पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२३८

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गलटप्पा १३१५ गुलवकावली.. गुलटप्पा:- १. वह केंची जिससे चिराग का है| गुलदावदी-संग्रा लो हिगुल+हिं० दुपहरिया] १. एक गुलदार-वि० जिसपर गोल फूल के आकार के कुछ चिह्न बने . गुलतराश-संशा पुं० [फा०].१. वह कैंची जिससे विराग का गुल हों। फूलदार।। काटते हैं । २. वह नौकर जो चिराग का गुल काटता है । गुलदावदी-संघा की 1हि० गुलदाउदी] दे० 'गुलदाउदी'.... ३. वह कैंची जिससे माली लोग बाग के पौधों को कतरते , या गुलदुपहरिया-संघा पुं० [फा० गुल+हिं० दुपहरिया] १. एक . छाँटते हैं । वाग के पौधों को काटने छौटनेवाला मोली। ५: प्रकार का पौधा जो दो ढाई हाथ ऊँचा होता है।. .. ... संगतराशों का वह अौजार जिससे वे पत्थरों पर फूल पत्तियाँ विशेप-- इसकी एक सीधी डाल होती है और इसमें चारों पोर . बनाते हैं। टहनियां नहीं निकलतीं। इसकी पत्तियां लंबी और कटावदार . - विशेष--इसका आकार नहरनी का सा होता है और इसमें होती हैं और उनका रंग कालापन लिए हुए गहरा हरा लकड़ी का दस्ता लगा रहता है। गुलता-संज्ञा पुं० [हिं० गोल मिट्टी की बनी हुई वह गोली जो गुलेले २.इस पौधे का फूल जो कटोरे के ग्राकार का और गहरे लाल ...से छोड़ी जाती है। __ रंग का होता है। गुलतुर्रा--संज्ञा पुं० [फा०] कलगा नाम के पौधे का फूल जो गहरे विशेप-इसका घेरा एकहरे दन का होता है। यह फूल अधिक' : लाल रंग का होता है। मुर्गकेश । जटाधारी। धूप चड़ने पर फूलता है। कुछ लोग भूल से सूरजमुखी को गुलत्थो संज्ञा श्री० [हिं० गुलथी] उबाला हा चावल जो भात से भी गुलदुपहरिया कहते हैं। अधिक गीला और गला हो। . गुलदुम-संज्ञा [फा०] बुलबुल । विशेष—यह प्रायः बच्चों और पेट के रोगियों को दिया जाता है। गुलनरगिस-संधा ली [फा०] एक प्रकार की लता। . गुलथी--संचा सी० [हिं० गोल+सं० अस्थि] पानी ऐसी पतली वस्तुओं गुलनार---संक्षा पुं० [फा०] १. अनार या ‘फूल । २. एक प्रकार के गाढ़े होकर स्थान स्थान पर जमने से बनी हुई गुठलो का रंग जो अनार के फूल का सा गहरा लाल होता है। .' या गोलो। विशेष--यह रंग रेंगने के लिये कपड़े को पहले हलदी में पोर... मुलदस्ता-संधा पुं० [फा० गुलदस्तह] १.एक विशेष प्रकार से बांधा तब शहाब में रंगते हैं। हुना कई प्रकार के सुदर फूलों और पत्तियों का समूह जो ३. एक प्रकार का अनार। .... . ..... सजावट या किसी को उपहार देने के काम में आता है। फूलों विशेप-इसमें फल नहीं लगते, केवल बड़े बड़े सुदर फूल हो . i. . . का गुच्छा । २. वह घोड़ा जिसका अगला बांया पैर गांठ तक लगते हैं। ... सफेद हो और दाहिने पैर का रंग पिछले दोनों पैरों के रंग गुलपपड़ो-संवा स्त्री॰ [फा० गुल+हि. पपड़ी] सोहन हलुवे का . 1 के समान हो। तरह की एक मिठाई जिसे पपड़ी भी कहते हैं। विशेष-ऐसा घोड़ा ऐवी नहीं समझा जाता। . . गुलप्यादा--संधा पुं॰ [फा० गुलप्यावह ] सदाग लाव । ( इस गुलाब गुलदाउदी-संवा जी० [फा० गुलदाउदी] १.एक प्रकार का छोटा में महरू कम होती है।) ' पौधा जिसकी लंबी कटावदार पत्तियों में भी, उसके फल की गुलफानूस--संशा पुं० [फा० गुलफानूस ] एक प्रकार का बड़ा वृक्ष ।

भाँति हलकी भीनी खुशबू होती है - ..

.. जो शोभा के लिये लगाया जाता है।. . .. विशेष--कार्तिक अगहन में इसमें कई रंग के छोटे और बड़े गुलफाम--वि० [फा० गुलफाम ] जिसके शरीर का रंग फूल के .. ...... फूल लगते हैं जो देखने में बहुत सुंदर होते हैं। वर्षा के पानी समान हो । सुदर । खुबसुरत । में यह पेड़ नष्ट हो जाता है इसलिये लोग इसे गमलों में गुलफिरकी--संज्ञा स्त्री० [फा० गुल-हि. फिरको] एक प्रकार. का .. लगाकर छाया में रखते हैं। .. बड़ा. पौधा जिसमें गुलाबी रंग के फूल लगते हैं .. ... ..... गलफिश- विका० मुलकिशॉ.]१. फल विखेरनेवाला। २. ..:२.. इस पौधे का फूल । मधुर वात कहनेवाला । सुवक्ता । . गुलदान:-संशा पं: [फा०]:,गुलदस्ता, रखने का पान ।. .... ... विशेष---गुलदान प्रायः लंबोतरा और चीनी मिट्टी, काँच या गुलफिशा--संशा पुं०१ फुलझड़ी। २. गुलाव छिड़कने की शीशी .. इसी प्रकार के किसी और पदार्थ का बनाया जाता है। इसके गुलफिशानो-संक्षा श्री० [फा० गुलफिशानी] .१: फूल बरसाना । २. ... ऊपर शोभा के लिये अच्छा पालिश करके रंग बिरंगे बैल बटे मधुर यात का कथन । खुशवयानी। वना देते हैं। " गुलफु दना-संश पुं० [हिं० गोल-+फुदना] एक प्रकार की घास.जो .. खेतों में उगती है। गुलदाना-संक्षा पु०.[फा० गुलदानह ] दिया नाम की मिठाई ३ गुलबकावली--संज्ञा श्री० [फा० गुल+सं० वकावली] १. एक प्रकार जिससे लडडू भी बनते हैं। गुलदार--संशा ० [फा०] १. एक प्रकार का सफेद रंग का कबूतर विशेष-यह नर्मदा नदी के उदगम के पास अमरकंटक के वन में ! __ जिसपर लाल या काले रंग के छोटे छोटे कई चिह्न होते हैं। होता है। यह हल्दी के पेड से मिलता जलता है।... । २. एक प्रकार का कसीदा । ३. नीता . . .... २, इस पौधे का फूल ।।