१०८, “चालीसा सौ" = १४०, इत्यादि । इनका प्रयोग बहुधा
गणित और पहाड़ों में होता है ।
१७३–नीचे लिखी सख्याओं के लिए अलग अलग नाम हैं--
१०००= हजार ( स० सहस्र ) ।
१०० हजार= लाख ।
१०० लाख = कराड ।
१०० करोड़= अर्व ।
१०० अर्व = खर्ब ।
( अ ) खर्ब से उत्तरोत्तर सौ सौ गुनी संख्याओं के लिये क्रमशः नील, पद्म, शंख आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है । इन सख्याओं से बहुधा असख्यता का बेध होता है ।
( आ ) अपूर्णा क-बोधक विशेषण ।
१७४-अपूर्णा क-बोधक विशेषण से पूर्ण-सख्या के किसी भाग का बोध होता है, जैसे, पाव = चैथाई भाग, पौन = तीन भाग, सवा = एक पूर्ण के और चौथाई भाग, अढाई = दो पूर्णाक और आधा, इत्यादि ।
( अ ) दूसरे अपूर्णांक-बोधक शब्द अंश (सं०),भाग वा हिस्सा (फा०) शब्द के उपयोग से सूचित होते हैं, जैसे, तृतीयांश वा तीसरा हिस्सा वा तीसरा भाग, दो पंचमाश ( पाँच भागों में से दो भाग ), इत्यादि । तीसरे हिस्से को “तिहाई" और चौथे हिस्से के "चैथाई' भी कहते हैं।
१७५—-अपूर्णांक-बोधक विशेषणो के नाम और अंक नीचे लिखे जाते हैं-
पाव= ।,
सवा= १५, १६
आधा = ॥ , ३
डेढ = १।। ,१३
पौन = ॥, ३
पौने दा= १।।। ,१३