पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१६९

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गर्भागार १२४६ गर्ववत • विशेष-इतकी समाप्ति पर पहली जवनिका उठाई अथवा दूसरी गोपघात-संशा म-१.गर्न का नष्ट होना। २. बादल में ... निराई जाती है और तब दूसरा दृश्य प्रारंभ होता है। जल उत्पन्न करने की शक्ति का नष्ट हो जाता। गर्भागार-वंश पुं० [सं०] १. वह कोठरी जो घर के मध्य में हो। गर्मोपनिपद्-संज्ञा पुं० [सं०] अथर्ववेद संबंधी एक उपनिषद् । घर के बीच का कमरा । गर्भगृह । २. आँगन । ३. गर्गस्थान । विशेष—इसमें गर्म की उत्पत्ति और उसके बड़ने यादि का वर्णन गंभाशय । किया गया है। गर्भाधान--संज्ञा पुं० [सं०] १. गृह्यसूत्र के अनुसार मनुष्य के सोलह गर्म-वि० [फा०] दे॰ 'गरम'। संस्कारों में से पहला संस्कार । गर्मागर्म-वि० [हिं०] गरमागरन । ताजा । उ-कोई गर्मागर्म विशेय-यह संस्कार उस समय होता है, जब स्त्री ऋतमती हो जलबा पार पूरा---प्रमघन॰, भा०२,,१४३ । चुकती है। गत-संवा श्री० [सं०] १. एक प्रकार की घास । २. नरकुल . .. २. गर्भ की स्थिति । गर्भधारण । __की एक जाति । ३. सोना । कनक । ४ एक प्रकार की गर्भाना--वि० [हिं० गर्भ = गर्व ] गर्वीला होना। गर्वयुक्त। मधुमक्खों [को०] । होना । गरवाना । इ०-रभ जन्म बालक भयो रे तनाये गर्यालू--वि० [हिं० गरियाल ] काले नीले रंग का । गरियाल ।। . : गीन |--दरिया. वानी, पृ० ४१ । गर्रा--वि० [सं० गरहाधिक लाख लाख के रंग का । लाही। गर्भारि---मंडा पुं० [सं०] छोटी इलायची किो०] । गरी--संज्ञा पुं० १. लाखो रंग । २. घोड़े का एक रंग जिसमें लाही गर्भाशय--संज्ञा पुं० [सं०] स्त्रियों के पेट में वह स्थान जिसमें बच्चा वालों के साथ कुछ सफेद बाल मिले होते हैं । ३. इस रंग का '" . रहता है । बच्चादानी । घोड़ा। उ०--ताजी सुरखी चोनिया लक्खी गरी वाज। कुल्ला मुसकी तोलिया केहरि मगसी साज |---40 रासो, पृ० १३८ । विशेष-स्त्रियों का गर्भाशय या गर्भकोश वास्तव में वही अवयव गरी'--संज्ञा पुं० [अनु०] १. वहते हुए पानी का यपेड़ा।उ०-- ' है जो पुरुषों का अंडकोश है। स्त्रियों में यह अंदर होता है, भेला भवर उछालन चकरा समेट माला। वैडा गंभीर तख्ता पुरुषों में बाहर। इसी की भिन्नता से स्त्री और पुरुप के और कट्ट पछार गरी। नजीर (शब्द०)। २. गर्दन पर मारा और लक्षणों की भिन्नता उत्पन्न होती है । इसी गर्भाशय में जानेवाला थपेड़ा। रहा । ३. बहावलपुर वा भावलपुर में प्रयुक्त -: रजाणु या गर्भाणु रहते हैं। जो जीव जितने ही अधिक अंडे (जो अब पाकिस्तान में है) सतलज नदी का नाम । । ' देते हैं, उनके गर्भाशय उतने ही बड़े होते हैं। स्त्री का गर्भाशय गर--संज्ञा पुं० [हिं० गराड़ी] गराड़ी। १५ इंच लंबा, ३ इंच चौड़ा और 3 इंच मोटा होता है और - गर्रा--मज्ञा पुं० [अ० गरंह] १. अभिमान । घमंड । २. घुमाव । .. उसमें एक गर्भनाड़ी रहती है, जिससे वच्चा निकलता है। ऐंठन । मरोड़। गभिरणी --वि० लो० [सं०] जिते गर्भ हो । गर्भवती । पटवाला। क्रि० प्र०--करना ।--देना। यो०--गनियो अवेक्षण गर्भवती की देखभाल । गर्भिणी दोहद गरौं संश स्त्री० [हिं० गरेरना ] १. खलिहान में लगाई हुई डंठलों गर्भवती की लालसा या रुचि । गर्भिणी व्याकरण की गांज । २. ताना या तार लपेटने का एक योजार । . गनिणीच्याकृति गर्भ के विकासक्रम का विज्ञान । आयुर्वेद गलं--संशात्री० [अं०] १. लड़की। बालिका । २. युवती। जवान . शास्त्र का एक अंग। स्त्री । ३. प्रेमिका । गभिणी--संशा जी० [सं०1१. प्राचीन काल की एक प्रकार की नाव। गलस्कूल संग्रा पुं० [अं० गस स्फूल ] वह विद्यालय जिसमें विशेप-यह ८० हाथ लंबी, ४० हाथ चौड़ी और ४० हाथ ऊंची लड़कियां पढ़ती हो । कन्या विद्यालय । .... होती थीं और समुद्र में चलती थी। इसपर यात्रा करना अशुभ गर्न-संशा पुं० [सं०] [वि. गर्वित, नवंवान्] १. अहंकार । पमंड। और अनिष्टकारक समझा जाता था। २. एक प्रकार का संचारी भाव । अपने को सब से बड़ा और २. खिरनी। क्षीरिका । दूसरों को अपने से छोटा समझने का नाव। . गभियीत्व--संश संग भिणी होना । गर्भयुक्त होना [को०। गर्नगर -[#० गवं+हिं० ग] उद्भत 1---नंद ग्रं०, पृ० १११। .. गभित'--वि० [सं०] १ गर्भयुक्त । २. भरा हुमा । पूर्ण । पूरित। गर्गप्रहारी--वि० [सं० गर्वग्रहारिन् ] गर्व का नाश करनेवाला। जैसे,-अर्धनभित । घमंड चूर्ण करनेवाला। ... गभित-संगापुं०] काव्य का एक दोप जिसमें कोई अतिरिक्त गर्वर-वि० [सं०] अभिमानी। पनडीगा - वाक्य किसी वाक्य के अंतर्गत आ जाता है। गर्वरी-संवा बी० [सं०] दुर्गा को ! . गर्भी--वि० [सं० गनिन्] गर्भयुक्त [को०] । गर्वावंत--वि० [सं० गवान् का यदु २० गतः ] घमंडी। अभि- - गर्भतृप्त--वि० [सं०] १. गर्भस्थ बालक की तरह संतुष्ट । पाहारादि मानी। यहंकारी। उ०---गवंत मुरपति चड़ि पायो। वाम की चिता से मुक्त । २. आलसी । अकर्मण्य (को० । करज गिरि टेकि दिवायो ।--सूर (शब्द०)।