पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२१६

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गुची १२६३ यो०--चादहन = (१) कली · जैसे छोटे मुहवाला। (२) समाने भर को स्थान । अवकाश । जैसे, इस कोठरी में दस सुमुख (३) प्रेमपात्र या माशु क । .. . आदमियों से, अधिक की गुंजाइश नहीं है ।। २. समाई। गुंची-संज्ञा स्त्री० [सं० गुजा दे० ' घची'। सुवीता । जैसे,--इस समय इतने की गुजाइश तो हमारे यहाँ. . गंज'-संज्ञा मी० [सं० गुज] १. भौरों के भनभनाने का. शब्द नहीं है। ३. लाभ । वचत ।। . . गुजार । २.पानदध्वनि । कलरव । ३. दे० 'गुजा.. . गजान--वि० [फा०] घना । अविरल । सघन । .... . यौ०-गुजमाल | गुजहार। . . ... गुजायमान-वि० [सं० गुञ्जायमान] मधुर ध्वनि करता हुमा। ४. सोने के तार को गूथकर बनाया हुघा कई लड़ का गहना जो गुजारता हुप्रा । गूजता हुया। . ..... गले में पहना जाता है। गोप । ५.फूलों या फलियों का गुच्छा गुजार--संज्ञा पुं० [सं० गुज+पार] भारों की गूज । भन मनाहट ।

-(को०)।

3-जहँ वदावन यादि अजर जहें कुजलता विस्तार । गुंजा-संज्ञा पुं॰ [देश॰] सलई का पेड़ । तह विहरत प्रिय प्रीतम दोऊ निगम भृग गुजार।-सूर गुज---संधा बी० [देश॰] सलाह । राय ! 30-प्रजन कणेगढ़ ईखवा, (शब्द०)। ___धरियो गुज सधीर ।-रा० रू0, पृ०३५५ । गुजारना - कि० अ० [हिं० गुजार] भारों को गूजना । २. मधुर । गुजक'--संज्ञा पुं० [सं० गुजफ] एक प्रकार का पौधा कोगा ध्वनि करना। गुजक-वि० गुजन करनेवाला । भनभनानेवाला [को०)।..गुजारित-नि० [हिं० गुजार+इत (प्रत्य॰)] गुजाया हुआ। ग'जन--संवा स्त्री० [सं० गुञ्जर] १. भौंरों के गूजने की क्रिया । . गुजित । गुजाहल 'धु-संज्ञा पुं॰ [सं० गुजा+फल] गुजा । गुजा का वीज । कोमल मधुर ध्वनि निकालने की क्रिया । भनभनाहट । २. उ.-ग्रहर रंग रतन हुवइ, मुख कागज मसि बन्न । जोरायउ गुनगुनाने की क्रिया या स्थिति को०] ३.चिड़ियों का बसेरा गुजाहल अण्ड, तेण न दकउ मन्न |--डोला०, दू०, ५७२ ।। लेते हुए या प्रातःकाल चहचहाना (को०)। मुजिका-संज्ञा स्त्री॰ [सं० गुञ्जिका] घुघची [को०] । गुजना-कि० अ० [हिं० नु] भारों का भनभनाना। मधुर , गुजिया-संग्मा श्री० [हिं० गूज-लपेटा हुआ पतला 'तार] एक . ध्वनि निकालना । गुनगुनाना। उ० - सुदर वन कुमुमति अति प्रकार का जेवर जिसे औरतें कान में पहनती हैं। ... सोभा। गुजत मधुप निकर मधु लोभा । "तुलसी (शब्द०)। गुजी- वि० [सं० गुन्]ि गुजनयुफ्त । २.गूजनेवाला [को०)। गुजनिकेतन-संज्ञा पुं० [सं० गुज+निकेतन ] भीरा। मधुकर । गु --संशा खी० [सं० ग्रन्थि] उलझन । गुत्थी। उ०—कर उ०-अति मंजुल बंजुल · कुज विराजें। बहु गुजनिकेतन · · पुजनि साजे। केशव (शब्द०)। ___ दिखाया और को, ग्राप समान गुम। -दरिया० बानी, पृ. गुजर-संशा पुं॰ [हिं• गुजार] गुजार ।गुजन । गुमल -संधा स्त्री० [फा० गुज'लक, और गुरझन] झुरियो । .. गुजरण संज्ञा पुं० 1 गुञ्जन, हि गुजार] गुजार । गूज । .. उ०--तन गु'झल पड़ने लगी सूखन लागी आंत ।--सहजो . उ०--मधुर गुजरण भर, अब बहता प्राण समोरण सुख ते चंचल !--युगपथ, पृ० १४५। .. . गुंटा-संज्ञा पुं० [सं० कुरुड अयवादेश०] ताल । छोटा जलाशय । गुजरना--क्रि० प्र० [हिं० गुजार] १.गुजार करना । भौंरों गुठ-संञ्चा पुं० [देश॰] एक प्रकार का छोटा घोड़ा। टटू । टापन । . का गूजना । भनभनाना । मधुर ध्वनि निकालना। उ०, -और उ०---कोई किसमी भुठार फुलवाई।गरी गुठ जुम्मिल भांति कुंजन में गुजरत भौंर भीर और और झोरन में बौरन दरियाई ।---विधाम (शब्द०)1 . . + के हगए।--पद्माकर (शब्द०)। २.शब्द. करना। .... गठन - संज्ञा पुं० [सं० गुण्ठन] १. आच्छादन । ढक्कन । २:धूघट । ३.लेपन । जैसे,--भस्मगुठन (को०] । गरजना । उ०--वाघ सिंह गुजरत,? गज कुंजर तरु तोरत।- ' ... " केशव (शब्द०)। .. .. . ..... . गुंठा-संज्ञा पुं० [हिं० गठना ] एक प्रकार का घोड़ा जो नाटे कंद गुंजलक-संज्ञा स्त्री [फा०] १.गेंडुलो । . कुडली। २. कपड़ें आदि का होता है । दाँगन। .: : की शिकन । सिलवट । ३. उलझन की वात । 'गुत्थी। ४: गुठा-वि० [देश॰] नाटे कद का। नाटा । बौना।..... गांठ। ग्रंथि। गुंठित--वि० [सं० गुण्ठित] १.टका हुआ। २. छिपा हुआ। गुंजल्क-संज्ञा श्री० [फा० गुंजलक] कुडली या कुंडल । उ6-- ३.प्रावृत । ४. लेपन किया हुआ । लेपित [को०].! . .... चाँदनी०, पृ० १०८ । . , .. .. ....... गुड- संज्ञा पुं० [?] मलार राग एक का भेद । उ०--पिक वैनी मृग. गुजा---संशा सी० [सं० गुजा] १.घुघुची नाम की लता. ..: .. लोचनी सारद ससि सम तुड। राम सुर्यश- सब गावही सस्वर . विशेष- यह जंगल में झाड़ों पर चढ़ती है और इसकी फलियों सारंग गुड |—तुलसी (शब्द०)। ... . में से अरहर के बराबर खूब लाल दाने निकलते हैं । वि० दे० गुडर-मंशा पुं० [सं०] १. कसेरू का पौधा। २. पेपण। चूर्ण . ।। - 'घुघची'। करना (को०)।. . ... .. . । गुंजाइश-संश्रा पुं० [फा०] १. स्थान । जगह। अँटने की जगह। गुड-वि० पिसा हुमा । चूरा किया हुआ ।'