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आगे लगना, सकना, देना क्रियाएँ जोड़ी गई हैं। संयुक्त क्रियाओं में मुख्य क्रिया का कृदंत रहता है और सहकारी क्रिया के काल के रूप रहते हैं।

४०१—कृदंत के आगे सहकारी क्रिया आने से सदैव संयुक्त क्रिया नहीं बनती। "लड़का बड़ा हो गया", इस वाक्य में मुख्य धातु वा क्रिया "होना" है; "जाना" नही। "जाना" केवल सहकारी क्रिया है, इसलिए "हो गया" संयुक्त क्रिया है; परन्तु लडका "तुम्हारे घर हो गया," इस वाक्य में "हो" पूर्वकालिक कृदंत "गया" क्रिया की विशेषता बतलाता है; इसलिए यहाँ "गया" (इकहरी) क्रिया ही मुख्य क्रिया है। जहॉ कृदंत की क्रिया मुख्य होती है और काल की क्रिया उस कृदंत की विशेषता सूचित करती है वहीं दोनों के संयुक्त क्रिया कहते हैं। यह बात वाक्य के अर्थ पर अवलंबित है; इसलिए संयुक्त क्रिया का निश्चय वाक्य के अर्थ पर से करना चाहिये।

[टी॰—"संयुक्त कालों" के विवेचन में कहा गया है कि हिंदी में संयुक्त क्रियाओं के "संयुक्त कालों" से अलग मानने की चाल है और वह इस बात का कारण भी संक्षेप में बता दिया गया है। संयुक्त क्रियाओं के अलग मानने का सक्से बड़ा कारण यह है कि इनमें जे सहकारी क्रियाएँ जोड़ी जाती है उनसे "काल" का कोई विशेष अर्थ सूचित नहीं होता, किंतु मुख्य क्रिया तथा सहकारी क्रिया के मेल से एक नया अर्थ उत्पन्न होता है। इसके सिवा "संयुक्त" झाले में जिन कृदंतों का उपयोग होता है उनसे बहुधा भिन्न कृदंत "संयुक्त" क्रियाओं में आते हैं, जैसे, "जाता था" संयुक्त काल है, पर "जाने लगा" वा "जाया चाहता है" संयुक्त क्रिया है। इस प्रकार अर्थ और रूप दोनों में "संयुक्त क्रियाएँ" "संयुक्त कालों" से भिन्न है, यद्यपि दोनों मुख्य क्रिया और सहकारी क्रिया के मेल से बनते हैं।

संयक्त क्रियाओं से जो नया अर्थ पाया जाता है वह कालों के विशेष "अर्थ" से (अ॰—३५९) भिन्न होता है और वह अर्थ इन क्रियाओं के किसी विशेष रूप से सूचित नहीं होता। पर कालों का "अर्थ" (आज्ञा,