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(अ) नहीं और मत क्रिया के पीछे भी आते हैं; जैसे, उसने आपको देखा नहीं। वह जाने का नहीं। उसे बुलाना मत

(आ) यदि क्रिया संयुक्त हो अथवा संयुक्त काल मे आवे तो ये अव्यय मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया के बीच में आते हैं; जैसे, मैं लिख नहीं सकता; वहाँ कोई किसी से बोलता था; तब तक तुम खा मत लेना।

६६९—संबधसूचक अव्यय जिस संज्ञा से संबंध रखते हैं, उसके पीछे आते हैं, पर मारे, बिना, सिवा, आदि कुछ अव्यय उसके पूर्व भी आते हैं, जैसे, दरजी कपड़ों समेत तर हो गया; वह मारे चिंता के मरी जाती थी।

६७०—समुच्चयबोधक अव्यय जिन शब्दों अथवा वाक्यों को जोड़ते हैं उनके बीच में आते हैं, जैसे, हम उन्हें सुख देंगे, क्योंकि उन्होंने हमारे लिए बडा तप किया है । ग्रह और उपग्रह सूर्य के आस-पास घूमते हैं।

(अ) यदि सयोजक समुच्चय-बोधक कई शब्दों या वाक्यों को जोड़ता हो तो वह अतिम शब्द वा वाक्य के पूर्व आता है; जैसे, हास में मुँह, गाल और आँखे फूली हुई जान पड़ती हैं (नागरी॰), और-और पक्षियों के बच्चे चपल होते, तुरंत दौडने लगते और अपना भोजन भी आप खोज़ लेते हैं।

(आ) सकेतवाचक समुच्चय-बोधक, 'यदि—तो, 'यद्यपि—तथापि' बहुधा वाक्य के आरंभ में आते हैं; जैसे, जो यह प्रसंग चलता, तो मैं भी सुनता; यदि ठंड न लगे, तो यह हवा बहुत दूर तक चली जाती है।

यद्यपि यह समुझत हौं नीके॥
तदपि होत परितोप न जी के॥