पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१०३

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खेतिहर १९७६ खेरो ३.किसी चीज के विशेषतः पशुओं आदि के उत्पन्न होने का प्रादि पर रखाना । खेप लादना=गाड़ी पर सामान लादना स्थान मा देश । जैसे,—यह घोड़ा अच्छे खेत का है।४. या रखना उ०--यह खेप जो तूने लादी है सय हिस्सों में बढ़ . समरभूमि । रणक्षेत्र । उ०-हौ न खेत खेलाइ खेलाई। जाएगी।--कविता कौ०, भा० ४, पृ० ३०६ । खेप हारना = .... तोहि अवहि का करी बड़ाई ।-मानस, ६ । ३४ । . माल में घाटा उठाना । मुहा०- खेत पाना=युद्ध में मारा जाना । उ०-खड़गी न खेत २.गाड़ी, नाव प्रादि की एक बार की यात्रा । जैसे,-दूसरी खेप । प्रायो, कोपित करिदै धायगे, भरत बचायो गुहरायो रघुबीर में इसे भी लेते जाना। को । -रघुराज (शब्द०)। खेत करना- युद्ध करना। खेप -संशा स्त्री० [सं० पापा दोप। ऐव। . . ." लड़ना । खेत छोड़ना- रणभूमि में परास्त होना। रणभूमि क्रि० प्र०-देना ।-धरना । लगना। कोडकर भागना । खेत पड़ता दे० 'खेत अाना' खेत मारना खेपर-संबाबी०१. खोटा सिक्का । २. वह सिता जो कोढा लगने .. = दे० 'खेत रखना' । खेत रखना=समर मे विजय प्राप्त की वजह से बाजार में न चल सके। करना । खेत रहना%3. 'खेत पाना' । खेपना-क्रि० स० [सं० क्षेपण] विताना । काटना ! गुजारना । उ०. ५.तलवार का फल । कैसे दिन खेपब रे।-कबीर (शब्द०)। खेतिहर-संघा पुं० [सं० क्षेत्रधर या हि० खेती+हर] खेती करने- खेपड़ो -संवा स्त्री० [सं० क्षेपणी] नौका सेने का दंड । पतयार। . वाला-कृषक । किसान । डाडा-(डि.) . खेती--संशा श्री० [हिं० खेत+ई (प्रत्य॰)] १. खेत में अनाज बोने खेम-संबा पुं० [सं० क्षेम सं० २म'। का कार्य । कृषि । किसानी । काश्तकारी। यो०-खेम करी=क्षेमकरी पक्षी। खेम कुसल = कुशल क्षेम । क्रि० प्र०---करना ।—होना । उ०-दानि कहाउव अरु कृपनाई । होई कि खेमकुशल रौताई। यो०-खेती बारी। -मानस, २३५ २. खेत में बोई हुई फसल । जैसे-खेती सूख रही है। खेम कल्यानी-संचा वी० [हिं० दे० 'क्षेमकरी'। मुहा०-खेती मारी जाना = फसल नष्ट होना। खेमटा-संवा पुं० [देश॰] १. वारह मात्राओं का एक ताला खेतीबारी-संज्ञा स्त्रीहि खेती+बारी-बाग बगीचा] किसानी। विशेष—इस ताल में तीन आघात और एक खाली होता है। कृपि। इसका वोल यह है: खेद-संज्ञा पुं० [सं०] [वि० खेदित, खिन्न] १. अप्रसन्नता। दुःख । रंज । २. चित्त की शिथिलता। थकावट । ग्लानि । जैसे- धा के ठेना. विना ते टेधिना विनाधा। ... सूरतिखेद । कोई कोई इसे केवल माठ मात्रों का ताल मानते हैं। उनके खेदना'-- क्रि० स० [सं० खिद् खेदन] मारकर हटाना। । भगाना । खदेरना। अनुसार इसका बोल इस प्रकार है: खेदना-कि० स० [सं० खेटन] शिकार के पीछे दौड़ना। शिकार +. का पीछा करना । । धारोधि नातिन नागोधि नातीन घा . खेदा–संज्ञा पुं० [हिं० खेदना] १.किसी बनले पशु को मारने या पकड़ने के लिये उसे घेरकर एक उपयुक्त स्थान पर लाने का.. काम । २.शिकार। अहेर 1 याखेट । खेदाई-संक्षा बी० [हिं० खेदना] १. खेदने का भाव । २ खेदने अथवा, धाकड़े धिन धिन् ताके तिन तिन धार का काम । ३. खेदने की मजदूरी। . , . २. इस ताल पर गाया जानेवाला गाना। ३.इस ताल पर होने खेदित-वि० [सं०] १.दु:खित । खिन्न । रंजीदा। २..परिश्रम से वाला नाच। थका हुन्मा । शिथिल। खेमा-खी पुं० [अ० खमिह.] तंवू । डेरा। खेना -क्रि० स० [सं० क्षेपण, प्रा० खेघरा] १. नाव के दाहों को 'कि०प्र०-खड़ा करना ।गाड़ना।-डालना। चलाना जिसमें नाव चले । नाव चलाना । २.कालक्षेप करना। खंय-वि० [सं०] खोदने के योग्य । जो खोदा जा सके की । न बिताना । काटना । गुजारना । जैसे--हमने भी अपने बरे ख्य-संहा पुं० १.खंदक खाई। २. पल कोगा । दिन खे डाले। खेरबा-संका पुं० [हिं० केना समुद्र में जहाज आदि चलानेवाला खेप'--संभाजी [सं० क्षेप] १. उतनी वस्तु जितनी एक बार में ले २. मल्लाह । खेरा-संथा पुं० [हिं०] दे० 'खेड़ा' । उ०-वन प्रदेश मुनि बास - जाई जाय । एक बार की बोझा लदा माल । लदान । ' घनेरे । जन पुर नगर गाउ': गन खेरे। तुलसी (शब्द०)। पायो घोपं बड़ो व्योपारी ।लांदि खेप गुन शान जोग खेरापति -संक्षा पुं० [हिं०] ६० 'खेड़ापति'। की ब्रज में प्रानि उतारी।-सूर (शब्द०)। खेरी-संबी• [देश॰] १. बंगाल में अधिकता से होनेवाला एक' : हा- खेप भर = एक बार का बोझा । एक बार को लदाई प्रकार का गेहूँ जो लाल रंग का मौर बहुत कड़ा होता है । २..... नायक । लेप लखाना पक बार दोने योग्य माल को बैलगाड़ी एक प्रकार की घास जो प्रास्ट्रलिया नामक वेश में पहनाबाई . .. नाडालना।