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(४४)

(१) यदि अकारांत शब्द का अंत्याक्षर, संयुक्त हो तो अंत्य अ का उच्चारण पूरा होता है; जैसे, सत्य, इंद्र, गुरुत्व, सन्न, धर्म, अशक्त, इत्यादि । ।

(२) इ, ई, वा ऊ के आगे य हो तो अंत्य अ का उच्चारण पूर्ण होता है; जैसे, प्रिय, सीय, राजसूय, इत्यादि ।

(३) एकाक्षरी अकारांत शब्दों के अंत्य अ का उच्चारण पूरा पूरा होता है; जैसे, न, व, र, इत्यादि।

(४) (क) कविता में अंत्य अ को पूर्ण उच्चारण होता है; जैसे, "समाचार जब लक्ष्मण पाये" । परंतु जब इस वर्ण पर यति होती है, तब इसका उच्चारण बहुधा अपूर्ण होता है ; जैसे, "कुंद- इंदु-सम देह, उमा-रमन करुणा-अयन ।”

( ख) दीर्घ-स्वरांत त्र्यक्षरी शब्दों में यदि दूसरा अक्षर अकारांत हो तो उसका उच्चारण अपूर्ण होता है; जैसे, बकरा, कपड़े, करना,बोलना, तानना ।

( ग ) चार अक्षरों के ह्रस्व-स्वरांत शब्दों में यदि दूसरा अक्षर अकारांत हो तो उसके अ का उच्चारण अपूर्ण होता है, जैसे, गड़बड़, देवधन, मानसिक, सुरलोक, कामरूप, बलहीन ।

अपवाद्-यदि दूसरा अक्षर संयुक्त हो अथवा पहला अक्षर कोई उपसर्ग हो तो दूसरे अक्षर के अ का उच्चारण पूर्ण होता है, जैसे पुत्रलाभ, धर्महीन, आचरण, प्रचलित । ।

(घ ) दीर्घ-स्वरांत चार-अक्षरी शब्दों में तीसरे अक्षर के अ का उच्चारण : अपूर्ण होता है, जैसे, समझना, निकलता, सुनहरी, कचहरी, प्रबलता ।

(ङ) यौगिक शब्दों में मूल अवयव के अंत्य अ का उच्चारण आधा होता है । यह बात ऊपर के उदाहरणों में भी पाई जाती है; ___________________________________________

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