इसमाईल-आदिलशाह-दूसलाम इसमाईल-आदिलशाह-दक्षिणविजयपुरके एक नवाब।। बने हैं। मुसलिम और ईमान् शब्दके योगसे यह युसफ-आदिलशाहके लड़के थे। १५१० ई में मुसलमान् शब्द बनता है। भारतमें जो मुसलमान इन्हें राजसिंहासन मिला था। पच्चीस वर्षतक शान्ति | पाये जाते, वे दो तरहके हैं। एक तो मसल्लीम अर्थात पूर्वक शासनकर १५३४ ई०को २७ वौं अगस्तको आदि मुसलमान और दूसरे नवमुस्लीम (नवमुक्त) इनको मृतुम हुई। अर्थात् अपने अपने पूर्व धर्मों को छोड़कर इसलामधर्म इसमाईल निजामशाह-बुरहान शाहके लड़के। इनके धारण किये हुये मुसलमान। ये लोग अपनेको महः पिता अपने भाई मुर्तजा निजाम शाहसे लड़ अक- म्मदी वा मोमिन् भो कहते हैं। ये लोग जिस धर्मका बरके पास भाग कर जा रहे थे। उसी समय ये आचरण करते हैं, वह 'दीन-इसलाम' नामसे प्रसिद्ध है। और इनके बड़े भाई इब्राहीम लोहागढ़के किले में इस धर्मके प्रवर्तक मुहम्मदने ५८३ खष्टाब्दमें कैद किये गये। १५८८ ई०के साचे मासमें मोरान् अरब देशके मक्का नगरमें जन्मग्रहण किया था। हुसेन शाहके मरनेपर जमाल-खान्ने इन्हें अहमद उन्होंने अपने बाल्यकाल में उपयुक्त शिक्षा पाई। जिस नगरका राजसिंहासन सौंपा था। अकबरसे साहाय्य ! समय उनका जन्म हुआ, उस समय अरब देशमें पा इनके पिता इनसे लड़ने आये, किन्तु हार गये। सेविय, मगो और खष्टानादि मौका प्राचल्य था। दूसरी बार उन्होंने राजमन्त्री जमालखान्का वध किया | भिन्न भिन्न मतोंके अभ्यदयसे देश में विशलताके सूत्र- था। बुरहान् निज़ाम शाहने अन्तको इन्हें बन्दी बना। पात और धर्मविप्लवको आशङ्का कर उन्होंने दुःखोंस राज्य अपने हाथमें ले लिया। इन्होंने प्रायः दो निमुक्त करने के लिये एक नवोन धर्मका आविष्कार वर्ष शासन चलाया था। करना उपयुक्त समझा। जिस समय उनकी उम्र इसर-विहारस्थ दोसाद और बांसफोड डोमोंको एक | ४० वर्षके करीब हुई, उस समय उन्होंने अपने नवोन शाखा। आविष्क त मतके विचार सर्वसाधारणमें प्रकट किये इसरार (अ० पु० ) १ गोपनकार्य, छिपाव। २ भेद। और अपनेको ईश्वरका प्रेरित पैगम्बर बताया। ३ प्रेतवाधा, शैतानका साया। ४ वादिन विशेष, एक | . मक्कावासी लोगोंने पार उनमें भी विशेषतः कोरा- बाजा। यह सितार-जैसा रहता और गजसे | इस जातिने मुहम्मदके इस नव्य मतको पुरातन बजता है। प्रथाका विरोधी समझा और उनके विरुद्ध खड़े हो मार इस्राएल-उत्तर पालेस्तिन वा सामारियावासी प्राचीन डालनेतकका प्रयत्न प्रारम्भ कर दिया। मुहम्मदने जब जाति । खुष्टधर्म-प्रचारक ईसा इसी जातिमें आविर्भूत अपने विरुद्ध यह सब चरित्र देखा और अपने बल को हुए थे। ईसा और यइदौ देखो। पुरातन प्रथावलम्बियोंसे हौन समझा, तो वह मक्का इसलाम (अ० पु०) मुहम्मद द्वारा प्रवर्तित धर्म, | छोड़ देनेके लिये लाचार हुये। मक्का छोड देनेके बाद मुसलमानोंका शास्त्रमार्गावलम्बन । १५ दिन तक बराबर चलकर वह 'यात्रेव' नगरमें मुसलमान और इसलाम ये दोनों शब्द अरबी पहंचे और वही नगर फिर 'मदीना' नामसे लोक में भाषाके 'सलम्' धातुसे बने हैं। इसका अर्थ | प्रसिद्ध हुआ। “विपत्तिरहित मुक्तिसुखको देना' है। जिस धर्मके. ६२२ ई०को १६वौं जुलाई के दिन मुहम्मद मक्का धारण करनेसे संसारयात्रा निर्विघ्नरौतिसे परिसमाप्त छोड़ 'मदीनात्-अल्-नबी में पहुंचे थे। फिर इमो हो.जाय और अन्तमें निर्बाध सुख प्राप्त हो सके, दिनसे इसलाम धर्मको अभिव्यक्ति प्रतिष्ठित हुई। उस. धर्मको सुहम्मदने इसलामधर्मः कहकर प्रसिद्ध इसलिये खलीफ़ा और जमर लोग उसी दिनको किया। सलाम, तसलीम, सलामत्, और मुसलीम मुसलमानोंकाः अभ्युदय दिन समझ कर तबसे हो आदि शब्द उपयुक्त धातुके ही भिन्न भिन्न प्रत्ययोंसे ! हिजरी अब्दकी गणना करते हैं। फिर उसके अनुसार
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