पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/२७९

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१३५६ - गोललटू गोलो'.

गोललट्टू---संया पुं० [हिं० गोल+लट्ट ] जहाज के मस्तूल के महा0 गोला लाठी करना लड़कों के हाथ पैर बांधकर दोनों

सिरे पर की एक गोल लकड़ी जिसपर से पाल की रस्सियाँ घटनों के बीच में डंडा डालना। खींची जाती हैं। (लश)। .. विशेष—यह दंड मौलवी मकतबों में लड़कों को दिया करते हैं। - गोलवाल -संशा पुं० [सं० गोष्ठपाल] गायों के समूह का पालक । १५. एक प्रकार का वेत जो बंगाल और ग्रासाम में होता है। ... गोस्वामी । उ०---बुल्लाय जैत सिय गोलवाल । तुम भूमि पास ...: नागरह चाल -पृ० रा०, ११३८० । विशेप- यह बहुत लंबा और मुलायम होता है तथा टोकरे गोलविद्या मंगा स्त्री० [सं०] ज्योतिष विद्या का वह अंग जिससे आदि बनाने के काम में आता है। १६. गुलेल से चलाया जानेवाला गोला या बड़ी गोली। उ०- ..' पृथ्वी की गोलाई, प्राकार, विस्तार, चाल, ऋतुपरिवर्तन आदि वातें जानी जाय । आकाश के गोल पिंडों का हाल गोला लगै गिलोल गुम्, छुटै न तो इसरार ।-पृ० रा०, चाल जानना भी इसी के अंतर्गत है। ६।१६० । . गोलांगुल--संवा पुं० [सं० गोलाङ्ग ल] दे॰ 'गोलांगूल' [को०] । गोला-संशा श्री० [सं०] १. गोदावरी नदी। २. सहेली। सखी । गोलांगूल-संशा पुं० [सं० गोलाङ्गल] एक प्रकार का बंदर जिसकी ३. मंडल । ४. किसी चीज की छोटी गोली। ५. दुर्गा । ... पूछ गौ की यूछ के समान होती है । गोला@३-संक्षा पुं० [सं० गोल जारज.] गुलाम । दास । ३०- गोला'- संचा पुं० [हिं० गोल] १. किसी पदार्थ का कुछ बड़ा गोल गोला सू कीजे गुसट, कभी गिनका प्राण ।-बांकी० ग्रं, ...: पिंट। जैसे,-लोहे का गोला, रस्सी का गोला, भांग का भा०२, पृ०३। - गोला। गोलाई---संज्ञा स्त्री॰ [हिं० गोला+आई (प्रत्य॰)] गोल का भाव । ... महा.-- गोला उठाना एक प्राचीन प्रथा जिसमें लोग अपनी गोला पन । सत्यता प्रमाणित करने के लिये जलता हा प्रान का गोला। ...हाथ में उठा लिया करते थे, और यदि उनका हाथ न जलता - गोलाकार-वि० [सं०] जिसका प्राकार गोल हो । गोल शक्लवाला। था तो वे निदॉपसमझे जाते थे। गोलाकति'-वि• [सं०] गोलाकार । २. लोहे का वह गोल पिंड जिसमें बहुत सी छोटी छोटी गोलियां, गोलाकृति-संञ्चा मौ० [सं० गोल+प्राकृति] किसी वस्तु के गोल .. मेखें आदि भरकर युद्ध में तोपों की सहायता से शत्रुओं पर होने की स्थिति या भाव। "... फेंकते हैं। उ०—ढाहे महीधर शिखर कोटिन्ह विविध विधि गोलाधार-वि० [हिं० गोला+घार] भूसलाधार । गोराधार । ... ' गोला चले ।—तुलसी (शब्द०)। गोलाघ्याय-संज्ञा पुं० [सं०] भास्कराचार्य का एक ग्रंथ जिसमें भूगोल - क्रि० प्र०-चलाना।---छोड़ना ।-फेंकना । बरसाना । ___ ओर खगोल का वर्णन है। - विशेप-तोपों के आधुनिक गोले केवल गोल ही नहीं बल्कि लंबे गोलावारी-संद्या सी० [हिं० गोला+फा० वारी ] तोप से होने- भी बनते हैं। वाली गोलों की वर्षा । ३०-रात भर विकट, तीक्ष्ण, भीपण ... ३. एक प्रकार का रोग जिसमें थोड़ी थोड़ी देर पर पेट के अंदर गोलाबारी किले और बाहर पर की वुजों पर से हुई।- .. नाभि से गले तक वायु का एक गोला पाता जाता जान .. पड़ता है और जिसमें रोगी को बहुत अधिक कष्ट होता है। झाँसी०, पृ० ४०६। . वायुगोला। ४. खंभों के सिरों पर का कुछ चौड़ा गढ़ा हुमा गोलावारूद-संक्षा ली [गोला-+-फा० बाद] १. तोप के गोले और भाग। ५ दीवार के ऊपर की लकीर जो शोभा के लिये वारूद । २. युद्धसामन्त्री। ... वनाई जाती है। ६. भीतर से खोखला किया हुया बेल का गोलार्घ संशा पुं० [सं० गोलार्द्ध या गोला ] पृथ्वी का प्राधा .. फल या उसी प्रकार का काठ प्रादि का बना हुमा और कोई भाग जो एक घर से दूसरे ध्रव तक उसे बीचो बीच काटने से पदार्थ जो सुधनी, भभूत या इसी प्रकार की घोर कोई युकनी बनता है। रखने के काम में आता है। ७. मिट्टी, काठ आदि का बना गोलास-संशा गुं० [मं०] कुपुरनुत्ता। छत्रक [को०] ! - हना यह गोलाकार पिंड जिसके ऊपर रखकर पगड़ी बांधते गोला गोलासन-संघा पुं० [सं०] एक प्रकार की तोप को ।

हैं। जंगली कबुतर। ६. नारियल का वह भाग जो कार

गोलिंग-संथा. [सं० गोंलिङ्ग] कौटिल्य पधित प्राचीन काल की की जटा छीलने के बाद वच रहता है। गरी का गोला । १०. एक प्रकार की नाड़ी। ...... वह बाजार या मंडी जहाँ अनाज या किराने की बहुत बड़ी गोलियाना-मि० स० [हि० गोल ] १. किसी चीज को गोल । बड़ी दूकानें हों। ११. घास का गट्ठर । १२. लकड़ी का गोल पेटे का सीधा लंबा लट्ठा जो छाजन में लगाने तथा दुसरे आकार का करना या बनाना । फिमी पिंड या उदे से छोटी - कामों में ग्राता है। कांड़ी। वल्ला । १३. रस्सी, सूत ग्रादि छोटी गोलियां बनाना। २. सम पक्ष के लोगों को एक की गोल लपेटी हर्ट पिडी। १४ एक प्रकार का जंगली बॉस करना। गाल बांधना। जो पोला नहीं होता और छड़ी या लाठी बनाने के काम में गोली'---संका मो० [ हि गोला का और और पल्या०] १. किसी पाता है। चौज का छोटा गोताफार पिंट। बटिका । बटिया। जैन,-सत