पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१४९

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गदहा .. से बड़े भी होते हैं । फारस में गदहे का शिकार किया जाता गदाख्य-संशा पु० [सं०] कुष्ठरोग (को०)। . . है और लोग उसका मांस बड़ी रुचि से खाते हैं। इसकी गदागद' संज्ञा स्त्री० [अनु० ] किसी आई या मुलायम चीज पर . अवस्था प्रायः २० से २५ वर्ष तक की होती है। युरोप आदि गिरने या आयात करने से उत्पन्न शब्द। ... ... देशों में इनके चमड़े के जूते और थैले आदि बनते हैं। घोड़ी के क्रि० प्र०-गिरना।-मारना। साथ नदहे का अथवा गदही के साथ घोड़े का संयोग होने से गदागद-संज्ञा पुं० [सं० द्विव० गदागदौ] अश्विनी कुमार को०] । बच्चर की उत्पत्ति होती है। वैद्यक के अनुसार इसका मांस गदाग्रणी---संक्षा पुं० [२०] क्षय रोग । यक्ष्मा। - कुछ भारी और बलप्रद होता है और इसका मूत्र कड्या गदाधर' -संज्ञा पुं० [सं०] विष्ण । नारायण । नरम और कफ; महावात, विप तथा उन्माद का नाराक ओर विशेष-विष्ण ने गदासुर नामक राक्षस की हड्डियों से एक गदा - :: दीपक नाना गया है। बनाकर धारण की थी, इसी से उनका नाम गदाधर पड़ा। पर्या०-चक्रीवान । बालेय । रासभ । वर । शंककर्ण । धूसर । गदावर--वि० गदा धारण करनेवाला । जिसके पास गदा हो । । भारन । वेशव। शीतलावाहन । वैशाखनंदन । गदारांति--संज्ञा पुं० [सं०] दबा । औपध [को०] । यो०--दहलोटन। गदहहॅचू। गदाला'-संज्ञा पुं० [हिं० गदा ] हाथी पर कसने का गद्दा । मुहा०—गदहे पर चढ़ना-बहुत बेइज्जत या बदनाम करना। गदाला-संञ्चा पुं० [सं० प्रा० कुदाल ; हिं० कुदाल ] रंवा या वड़ी .. गदहे का हल चलना-बिलकुल उजड़ जाना । वरवाद हो कुदाल।

जाना । जैसे, वहाँ कुछ दिनों में गदहों के हल चलेंगे। . . गदावारण--संज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार का प्राचीन बाजा, जिसमें तार

लगा रहता था। गदहा-वि० मूर्ख । वेवकूफ । नासमझ । यो०-दहपचीसी। गदाह, गदाह्वय-संज्ञा पुं० [सं०] कुष्ठ रोग [को०] । गदि-संश स्रो० [सं०] कवन । बोलना। भाषण [को० । गदहागदही-नंगा ली० [हिं०] दे० 'गदहहेचू' । गदित-वि० [सं०] कहा हुआ । कथित । गदहिया,-संश डी० [हिं० गदहा + इया (प्रत्य०)] गदही। गदियाना---संज्ञा पुं० [सं० गद्याणक, गद्यानक] दे० 'गधारणक'! गदहिला--संच पुं० [सं० गर्दनी, पा० गद्रनो, प्रा० गद्दही ] [ बी० उ०-उनमनि डांडी मन तराजू पवन किया गदियाना। गदहिली] १. वह गदहा जिसपर इंट, सुरखी आदि लादते गोरखनाथ जोरण बैठा, तव सोमा सहज समाना।-गोरख०, हैं। २. नुवरीले की तरह का एक विपला कीड़ा जो चने आदि पृ०६२। ... की फसल में लगकर उसे नष्ट करता है। गदी-वि० [सं० गदिन्] [खी० गदिनी ] १. रोगी। २. जो गंदा - गदतक-संशा पुं० [सं० गद-+-अन्तक] अश्विनीकुमार (को०] 1. ' लिए हो। जिसके पास गदा हो। गदांवर-संज्ञा पुं० [सं० गद+अम्बर मेध। . गदी--मंशा पुं० [सं०] १. विष्णु । २. कृष्ण कोला। गदा-संशाली [सं०] १. एक प्राचीन अस्व का नाम जो लोहे ग्रादि का गदेला'–संह पुं० [हिं॰ गद्दा] १. रुई या पर प्रादि से भरा हुया .. होता है। इसमें लोहे का एक डंडा होता है जिसके एक सिरे बहुत मोटा घोढ़ना या विछौना। २. टाट का बना हुग्रा पर खारी लठ्ठ लगा रहता है। इसका डंडा पकड़कर लट्ट की वह मोटा और भारी गद्दा जो हायो की पीठ पर कसा .: और ने शत्रु पर प्रहार करते हैं। २. फस रत के उपकरणों में जाता है। .. "एक, जिसमें वाँस आदि के एक मजबूत डंडे के सिरे पर पत्थर - का गोला टेदकर लगाते और उसे मुगदर की भांति भांजने हैं। गदला-संज्ञा पुं॰ [देश॰] [ली गदेली] छोटा लड़का। बालक । गदेली ---ज्ञा स्त्री० [हिं०] दे॰ 'गदोरी' । उ०-ठोढ़ी को गदेली में गदा वि० [फा०] भिक्षक । भिखमंगा। फकीर । उ०-सीकंदर भरकर पुचकारा ।-मृग०, पृ० ५७ । और गदा दोऊ को एक जान । - पलटू भा० १, पृ०१४ । (उ) गदा समझ के वो चप था मेरी जो शामत पाई। उठा गदारा--संवा जी० [हिं० गददी हथेली । चोरी गद्गद ---वि० [सं०] १. अत्यधिक हर्प, प्रेम, श्रद्धा आदि के आवेग . प्री उठ के कदम मैंने पासा के लिए। कविता को०; भा० से इतना पूर्ण कि अपने पाप को भूल जाय और स्पष्ट शब्द ...४, पृ०.४७८ । उच्चारण न कर सके । २. अधिक हर्ष, प्रेम आदि के कारण यो०- गदाई, गदागरी-भिक्षुको भिखमंगापन । फकीरी। रुका हुआ, अस्पष्ट या असंवद्ध । जैसे,—गद्गद कंठ । गदंगद गदाई-वि० [फा० गदा-फकीर+ई (प्रत्य॰)] १. तुच्छ । वाणी । गद्गद स्वर । ३. प्रसन्न । आनंदित । पुलकित । . नीच । क्षुद्र । उ०-गामा कह बुनो भाई ये तो बम्मनः गद्गद-संज्ञा पुं० [सं०] वह रोग जिसमें रोगी शब्दों का स्पष्ट : . : गदाई:-दक्खिनी०, पृ०४६ । २. वाहियात । रद्दी। . . उच्चारण न कर सके अथवा उसके दोपबश एक एक अक्षर गंदाका वि० [हि० गद] गुदार और सुडौल शरीरवाला। . का कई कई बार उच्चारण करे । यह रोग या तो जन्म से गदाका-संधा पुं॰ किसी को उठाकर जमीन पर पटकने की क्रिया । होता है या बीच में लकवे प्रादि के कारण हो जाता है। - मुहाल-गाका सुनाना=झिड़की सुनाना । फटकारना। हकलाना।