पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/१९१

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- गाजा...

गाड़ी . गाजा-संत्रा पुं० [फा० गाजह ] मुह पर मलने का एक रोगन। .. भगाड़ । ६. वह छिछला गड्डा जिसमें से पानी शीत्र वह ... पाउडर। . जाता है । बत्ता। ७. बेत की मेंड़ । बाढ़ ।

क्रि० प्र०-मलना । लगाना। .

गाड़ना-क्रि० स० [हिं० माइ-गढ्डा से नामिक धातु] १. पृथ्वी में

गाजी-संज्ञा पुं० [अ० गाजी] १. मुसलमानों में वह वीर पुरुप जो .: गड्ढा बौदकर किसी चीज को उसमें डालकर ऊपर से मिट्टी

. धर्म के लिये विधर्मियों से युद्ध करे । २. बहादुर । वीर। डाल देना । जमीन के अंदर दफनाना । तोपना । जैसे.-रुपया जैसे-साहि के सिवाजी गाजी सरजा समत्य महा. मदगल गाड़ना, मुरदा गाड़ना। २. पृथ्वी में गड्ढा खोदकर उसमें ... अफजले पंजाव पटक्यो । भूपण. (शब्द०)। किसी लंबी चीज के एक सिरे का कुछ भाग डालकर उसे खड़ा नाजीमद-संज्ञा पुं० [अ० गाजी---फा० नर्द] १ वह जो बहुत बड़ा करना । जमाना । जैसे,—बाँस गाड़ना, लट्टा गाड़ना, पेड़ योद्धा या वीर हो.। २. घोड़ा । अश्व । (वोलचाल) गाड़ना । ३.किसी नुकीली चीज को नोक के बल किसी चीज गाजीमियाँ संशा पुं० [अ० गाज़ीमियां ] सालार मसऊद गाजी । पर ठोंककर जमाना । धसाना । जैसे, -खूटी गाड़ना, कील ... बाले मियाँ। .. .. ... गाड़ना। ४. गुप्त रखना। छिपाना। जैसे,—वह जो चीज - विशेप-यह महमूद गजनवी का भानजा था। हिंदुनो को काफिर पाता है, गाड़ रखता । ... . ..समझकर उनसे लड़ने के लिये यह अवध तक बढ़ पाया था, ... मुहा०-गांड गूड देना-दफनाना। गाड़ना। उ०--गला . पर आरंभ ही में श्रावस्ती (सहेतमहेत) के जैन राजा सुहृददेव घोटकर कहीं गाड़गुड़ देती।-प्रेमघन, भा० १६१।। या सुहेलदेव के हाथ से बहराइच में मारा गया था। गाडरा-संज्ञा सी० [सं० गड्डरी या गड्डरिका] १. भेड़ । उ० – (क) गाटर' संज्ञा स्त्री० [ पुहि० गटई गला ] जुना की वह लकड़ी स्वामी होनो सहज है दुर्लभ होनो दास । गाडर लाये ऊन जितके इधर उधर बैल जोते जाते हैं। .. को लागी चरन कपास । —तुलसी (शब्द॰) । (ख) मतिराम गाटर---संज्ञा पुं० [हिं० गाटा ? ] १. दे० 'कट्टा' । २. छोटा वेत। कहै कारवार के कसंवा केते गाड़र से मूड़े जग हाँसी को , गाटा ।... . प्रसंग:भो!-मतिराम (शब्द०)। २. दे० 'गांडर'। गाटर-संश्च {[पं० गार्टर] लोहे की लंबी और मोटी धरन जिसे गाड़रा-संवा पुं० [सं० गाडी] दे० 'गारुडी'। ... दीवारों पर डालकर छत पाटी जाती है। गाडव-संज्ञा पुं० [सं०] मेव । वादल किो०) । गाटा संज्ञा पुं० [हिं० कट्ठा] १.खेत का छोटा टुकड़ा । छोटा खेत। गाड़ा' -संज्ञा पुं० [सं० गान्त्री बैलगाड़ी ] गाड़ी। छकड़ा। गाटर । २.पयाल दाने की वैलों की.