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[सू॰—इन शब्दों के अनुकरण पर हिंदी के "चलायमान" और "शोभायमान" शब्द बने हैं।]
य (योग्यार्थक)— | ||
कृ-कार्य | त्यज्-त्याज्य | वध्-वध्य |
पठ-पाठ्य | वच्-वाच्य वाक्य | |
क्षम्-क्षम्य | गम्-गम्य | गद् (बोलना)-गद्य |
वि+धा-विधेय | शास्-शिष्य | पद्-पद्य |
खाद्-खाद्य | दृश्-दृश्य | सह्-सह्य |
या (भाववाचक)— | ||
विद्-विद्या | चर्-चर्या | कृ-क्रिया |
शी-शय्या | मृग्-मृगया | सम्+अस्-समस्या |
र् (गुणवाचक)— | ||
नम्-नम्र, हिंस् (मार डालना)-हिस्। | ||
रु (कर्तृवाचक)— | ||
दा-दारू, मि-मेरु | ||
वर (गुणवाचक)— | ||
भास्—भास्वर, स्था—स्थावर, ईश्—ईश्वर, नश्—नश्वर। |
स्+आ (इच्छा-बोधक)— | ||
पा (पीना)—पिपासा | कृ (करना)—चिकीर्षा | |
ज्ञा (जानना)—जिज्ञासा | कित् (च गा करना)—चिकित्सा | |
लल् (इच्छा करना)—लालसा | मन् (विचारना) मीमांसा। |
अ (अपत्यवाचक)— | ||
रघु—राघव | कश्यप—काश्यप | कुरु—कौरव |
पाण्डु—पाण्डव | पृथा—पार्थ | सुमित्र—सौमित्र, |
पर्वत—पार्वती (स्त्री॰) | दुहितृ—दौहित्र | वसुदेव—वासुदेव |