पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१०४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सरोरा ११८० खेलाड़ी 1. से होती है। यह पशुओं के लिये बहुत अच्छा चारा है । ३. (ख) खेलत खात लरिकपन गो जोबन जुबतिन लियो जीति ।

एक प्रकार का बचपक्षी जो प्रायः दलदलों में रहता है और ---तुलसी (शब्द०)।

ऋतपरिवर्तन के साथ साथ अपना स्थान भी बदलता रहता २. कामक्रीड़ा करना । विहार करना। है। यह उड़ता कम और दौड़ता अधिक है। इसका मांस मुहा०-खेली थाई- पुरुष नमागम ने जानकार (स्त्री) गुन '- स्वादिष्ट होता है। इसलिये लोग इसका शिकार भी करते हैं। खेलना-खुल्लमखुल्ला कोई ऐसा काम करना जिसके करने में लोगों को लज्जा पाती हो। सवकी जान में कोई बुरा खेरौरा-संक्षा पुं० [हि. खांड+ौरा (प्रत्य०) खंडौरा या भोला काम करना। ...:. नाम की मिठाई । मिसरी का लट्ठ । उ०-दुती बहुत ३. भूत प्रेत के प्रभाव से सिर और हाय पैर प्रादि हिलाना। - पकावन साधै। मोतिलाडू नौ बाँधे । —जायसी प्रभुघाना ! ४. दूर हो जाना । चले जाना। ५. विचरना । (शब्द०)। चलना । बढ़ना । उ०-भयो रजायसु धागे सेलहिं । गढ़ हर खेल --शा पुं० [सं०] १. केवल चित्त की उमंग से अथवा मन छोडि अंत होइ मेलहि 1-जायसी (शब्द०)। बहलाने या व्यायाम के लिये इधर उधर उछल कूद और दौट खेलना-क्रि० स० १.ऐमी निषा करना जो केवल मनबहलाव या , धूप या कोई साधारण मनोरंजक कृत्य, जिसमें कमी हार व्यायाम प्रादि के लिये की जाती है और जिसमें कभी कभी ' जीत भी होता है । जैसे,—ाब मिचौली, कवडी, वाश, गेंद, हार जीत का भी विचार किया जाता है जैसे,--गेंद खेलना . शतरंज आदि । जूपा सेवना, ताश खेलना इत्यादि । क्रि० प्र०--खेलना। मुहा०-जान या जी पर खेलना-अपने जीने की बाजी लगाना। मुहाल के दिन-बाल्यावस्था। खेल खेलाना=बहुत तंग अपने प्राण भय में डालना । ऐसा काम करना जिसमें मृत्यु - करना। खुद दिक करना । का भय हो। (जान या जी के समान सिर, धन, इज्जत २. मामना । बात । मादि कुछ और शब्दों के साथ भी यह महाविरा प्रायः बोला मुहा०-बेड बिगड़ना=(१) काम खराब होना । (२)-रंग में जाता है।) भंग होना। २. किसी वस्तु को लेकर अपना जी बहलाना । किसी वस्तु को ३. वहत हलका या तुच्छ काम । मनोरंजन के लिये हिलाना हुलाना प्रादि । जैसे,-खिलौना क्रि० प्र०--जानना । समझना । खेलना । जैसे-कागज यहाँ न छोढ़ो, नहीं तो सह के खेल - मुहा०-खेल फरना=किसी काम को अनावश्यक या तुच्छ डालेंगे। ३. नाटक या स्वांग रचना । अभिनय करना । जैसे, समझकर हँसी में उड़ाना। खेल समझना- साधारण या .. -यह नाटक फल खेला जायगा। तुच्छ समझना। खेलनी-संवा श्री० [सं०] खेल का उपकरण । खेलने की वस्तु [को० । ४. कामकीड़ा । विपयविहार । ५. किसी प्रकार का पभिनय, खेलवाड़-संशा पुं० [हिं० खेल+वाह ] खेल। क्रीड़ा। तमाशा। तमाशा, स्वांग या करतब प्रादि । ६. कोई अद्भुन कार्य। मन बहलाव । दिल्लगी।

... विचित्र लीला। उ०--यह देखो कुदरत का खेल- क्रि० प्र०-करना ।—होना ।

कहावत। खेलवाड़ी-वि०[ हि खेल+बार (प्रत्य॰)]१ खेलनेवाला। खेल-संश० वह छोटा कुंड जिसमें चौपाए पानी पीते हैं। खेलाडी । जैसे,--वह बड़ा खेलवाडी सड़का है । २. विनोद- शीला कौत फप्रिय । तेखकाबु-संश पुं० [हिं० खेलना या हिं० सेल+2 (प्रत्य॰)]| खेलवाना-क्रि० स० [हिं० खेलना] दूसरे को खेलने में प्रवृत्त करना । सेलनेवाला व्यक्ति। वह जो खेले। खिलाडी। उ०-व्योम खेलवार-संशपुं० [हि० खेल+वार] खेल करनेवाला । खेलाड़ी। विमाननि विवध विलोकत खेलक पेखक छाँह छये ।--तुलसी - उ-संपति चकई भरत चक मुनि प्रायसु खेलवार । तेहि (शब्द०)। निसि प्राधम पीजा रासे मा भिनसार ।-तुलसी (पाद०)। खेलन-संशा (० [सं०] १. हिलाना हुलाना । नचाना ([नेत्र) १२. सलवार खेलवार-संशा पुं० [हिं०] दे० 'सेलवाद। खेलने का भाव । प्रामोद प्रमोद । मनबहलाव । ३. नाटक, २. चाट खेला-संद्धा मी० [0] क्रीडा। बेल । मनबहलाव (को०) ! स्वान, अभिनय प्रादि खेल (को०)। खेलाई-संशा स्त्री० [हिं० वेल] १ खेलने का कान । मेन । से,-- खेलना-क्रि० प्र०[सं०] [प्रे० रूप सेनाना] १. केवल चित्त की। प्राजाल वहाँ शतरंज को खूब गैलाई हो रही है । १. समंग से अथवा मन बहलाने या व्यायाम के लिये इधर उधर सेलाने को मजदी। .... उछलना, कृदना, दौड़ना आदि । जैसे-लड़के बाहर सेल, " तेलाडी'.:-वि० [हिं०] खेल+प्राढ़ी (प्रत्य॰) १. गेलनेवाला। - मुहा०-खेलना माना-पानद से दिन विताना निश्चित होकर करशील । २. विनोद । पन मे दिन कारमा जैसे.-प्रभी तम्हारे नेलने वाने के दिन खेलाड़ी-संधापु० [हिं० रोल] १. खेन में मनाया हैं: सोच करने के नहीं। 30--(क)रोलन पात रहे ग्रज दाता पहजो नन । २. नमाशा करनेवाला . भीतर । नान्हीं बाति वनिक धन इतर 1--सुर (संन्द०)। दसे,--उस रोलादी के भी पाय रोल हैं।