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(अ) प्रश्नवाचक अव्यय 'क्या' बहुधा वाक्य के आदि मे, और कभी-कभी बीच में अथवा अंत में आता है; जैसे, क्या गाड़ी आ गई? गाड़ी क्या आ गई? गाड़ी आ गई क्या?

(आ) प्रश्नवाचक अव्यय न वाक्य के अंत में आता है, जैसे, आप वहाँ चलेगे ? राजपुत्र तो कुशल से हैं ? भला, देखेंगे ? (सत्य॰)।

६६६—तो, भी, ही, भर, तक और मात्र वाक्य में उन्हीं शब्दों के पश्चात् आते हैं जिन पर इनके कारण अवधारण होता है; और इनके स्थानांतर से वाक्य मे अर्थातंर हो जाता है; जैसे, हम भी गॉव को जाते हैं; इस गाँव को भी जाते हैं। हम तो गाँव को जाते हैं; हम गॉव को तो जाते हैं।

(अ) 'मात्र' को छोड़ दूसरे अव्यय मुख्य क्रिया और सहायक क्रिया के बीच में भी आ सकते हैं और 'भी' तथा 'तो' को छोड़ शेष अव्यय संज्ञा और विभक्ति के बीच में आ सकते हैं। 'ही' कर्तृवाचक कृदंत तथा सामान्य भविष्यत्-काल में प्रत्यय के पहले भी आ जाता है; जैसे, हम वहाँ जाते भी हैं, लड़का अपने मित्र तक की बात नहीं मानता; अब उन्हें बुलाना भर है; यह काम आप ही ने (अथवा आपने ही) किया है; ऐसा तो हवे-ही गा; हम वहाँ जाने ही वाले थे।

(आ) 'केवल' संबंधी शब्द के पूर्व में ही आता है।

६६७—संबंध-वाचक क्रिया-विशेषण, जहाँ-तहाँ, जब-तब, जैसे-तैसे, अदि, बहुधा वाक्य के आरंभ में आते हैं ; जैसे, जब मैं बोलूँ तब तुम तुरंत उठकर भागियो। जहाँ तेरे सींग समाएँ तहाँ जा।

६६८—निषेधवाचक अव्यय 'न', 'नहीं' और 'मत' बहुधा क्रिया के पूर्व आते हैं; जैसे, मैं जाऊँगा, वह नहीं गया, तुम मत जाओ।