पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१४३

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१७८६ जूरिस्ट जूहारना जूरिस्ट-सच्चा पुं० [अं॰] वह व्यक्ति जो कानून, विशेषकर दीवानी जूवा-सया . [ हि० वमा ] दे॰ 'जुमा' । उ०-टौडा तुमने लादा कानून मे पारंगत हो । व्यवहार-शास्त्र-निपुण । भारी। वनिज किया पून वेपारी जूवा सेला पूजी हारी। पत्र चलने की भई तयारी।--कवीर श०, मा०१. पु०६ । जुरिस्डिक्शन-सा पु० [अ०] वह सीमा या विभाग जिसके अंदर पाक्ति या अधिकार का उपयोग किया जा सके। जैसे, वह स्थान जूवा --वि० [हिं०] दे॰ 'जुदा'। उ०-नामरूप गुन जूना जूना पुनि इस हाई कोर्ट के जरिस्टिक्शन के बाहर है। व्यवहार भिन्न ही ठोट । -सुदर ग्र०, भा०१, ०७३ । जूरी'-नानी [हिं० जुरना ] १. घास, पत्ती या टहनियों का जूप-संना ई० [१०] १ किसी उबाली या पकाई हुई वस्तु का पानी। एक बँधा हुमा छोटा पूला। जुटी। जैसे, तमाखू की पूरी। झोल । रसा । २ उदासी या पकाई हुई दाल का पानी। २ सूरन आदि के नए कल्ले जो बंधे हुए निकलते हैं। ३. एक जपण-संश पुं० [सं०] चाय नामक पेड जो फूलों के लिये लगाया पफवान जो पौधों के नए बंधे हुए को को गीले वेसन में जाता है। लपेटकर तलदे से बनता है । ४ एक प्रकार का पौधा या माड जूस-सपा पुं० [सं० जूप ] १ मूग भरहर मादि को पकी हुई जिससे क्षार बनता है। दाल का पानी जो प्रायः रोगियों को पथ्य रूप में दिया चिशेप- यह पौधा गुजरात, कराची मादि के खारे दलदलों में जाता है। होता है। मुहा०-उस देना- उवलो हुई दाल का पानी पिलाना । जूस जरो ससा स्त्री॰ [अं॰] वे कुछ व्यक्ति जो मदालत में जज के साथ लेना=(१) उपली हुई दाल का पानी पीना। (२) रोगी का चैठकर खून, दाकाजनी, राजद्रोह, पढ़यंत्र घादि के संगीन सशक्त होकर खाने पीने लायक होना। मामलों को सुनते और अंत में अभियुक्त वा अभियुक्तो के २. उवली हुई चीज का रस । रसा। अपराधी या निरपराध होने के संबंध में अपना मत देते हैं। क्रि० प्र०-फादना। निकालना। पच । सालिस । जैसे,—जूरी ने एकमत होकर उसे चोर जूस--समझ पुं० [फा० जुफ्त, तुलनीय सं० युक्त ] १. युग्म संख्या। चताया तदनुसार जज ने उसे छोड दिया । __ सम संख्या । ताक का उलटा । जैसे,-२,४,६,८। विशेष-जूरी के लोग नागरिकों में से सूने जाते हैं। इन्हें देतन यो०-जूस ताफ । नहीं मिलता । खचं मर मिलता है। इन्हें निष्पक्ष रहकर जूस ताक-सदा . [हिं० जूस+फा० ताक ] एक प्रकार का जमा न्याय करने की शपथ करनी पड़ती है। जब तक किसी मामले जिसे लड़के सेलते हैं। की सुनवाई नहीं हो लेती, इन्हें बरावर अदालत में उपस्थित विशेष-एक लड़का अपनी मुट्ठी में छिपाकर कुछ कौड़ियों से होना पडता है। भौर देशों में जज इनका बहुमत मानने को लेता है और दूसरे से पूछता है-'जूस कि ताक ?' मर्यात बाध्य है और तदुनमार ही अपना फैसला देता है। पर कौड़ियों की संख्या सम है या विषम? यदि दूसरा लडका हिंदुस्तान में यह बात नहीं है। हाई कोर्ट और पीफ कोर्ट को ठीक बूम लेता है तो जीत पाता है और यदि नही बुभवा छोड/र, जिले के दौरा जज जूरी का मत मानने के लिये तो उसे हारफर उतनी ही कोडियो वुझानेवाले को देनी पड़ती बाध्य नहीं हैं। पूरी से मतैक्य न होने की अवस्या में वे मामले हैं जितनी उसकी मुट्ठी में होती है। हाई कोर्ट या चीफ कोर्ट भेज सकते हैं। जूस वाखा-सचा . [ हि० जूस +फा० ताक ] दे॰ 'सूस ताक'। जरीमैन-सा पुं० [अ०] दे० 'जूरी। उ०-घसन के दाग घोचे, नखथत एक टोवे, चर ते पुरी को जूरू-गाय पं० [हि] दे॰ 'जूर'। खेल एक लस ताव है।-भारतेंदु ग्र०, भा॰ २, पृ० १६१। जूर-तचा पुं० [सं०] एक प्रकार का तृण । जूसी-सबा ली [हि. म ] यह पादा लसीषा रस जो ईख के पर्या-उजूक । उन्लप । पकते रस को गुट के रूप में ठोप होने के पहले उतारकर रख जमख्व स पं० [सं०] १ तृणविशेष । २ कुपा । दर्भ [को०)। देने से उसमें से छूटता है । वान का पसेव । चोटा । छोचा। जुह जूहयमा पु. { ० ] देवधान्य । -मष्टा पुं० [सं० यूथ, प्रा० शुद्ध मुद्ध। समूह। 30-(क) टर उह वजै उमर, सूद जुगिनि जुरि नाची।-हम्मीर०, जणि पो०] १ ग। २ धादिस्य । ३ वेद । ४. ब्रह्मा। पु. ५% 1 (प) एकति धार तासु पर दान्दि गिरि तक ५. प । ६ स्तियों का एक रोग। प्राग्नेयास्त्र (को०)। एह ।-मानस, ६६५ जतिर--२०१. वेगात वेगवान । ज । २ द्रवित । गला हुआ। जहर- पु [फा० ओहर या दि. जीव+हर ] राजपूतों की "नार देनवाया। 4 स्तुति करने मशल । एक प्रथा जिस अनुसार दुर्ग में शगुफा प्रवेश निश्चित जान जूर्ति - [ #० ] १, बर । २. त. । गरमी (को०)। स्लियो चिता पर बैठकर पल जाती थी भोर पुरुष दुर्ग के बाहर लाई पगुलाई ] ३० "जुनाई। लटने के लिये निकल पड़ते थे। वि० दे० 'बौहर'। देश पर। 30-इम पतसाह मुणे भकुलायो। नहारना -मि० [हिं० जहारना ] . "नहारना'। 10.- पहिण पर तल पाचौ रा. 5०, पृ. ६४॥ सासू बहारवा चान्यो,छा राई ।-ची. रासो, पृ. २६ ।