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पृष्ठ:हिंदी विश्वकोष भाग ३.djvu/९७

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ईजिक-ईद "अतिवृष्टिरनाइष्टिः शलभा मुषिका: खगाः । प्रस्ताव, पहली तजवीज़। इसे दोमें एकदल कोयो। प्रत्यासन्नाथ राजानः षड़ेता ईतय: माताः ॥” ( कामन्दक ) कार्य हाथमें लेनेसे प्रथमतः उपस्थित करता है। अर्थात अधिक वर्षा होना, बिलकुल पानी न बर- ईजिक (सं० पु०) जनपद विशेष, एक गांव । कहीं-कहीं ईजक भिन्न पाठ भी मिलता है। यहां सना, टिडडी आना, चहे लगना, पक्षी बढना और अनेक ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य प्रभृति रहते हैं। (भौमपर्व)| शत्र राजाका चढ़ना ईति कहाता है। उक्त छ: ईज्या (सं० स्त्रो०) १ भूमि, जमीन् । २ गो, गाय। प्रकार उपद्रव उठनेसे शस्य नहीं उपजता और प्रजाको ईट (हिं.) दृष्ट देखो। बड़ा ही कष्ट मिलता है। ईठि (हिं.) इष्ठि देखी। ईथर ( = Ether) १ पदार्थविज्ञानके अनु- ईठी (हिं. स्त्री०) बरछी, भाला। सार अधिक स्थितिस्थापकता और अत्यन्त क्षीणताका ईठीदाड़ (हि.पु.) चौगानका डण्डा। इससे हाके कल्पित साधन। यह पदार्थ समस्त स्थानमें भरा है। या पोली खेलते हैं। घन द्रव्यका भीतरी भाग भी इससे खाली नहीं होता।। ईड् (वै० स्त्री०) उदकदान, देवतापर धारका प्रकाश और उष्णताके सञ्चारणका हार ईथर ही है। चढ़ाना। २ रसतन्त्रानुसार अत्यन्त लघु, वायु-परिणामशील और ईडन (सं० क्लो०) प्रशंसाकार्य, तारीफ़का करना । दाहात्मक द्रव पदाथें। यह गन्धकके अम्ल साथ ईड़ा (सं० स्त्री०) ईड-अ-टाप। १ स्तुति, तारीफ। सुरासार क्षरण करनेसे बनता है। सुरासारको २ नाड़ी, नब्ज । नाड़ी देखो। . अपेक्षा ईथर अल्पभार होता और अद्भत भेदक गन्ध ईड़ित (सं० वि०) ईड कर्मणि क्त। स्तुति, जो तारीफ तथा प्रखर, शीतल एवं सुगन्धि खाद रखता है। पा चुका हो। ईलित रूप भी होता है। यह दश अंश जलमें हल पड़ और वायु लगनसे उड़ इडेन्य, ईद्य देखो। जाता है। अधिक शीतल रहनेसे ईथर बरफ जमा- ईद्य (वै. त्रि.) ईड-ण्यत् । ईड़वन्दहश' सहा ण्यतः । नेके काम पाता है। इसे सूंघनसे अवसवता भी पाहा॥२१४ । स्तवके योग्य, जो तारीफके काबिल हो। बढ़ती है। ३ वायुके ऊपरका कल्पित पदार्थ । ईलेन्य रूप भी बनता है। यह अतिसूक्ष्म होता है और चक्षुःसे देख नहीं ईद्यमान (सं० त्रि०) प्रशसा पानेवाला, जो तारीफ | पड़ता। शून्य स्थानमें इसकी स्थिति समझी जाती किया जा रहा हो। है। तारागण इसौमें घूमता और हमारे एक अङ्गका ईया ( स० स्त्री०) भूम्यामलको, भूई आंवला। अनुभव दूसरेको इसोके सहारे मिलता है। प्रकाशके ईद (हिं. स्त्री०) हठ, जिद। आने-जाने का हार ईथर ही है। निकटस्थ द्रव्य के ईदी (हिं. वि०) हठी, जिद्दी। चलते-फिरते भी इसमें गतिसञ्चार नहीं होता। ईत (हिं. स्त्री०) वनमक्षिका, डांस। ईद (अ॰ स्त्री०) १ मुसलमानोंके धर्मोत्सवका ईतर (हिं. पु.) १ आत्मश्लाघी, शेखीबाज, जो दिन। यह रमज़ान् महोनेके अन्तमें पड़ती है। शख स इतरोता हो। ईदसे पहले मुसलमान् तीस दिन रोजा रखते यानी “ईतरके घर तीतर बाहर बांध कि भौतर ।" (लोकोक्ति) दिनको भूखे प्यासे रह शाम पड़ते ही भोजन करते (वि.)२ इतर, मामूली, छोटा। हैं। वर्षमें चार ईद होती हैं-आखिरी चहार शम्बा, ईति (सं० स्त्री०) ईयते गम्यते, ई भावे तिन् । शाबन, रमज़ान् और बकरीद। इनमें ईद-उल-फितर १डिम्ब, झगड़ा। २ प्रवोस, डेरा। ३ सांसर्गिक रोग, और ईद-उजू -जु.हा या बकरीद बड़ी है। उक्त अवसर लगनेवाली बीमारी। ४ राजयोपद्रव विशेष, आफत, पर विद्वान् और मूर्ख सभी मुसलमान् ईदगाहमें म तिमें छः प्रकारको ईति कही है,- नमाज पढ़ने जाते हैं। सिवा इनके प्रशूर और