पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१०६

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जाही जिस तंत जाही--ममा स्त्री० [ म० जाती] १ चमेली की जाति का एक प्रकार जिदादिली-सक स्त्री० [फा० जिदहदिली] प्रसन्न रहने पोर मनो- फा सुगधित फूल । २. एक प्रकार की प्रातिशबाजी। विनोद करने का मावा जाहय- सबा पुं० [म० एफ व्यक्ति का नाम जिमकी रक्षा पश्विन जिंदाबाद' -भव्य० [फा० जिदहबाद] चिरजीवी हो । जीवित हो। करते हैं [को०] यौ०-इनकालाय जिदायाद = क्राति चिरजीवी हो। जाह्नवी-सहा स्त्री [40] जह्न ऋषि से उत्पन्न, गगा। जिंस-पना स्त्री० [फा०] १ प्रकार । किस्म । भौति । २ वस्तु । जि -सर्व [हिं० जिन ] जिसने । जो। द्रव्य । ३ सामग्री। सामान । ४ अनाज। गल्ला । रसद । विशेष—'जिन' का यह रूप प्राचीन हिंदी काव्य में मिलता है। यौ०-खिसवार । जिंक-सझा स्त्री० [अ० जिंक ] जम्त का क्षार ! ५ मामरण । गहना (को०)। ६. लिंग (को०)। ७ जाति (को०)। ८ परिवार (को०)। १. वर्ग (को०)। १०. पण्य विशेष—यह खार देखने में सफेद रंग का होता है धौर रंग द्रव्य या व्यापारिक वस्तु (को०)। ११ असवाब (को०)। रोगन और दवा के काम में प्राता है। यह क्लोराइड ग्राफ १२ व्यवहार गरिणत (अकगणित)। जिक, वा सलफेट प्राफ जिक को सोडियम, बेरियम धा कैलसियम सलफाइड मे घोलने या हर करने से बनता है। यो०-जिंसवाना=मडारगृह । सलफाइड के नीचे तलर बैठ जागा जिसे निकालकर जिंसवार-सहा पुं० [फा०] पटवारियो का एक कागज जिसमे वे सुखाने के ब द लाल आंच में पाकर ठह पानी में वुझा लेते अपने हलके के प्रत्येक खेत मे वोए हुए अन्न फा नाम परताल है। इसके बाद वह खरल में पीसी जाती है और बाजारो करते समय लिखते हैं। में विकती है। इसे सफेदा भी कहते हैं। गुलाबजल या पानी जिवाना-फ्रि० स० [हिं० जेवना का सक० रूप] दे० 'जिमाना' । में घोलकर इसे पाखों में डालते हैं जिससे माख की जलन पौर जि-सज्ञा पुं० [म. जि ] पिशाच [को०] । दद दूर हो जाता है। जिथ -सज्ञा पुं० [सं०जीव, प्रा० जिम] दे० 'जी'। उ०-राम यो०--जिक प्राक्साइट। मगति भूपित जिम जानी। सुनिहहिं सुजन सराहि सुवानी। जिंगनी-उठा ली० [सं० जिङ्गनी ] जिगिन का पेड। . —मानस, १ । जिंगिनी--मया सी० म० जिझिनी दे० 'जिगनी। जिअन -सहा पुं० [हिं०] दे॰ 'जीवन' । उ०-मरन जिमन जिंगी-मासी [ स० जिङ्गी ] मजीठ को। एही पंथ एही पास निरास । परा सो गया पतारहि तिरा सो जिंजर-सञ्ज्ञा पुं० [१०] मदरख से बनी एक प्रकार की पेय । गया कविलास 1-जायसी प्र० (गुप्त), पृ० २२६ । उ.- खन्ना ने जिजर का ग्लास खाली करके सिंगार सुल- जिसीलगान-~समा पुं० [हिं० जिसी+लगान] जिस के रूप में ली गाई। गोपान, पृ० १२७ । जानेवाली लगान । फसल के रूप में ली जानेवाली लगान । जिन-समा पुं० [सं० जीवन] जीवन । जीवन की पद्धति । १०- जिंद'- ससा पुं० [अ० जिन या जिग्न ] भूत प्रेत ! मुसलमान भूत । दे० 'जिन'। जिप्रन मरन फलु दसरथ पावा। मड भनेक प्रमल बसु जिंद-सचा पुं० [हिं० जद ] दे० 'जद'। छावा ।- मानस, २०१५६ । जिअना-सधा पुं० [सं० जीवन जीवन । जिंद- सच्चा श्री० [ देश०] दे० 'जिदगी'। उ०-दे गिरद गिरवा हूवा वे जिद असाडी छीनी है।-घनानद, पृ० १८० । जिअनाg -क्रि० स० [हिं० जीना ] दे० 'जीना'। जिभाना+-कि० स० [हिं०] दे॰ 'जिलाना' । उ०-तासौं वैर कबई जिंदगानी-राज्ञा स्त्री॰ [फा०] जीधन । जिदगी। नहि कोज । मारे मरिय जिमाए जीज।-तुलसी (शब्द०)। जिंदगो-सा स्त्री० [फा०] १ जीवन । जिउँ -अध्य० [सं० यथा; अप० जिवे ] दे० 'ज्यौं' या जिमि'। मुहा०--जिंदगी से हाथ धोना= जीने से निराश होना। . उ०-ॐ ची पढ़ि चातृ गि जिउँ, मागि निहाला मुष्प ।- २ जीवनकाल । आयु। ढोला०, दू० १६।। मुहा०-जिदगी का दिन पूरा करना वा भरना = (१) दिन काटना। जिला-सबा पुं० [सं० जीव ] दे० 'जीव' । जीवन विताना । (२) मरने को होना । प्रासनमृत्यु होना। जिनका-सा स्त्री० [सं०बीविका 'जीविका'। जिंदगी का दुश्मन होना = जिंदगी देना । मौत के मुंह मुह जिकिया-सज्ञा पुं० [हिं० जीधिका वा जिनका] १. जीविका में जाना 1 30-हाथी पाया ही चाहता है क्यों जिंदगी के करनेवाला। रोजगारी। २ पहाडी लोग जो दुर्गम जगलों दुश्मन हो गए।- फिसाना०, भा० ३, पु. ८६ । मौर पर्वतों से अनेक प्रकार की व्यापार की वस्तुएं, जैसे,--- जिंदा-वि० [फा० जिंदह ] १. जीवित । जीता हुना। चंवर, कस्तूरी, शिलाजीत, शेर के बच्चे, तथा जडी बूटी मादि यौ०-जिंदादिल । जिंदाबाद अमर हो । ले भाकर नगरों मे बेनते हैं। २ सक्रिय । सचेष्ट (को०) ! ३ हराभरा (को०)। जिउ तंत -सचा पुं० [सं० जीव + तत्त्व ] जी का तत्व । जी जिंदादिल-वि० [फा० जिदहदिल ] [ सहा जिंदादिली ] खुश की बात । उ०-जेति नारि हसि पूहि ममिय वचन जिदा मिजाज। हंसोड़ 'दिल्लगीबाज । विनोदप्रिय। सत -बायसी ग्र०, पृ० १६४।