पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ३.pdf/९०

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खीवन १९६६ खुखला | कहइ सुण कुरूंगा वणो ! मारू म्हाजी गोठणी, से मारूदा खूटफारी --वि० [हिं० खटा+फाड़ना] बहुत दुष्ट या पाजी। । . . सैण 1-ढोला०, दू०४३८ .... .. शरारती (बालक)। ........... खीवन-संज्ञा स्त्री० [सं०क्षीबन] मतवालापन 1 मस्ती। . खटिला-संज्ञा पुं० [हिं० दे० 'खटिला' । उ०-मनि कुंडल खुटिला खीवनि-संघा सी० [सं० क्षीवन] दे० 'बीवन' । २०-मेरे माई यो खटी।-जायसी नं०, पृ० ३२३ । | स्यांग मनोहर जीवनि । निरखि नयन भूले ते वदन छविया संज्ञा सोविंटी। एक प्रकार की दुब या घास जिसे - मधुर हुँमनि पं खीवनि । - सूर (शब्द०)। . .... चट्ट भी कहते हैं। . . . . . . खीवर--संक्षा पुं० [सं० क्षीब = मस्त] शूर । वीर। सुभट। . बड-संज्ञा पुं०/देश०] १.एक प्रकार की मोटो घास।। |.. वहादुर ।-(डि०)। ... विशेष-यह काली मिट्टी की भूमि में अधिकता से होती है। खीश--संधा पुं० [फा० से श] आत्मीय । स्वजन । 50---सवी खीश यह एक गज तक ऊँची होती है और इसका डंठल बहुत मोटा | . वेगाना हमसे खफा । जो थे वावफा हो गए बेवफा ।- होता है। सूखने पर तो कभी नहीं, पर हरी रहने पर कभी 'दक्खिनी०, पृ० २११॥ कभी पशु इसे खा लेते हैं । इसे गंड या गूनर भी कहते हैं । खीस'g-वि० [सं० किष्क = वध, नाश] नष्ट । बरवाद।- . २..एक प्रकार का पहाड़ी टट्ट, जिसे गु या गुंठा भी कहते हैं। |... सती मरनु सुनि संमुगन, लगे करन मख खीरा ।--मानस, " खंडला--संहा पुं० [सं० खण्डल] दटा फूटा घर । छोटा झोड़ा। खुदवाना-क्रि० स० [सं० क्षुण्णन] कुचलवाना । दबवाना । | महा-वीस जाना नष्ट होना । 30--कान्ह कृपाल बड़े .. रौंदवाना । '. . नतयाल गए खल खेचर खीस. खलाई।- तुलसी (शब्द०)। खदाना--क्रि० स० [सं० खुद] (घोडा) कुदाना। ... . खीस डालना=नष्ट करना । उ०-काहे को निगुण ज्ञान गनत खदी-संज्ञा स्त्री॰ [हिं०] दे० 'खूद:। ... | हो जित तित ढारत खीस । -सुर (शब्द०)। खुबी-संक्षा सौ. [हिं०] दे० 'खुमी, . . खीस-संथा की० [हिं० खोज] १. अप्रसन्नता। नाराजगी । २. खूभी-संशा सी० [हिं०] दे० 'मी'। ... ध । रोष । गुस्सा । .: . खभी-संचा बी० [हिं०] दे० 'खुमी' । उ०--पहिरे खंभी सिंहल खीस-संशा स्त्री० [हिं० ख्रिसमाना] "खिसियाना' का भाव। पी। जान भरी - कचपची सीपी ।—जायती ० (गुप्त), .:: लज्जा । शरम 1. कि.पं०-मिटाना । . . . खु प्रार-वि० [फा० स्वार].१. दुर्दशाग्रस्त । खराब । उ०- . खोस - संज्ञा स्त्री० [सं० कीश-बंदर नोंठ से बाहर निकले हुए दांत. ..नतरु प्रजा पुरजन परिवारू। हमहिं सहित सब होत .. मुहा०-बीस काढना, खीस निकालना, खीस मिपोरना=(१) : .. खुधारू। मानस, २ . ३०४। २. जिसकी कुछ भी प्रतिष्ठा . . . ढगे तौर से हँसना । (२) दोन होकर कुछ मांगना । (३) न हो। व इज्जत ।... . ... . __ मर जाना। - खुमारो@-संज्ञा स्त्री० [फा० : स्वारो] १. . वरवादी । खयाबी। । खीस-संथा सौ. [फा० खिसारह, बसारह] घाटा। हानि। नाश ! २. अनादर । अप्रतिष्ठा । वेइज्जती। , . क्रि० प्र० - उठाना !-पड़ना । खुक्ख-वि० [सं० शुष्म या तुच्छ, प्रा० छुच्छ] ४. जिसके पास । खास-संवा स्त्री० देशी गाय का वह दूध जो व्याने के पीछे सात ...... कनटोमा । खाली 10-लेम प्रचार समोर दिन तक निकलना है। पेउस. .. कितनी, कवि कोविद सब ख क्ख ।--पलटू०, भा० ३, पृ० । खीसा-संज्ञा पुं० [फा० कीसह] [ी अल्पा खीसी] १.थला । ११।२.(ताश के खेल में) जो खिलास हो गया हो। थलो। २.जेव । पाकेट । खलीता। ३. एक प्रकार की सक्खल- वि० [हिं० ब ल (प्रत्य॰)] शून्य । खाली। . :. कपड़े की थैली जिसे हाय में पहनकर लोग बदन साफ करते हैं। रिक्त । उ०-जब तक रुपयों पास है तब तक सब कुछ हैं और | ... क्रि० प्र० करना: खीसे से शरीर मलना । पखल हो गए तो घता बोल दी। सर०, पृ० २१॥ खोसा -संज्ञा पुं० [हिं० खोल ओंठ के बाहर निकले हुए दाँत । . । खोहाल-संज्ञा पुं० [हिं०] एक प्रकार का पक्षी । उ०-पिउ पिउ - खुखंड-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार की राई। | लाग फर पपीहा । वहीतही कर गडरूखीहा। जायसी ग्रं० खड़ा-सा पु० [हिका पख वह पेड़ जो घुन गया हो या जिसका . (गुप्त), पृ०. २६ । . . गूदा सड़कर निकल गया हो। | खरगो-संशा ली. [सं०डखणी] वीणा का एक भेद कोगा खुखड़ा-संशा को दिश०] १. तकुए पर चढाकर ऊपर लपेटा ।'! ख गाह-संत्रा पुं० [सं० खङ्गाहा काले रंग का घोड़ा [को०] 1 सूत या ऊन जो वुनने के, काम पाता है। कुकड़ी। २. एक व कढ़वा-संशा ० [हिं० जूट+काढ़ना] कान की मैल निका-... प्रकार की बड़ी छुरी जो प्रायः नेपाल में बनती है । ३. बाग । .. लनेवाला । कानमलिया !. . को तर व्यवहृल घास का सुखा डंठल । खुखला--वि० [हिं०] दे० 'खोखला'। ..