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समाज—सामाजिक | शरीर—शारीरिक |
समय—सामयिक | तत्काल—तात्कालिक |
धन—धनिक | अध्यात्म—आध्यात्मिक |
अधिदेव—अधिदैविक |
इत (गुणवाचक)—
पुष्प—पुष्पित | फल—फलित | दुःख—दुःखित |
कंटक—कटकित | कुसुम—कुसुमित | पल्लव—पल्लवित |
हर्ष—हर्षित | आनंद—आनंदित | प्रतिबिंव—प्रतिबिंबित |
पुलक—पुलकित |
इन् (कर्तृवाचक)—
इस प्रत्ययवाले शब्दों की प्रथमा के एकवचन मे न का लोप होने पर ईकारान्त रूप हो जाती है। यही रूप हिंदी में प्रचलित है; इसलिए यहाँ इसी के उदाहरण दिये जाते हैं। यह प्रत्यय बहुधा अकारांत शब्दों में लगाया जाता है।
शाख—शास्त्री | छल—छली | तरग—तरगिणी (स्त्री॰) |
धन—धनी | अर्थ—अर्थी (विद्यार्थी) | पक्ष—पक्षी |
क्रोध—क्रोधी | येाग—योगी | सुख—सुखी |
हस्त—हस्ती | पुष्कर—पुष्करिणी | (स्त्री॰) दत—दती। |
इन—यह प्रत्यय फल, मेल और वर्ह में लगाया जाता है।
फल—फलिन, मल—मलिन, वर्ह—वर्हिण (मोर)। वर्हिण शब्द का रूप वह भी होता है।
(अ) अधि—अधीन, | प्राच् (पहले)—प्राचीन, |
अर्वाच (पीछे)—अर्वाचीन, सभ्यच् (भली भाँति)—समीचीन
इम (गुणवाचक)—
अग्र—अग्रिम, अंत—अंतिम, पश्चात्—पश्चिम।