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(ई) सर्वसाधारण के उल्लेख में "अपना" का प्रयोग स्वतंत्रता से होता है; जैसे, अपना हाथ जगन्नाथ, अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग, अपना दुख अपने साथ है।

(उ) बोलचाल में कभी-कभी "अपना" का संकेत वक्ता की ओर होता है, जैसे, यह देखकर अपना (मेरा) भी चित्त चलायमान हो गया; इतने में अपने (हमारे) नौकर आ गये।

(ऊ) बहुधा बुँदेलखंड मे (जहाॅ "हम लोग" के लिए मराठी "आपण" के अनुकरण पर "अपन" शब्द भी व्यवहृत होता है) "हमारा" के प्रतिनिधि अर्थ में "अपना" का प्रयोग होता है; जैसे, यह चित्र अपने (हम लोगों के) महाराजा का है, यह सब अपने देश में नहीं होता , प्राचीन ब्रार नवीन अपनी सब दशा आलोच्य है (भारत॰), आराम औ खुशी से कटती है उम्र अपनी, बिरतानिया ने हमको हमलों से है बचाया ( सर॰)।

[सू॰—ऊपर (उ) और (ऊ) में दिये गये प्रयोग अनुकरणीय नहीं है, क्योंकि इनका प्रचार एकदेशीय है। ऐसे प्रयोगों में बहुधा अर्थ की अस्पष्टता पाई जाती है, जैसे, शत्रु ने अपने (हमारे अथवा निज के) सब सिपाही मार डाले।]

(ऋ) कहीं-कहीं आदराधिक्य में "आपका" के बदले "अपना" आता है, जैसे, महाराज, अपना (आपका) घर कहाँ है। यह प्रयोग भी एकदेशीय है, अतएव अनुकरणीय नहीं हैं।

(ए) कभी-कभी अवधारण के लिए "निज" के अर्थ में सज्ञा अथवा सर्वनाम के संबंध-कारक के साथ "अपना" जोड दिया

जाता है, जैसे, यह सम्मति मेरी अपनी (निज की) है।