नधाई। . बैलगाड़ी। उ०-कुडल कान कंठ माला दे ध्रुव नंद अति गाठरोg--संथा खोहिंगठरी] दे० 'गठरी' । उ०---कास करि सुख पायो । सीधे बहुत सुरासुर नंद गाड़ा भरि पहनायो। -सुर (शब्द०)। .... बांधी गाठरी उठ कर चालो वाद |--कवीर सा० सं०, गाड़ा-संश पुं० [सं० गत, प्रा० गड्ड] १. वह गड्डा जिसमें आगे गाड-संज्ञा पुं० [अं० गाँड] १. देवता । २.ईश्वर । खुदा ।.... . .. लोग छिपकर बैठ रहते थे और शत्रु, चौर, डाक मादि का __.- विशेप-जर्मन भाषा में इस शब्द का उच्चारण गॉट्ट है, जैसे- से पता लेटे थे। पहले गांवों में ऐसे गड्ढे रहा करते थे। ___ 'पाख मीन गाँद (यो मेरे ईश्वर)।--श्री चंद्रधर शर्मा गुलेरी - मुहा... गाड़े बैठना=(१) घात में बैठाना । (.) चौकी या .. पहरे पर बैठना। गाड़ा बैठाना=चौकी बैठाना । पहरा . की कहानी 'उसने कहा था'। . . वैठाना। गाड़-संधा स्त्री० [सं० गत, प्रा० गड्ढ, मिलानो अगार] १.गड़हां। . २. बहु बत्ता या गड्ढा जो कोल्हू के नीचे रहता है और जिसमें .. गड्ढा । उ० (क) रुधिर गाड़ भरि-भरि जमेउ ऊपर धूरि तेल या रस जमा करने के लिये वरतन रखा रहता है। उड़ाइ। जिमि अंगार रासीन पर मृतक धूम रह छाई। गाड़ी-संवा श्री० [सं० गान्त्री या शकट, प्रा० सगड] १. धूमनेवाले तुलसी (शब्द०)। (ब) वैई गड़ि गाड़े परी उपटयो हार पहियों के ऊपर ठहरा हुमा लकड़ी, लोहे आदि का ढांचा । , हिय न । पान्यो मोरि मतंग मनु मानि गरेरनि मैन ।-बिहारी एक स्थान से दूसरे स्थान पर माल असवाव या प्रादमियों को (शब्द०)। (ग) चित चंचल जग कहत है. मो मति सो ठहरै -पहुंचाने के लिये एक यंत्र । यान। शकट । उ०--(क) गाड़ी न । या ठोड़ी की गाड़ परि थिर होइ सो निकर न ।- के स्थान की नाई काया मोह की बड़ाई चिनहि तगि छिन संत० (पाब्द०)। २. पृथिवी के अंदर खोदा हुआ वह गड्ढा ... भजत बहोरि हौं । - तुलसी (शब्द०)। (ख) लीक-लीक गाड़ी 'जिसमें अन्न रखा जाता है। ३. कोल्हाड़ में वह गड्ढा जिसम . चल, लीकहि चल कपूत |--(शब्द०)। बचा खुचा रस निचोड़ने के लिये ईख की खोई डालते हैं. और क्रि०प्र०-चलाना-हाँकना । ऊपर से पानी छिड़क देते हैं। इसके चारों और हाय डेढ़ हाथ विशेष--इसे घोड़े, बैल आदि पशु खींचते हैं और प्रादमियों के ऊंची दीवार होती है और अंदर से यह खूब लिपा.पुता रहता वैठने या माल असबाब प्रादि रखने के लिये इसपर स्थान है। इसके एक योर छोटा सा छेद होता है जिसमें से होकर बना रहता है । आदमियों को चढ़ानेवाली गाड़ी को सवारी खोई से रस निचुड़ता है। ४. नोल आदि के कारखाने में वह . गाड़ी और माल असबाब लादने की गाड़ी को छकड़ा, सग्गड़ . . गड्ढा जिसमें पानी भरा रहता है । ५. कुएं की ढाल । प्रादि कहते हैं । सवारी गाड़ी कई प्रकार की होती है; जैसे, शा