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(२) विशेषणोत्तर-पद—शाकप्रिय (शाक है, प्रिय जिसको), नाट्यप्रिय।

हिंदी-उदा॰—कनफटा, सिरका, मनचला।

(३) उपमान-पूर्वपद—राजीव-लोचन, चंद्रमुखी, पाषाण-हृदय, वज्रदेही।

(४) विषय-पूर्वपद—शिवशब्द (शिव है शब्द जिसका—वह तपस्वी), अहमभिमान (अहम् अर्थात् मैं, यह अभिमान है जिसको)।

(५) अवधारणा-पूर्वपद—यशोधन (यश ही धन है जिसका), तपोबल, विद्याधन।

(६) मध्यमपदलोपी—कोकिलकंठा (कोकिल के कंठ के समान कंठ है जिसका वह स्त्री), मृगनेत्रा, गजानन, अभिज्ञान-शाकुंतल, मुद्राराक्षस।

उर्दू-उदा॰—गावदुम, फ़ीलपा।

हिंदी-उदा॰—घुड़मुँहा, भौंरकली (गहना), बालतोड़ (फोड़ा), हाथी-पॉव (बीमारी)।

(७) नञ्बहुब्रीहि—असार (सार नही है जिसका), अद्वितीय, अव्यय, अनाथ, अकर्मक, नाक (नही है अक—दुख जिसमे—वह स्वर्ग)।

हिंदी—अनमेल, अजान, अथाह, अचेत, अमान, अनगिनती।

(८) संख्यापूर्वपद—एकरूप, त्रिभुज, चतुष्पद, पंचानन, दशमुख।

हिंदी—एकजी, दुनाली, चौकान, तिमंजला, सतलड़ी, दुसूती।

उर्दू-उदा॰—सितार (तीन हैं तार जिसमे), पंजाब, दुआब।

(९) संख्योत्तरपद—उपदेश (दश के पास है जे अर्थात् नौ वा ग्यारह), त्रिसप्त (तीन सात हैं जिसमे, वह संख्या—इक्कीस)।