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दो लिंग (पुल्लिंग और स्त्रीलिंग), और दो वचन (एकवचन और बहुवचन) होते हैं। उदा॰—

पुल्लिंग।

पुरुष एक वचन बहुवचन
उत्तम पुरुष मैं चलता हूँ हम चलते हैं
मध्यम,, तू चलता है तुम चलते हो
अन्य ,, वह चलता है वे चलते हैं

स्त्रीलिंग।

पुरुष एक वचन बहुवचन
उत्तम पुरुष मैं चलती हूँ हम चलती हैं
मध्यम ,, तू चलती है तुम चलती हो
अन्य ,, वह चलती है वे चलती हैं

३६३—पुल्लिंग एकवचन का प्रत्यय आ, पुल्लिंग बहुवचन का प्रत्यय ए, स्त्रीलिंग एक वचन का प्रत्यय ई और स्त्रीलिंग बहुवचन का प्रत्यय ई वा ई है।

३६४—संभाव्य भविष्यत और विधि-कालों में लिंग के कारण कोई रूपांतर नहीं होता। स्थितिदर्शक "होना" क्रिया के सामान्य वर्तमान के रूपों में भी लिंग का कोई विकार नहीं होता। (अ॰—३८६-१, ३८७)।

३६५—वाक्य मे कर्ता वा कर्म के पुरुष, लिंग और वचन के अनुसार किया का जो अन्वय वा अनन्वय होता है उसे प्रयोग कहते हैं। हिंदी में तीन प्रयोग होते हैं—(१) कर्त्तरिप्रयोग (२) कर्मणिप्रयोग और (३) भावेप्रयोग।

(१) कर्त्ता के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार जिस क्रिया का रूपांतर होता है उस क्रिया को कर्त रिप्रयोग कहते हैं; जैसे, मैं चलता हूँ, वह जाती है, वे आते हैं, लड़की कपड़ा सीती है, इत्यादि।