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करते।" (स्वा॰)। विकृत कारकों की बहुवचन संज्ञा के साथ "कोई कोई" कभी कभी मूल रूप में ही आता है, जैसे, "कोई कोई लोगों का यह ध्यान है।" (जीविका॰) इस पिछले प्रकार के प्रयोग का प्रचार अधिक नहीं है।
(अ) कुछ कालवाचक संज्ञाओं के अधिकरणकारक के एकवचन के साथ (कुछ के अर्थ में) "कोई" का अविकृत रूप नहीं आता है; जैसे, "कोई दम मे", "कोई घड़ी में", इत्यादि।

३३८—यैगिक सार्वनामिक विशेषण आकारांत होते हैं; जैसे, ऐसा, वैसा, इतना, उतना, इत्यादि। ये आकारांत विशेषण विशेष्य के लिंग, वचन और कारक के अनुसार गुणवाचक आकारांत विशेषणों के समान (अं॰—३३९) बदलते हैं, जैसे, ऐसा मनुष्य, ऐसे मनुष्य को, ऐसे लड़के, ऐसी लड़की, ऐसी लड़कियाँ, इत्यादि।

(अ) "कौन" "जो" और "कोई" के साथ जब "सा" प्रत्यय आता है तब उनमे प्रकारांत गुणवाचक विशेषणों के समान विकार होता है, जैसे कौनसा लड़का, कौनसी लड़की, कौनसे लड़के को, इत्यादि। (अ॰—३३९)।

३३९—गुणवाचक विशेषणों में केवल आकारांत विशेषण विशेष्य-निघ्र होते हैं, अर्थात् वे विशेष्य के लिंग, वचन और कारक के अनुसार बदलते हैं। इनमें वही रूपातर होते हैं जो सबंध-कारक की विभक्ति "का" में होते हैं। आकारांत विशेषणों में विकार होने के नियम ये हैं—

(१) पुल्लिग विशेष्य बहुवचन में हो अथवा विभक्त्तयंत वा संबंध-सूचकात हो तो विशेषण के अंत्य "आ" के स्थान में "ए" होता है; जैसे, छोटे लड़के, ऊँचे घर में, बड़े लड़के-समेत, इत्यादि।

(२) स्त्रीलिंग विशेष्य के साथ विशेषण के अंत्य "आ" के