोष, तुष्टि, खुशी, पाराम, शल्य, नभ, वातापि, नसुचि, खसुम, प्राजिक, नरक, चैन। आनन्द-भवनको इशरत-कदा, इशरत-खाना कालनाभ और राहु (शुक, पोतरण, वज्रनाभ) या इशरतगाह कहते हैं। इसके भ्राता थे। इसका वासस्थान मणिमतीपुर था। इशारा (अ० पु०) १ सङ्केत, रम्ज, सैन। २ चिह्न, कनिष्ठ भ्राता वातापिने किसी तपस्वी ब्राह्मणसे इन्द्र- | निशान् । ३ मूकदर्शन, गूगा देखाव । ४ प्रेम, प्यार । तुल्य पुत्र पानेका वर मांगा था। किन्तु अभिमत “आकिलको इशारा। मूरखको फटकारा ॥” (लोकोक्ति) वर न मिलनेसे वातापि और इल्वल दोनों उस ब्राह्मण- | इशिका, इशौका देखो। पर क्रुह हो गये। उसी समयसे इल्वलने ब्रह्महत्यापर | इशोका ( स० स्त्री०) १ हस्तीका चक्षुःगोलक, हाथोकी कमर बांधी थी। अपने कनिष्ठ चाता वातापिको यह | अांखका ढेला। २शरकाण्ड, रामशरका तना। भेड बनाकर ब्राह्मणके सामने लाता और अच्छीतरह | इश्क (अ० पु.) १ अनुराग, प्यार । बना-चुना मांस रांधकर खिला देता। फिर बाहर ___ "श्में शाह और गदा बरावर।” (लोकोक्ति) बैठ वातापिको बुलाता था। वह पावाज पाते ही २ महाव्यसन, खुब्त, दीवानगी। ब्राह्मणका पेट फाड़ निकल पाता और बेचारा ब्राह्मण ___३ सुप्रसिद्ध मुसलमान कवि शाह रुक्न-उद-दीनका उसी समय मर जाता। इल्वल अपने मायाबलसे मृत- । उपनाम ये शाह आलमके समयमें वर्तमान थे।