पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१४५

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- जेवि . . .) १.- 13. ., जारी । परबत प्रोहि रहा रखवारी।--जायसी ग्र० (गुम), मुहा०-जेठा रंग- वह रग,जो कई वार की रगाई, में सबसे पृ० २५६ । . . प्रतिम बार रंगा जाय। - मा .in - जे -सर्व० [हिं०] दे० 'जो। ' । जेठाई-सया ,बी० [हिं० जेठा-] जेठ होने का भाव या-दया। जे-कि० वि० [हिं०] २० 'ज्यो" 130-टपकै महुव मासु उस परई।। बहाई जेठापन । -- htी . - होमहुवा बसत जे झरई।-जायसी प्र०, पृ० २५६ जेठानी-सश स्त्री० [हिं० जेठ] जेठ को सपो।पनि के. बड़े भाई " की स्ली- जेउ, जेऊ@t-सव० [हिं०] दे॰ 'जो' जेठी-वि० [हिं० जेठ+ई (प्रत्य॰)].१, जेठ सबधी । जेठ का। जेज -सक्षा श्री. [हि. भैर] देर । विलव। उ०-जन रामा - जैसे,-जेठी धान । जेठी कपासः। २. बड़ी पहनी। ' ... अब जेज न कीजे सतगुर जान 'जगावै हो।-राम० धर्म, - पृ०२४८ । जेठी-सक्षा स्त्री. १. एक प्रकार की कपास जो जेठ-में पकती मोर फूटती है। जेम-सप्या स्त्री० [हिं० झेर ] विलय। देरी । 30-धरी बात घासा जेझ विसरी जिण सायत ।-रा० रु०, पृ० ३३६ । विशेष-इसे बरार या विदर्भ में टिकड़ी या जूही मौर -काठिया- वाह मे गंगरी,कहते हैं.1. --.. जेट'-सशास्त्री० [सं० यूय] १ मह यूय । देर । २. रोटियों की २. जेठानी। 30-जेठी पठाईगई दुलही हंसि हेरिहर मतिराम वही। ३ मिट्टी के परतनों या वह समूह जिसमें वे एक दूसरे के ऊपर रहे हों।४ गोद । कोरा। वुलाई।- इतिहास, पृ२५४1:14 : - जेठी-सबा पुं० बोरी नाम को धान जो चैत में नदियों के किनारे जेट-सचा पु० [अ०] एक प्रकार का वायुयान । वोपा पौर 'जेठ मे काटा जाता है। जेटी -माको [.] नदी या समुद्र के किनारे पर बना हुमा बह - बडा चबूतरा जियपर से जहाजों का माल चढ़ायामोर जेठी मधु-सभा सी० [मक यामधु] मुलेठी।। 11. -.:. . उतारा जाता है। -. जेठुआ-वि० [हिं०] दे 'जेठी"T-TF 17.:.. जेठंसा-समा ०.[ सं० ज्येष्ठ + प्रश] पैतृक सपत्ति में बडे भाई.की जेठीत-समा पुं० [१०' ज्येष्ठ पुत्र][स्त्री जेठीतो] १ जेठ का लडका। बड़ा हिस्सा! TEE - .- .- पति के बड़े भाई का पुत्र । जेठानी का पुत्र '२. पति का 5-oft .' 'बडा माई । भसुर। जेठसोो-वि० [सं० ज्येष्ठाशिन् ] पैतृक संपत्ति में बड़े भाई की। हैसियत से बड़े हिस्से का भधिकारी। , - - - - जेठौता-सा महि० जेठोता है जेठोत" 'T') जेठ-समा . [ ज्येष्ठ ] एक चांद्र मास जो-वैसास मोर जेता-वि० [हिं॰] दे० 'जितना'। उ०-जेत बराती मी मसवारा । । प्रसाद के बीच में पता है। " .. .] माए मोर सब चाल निहारा।-जायसी I (गुप्त), विशेष-जिस दिन इस मास की पूणिमा होती है उस दिन चद्रमा पु० ३११। ज्येष्ठा नक्षत्र में रहता है, इसी से इसे ज्येष्ठं या जेठ कहते हैं। जेतक -वि० [हिं०] दे० 'जितना। उ-जेतक नेम धरम किए . यह ग्रीष्म ऋतु का पहला भौर सवत् का तीसरा मास है। री मैं बहु विधि प्रग भग भई में तो नवन मैई 'री।-नद सौर मास के हिसाब से जेठ धूप सक्राति से प्रारंभ होकर ग्र०, पृ० ३४५। i.. मिथुन सक्राति तकारहता है। जेतना -वि० [हिं० जितना] दे० 'जितना'। '३०-निषु महि २.[ी० जेठानी ] पति का रहा भाई । भसुरं। पूर मयूखन्हि रवि तप जेतनेहि कार । मागे वारिद देहि जेठ-वि० मग्रज । बढ़ा। -जेठ स्वामि सेवक 'लघु भाई। यह जल रामचंद्र के राजा-मानस, ७.२३ ।' । दिनकर कुल रीति सुहाई।-तुलसी (शब्द०) 1.- जेतवारु-सना पु० [हिं॰] दे॰ 'जैतवार। जेठरत-सज्ञा पुं० [हिं० जेठ+ उत (प्रत्य॰)] पति का बढ़ा जेता-वि० [सं० जेतृ]..१.. जीतनेवाला । विजय . करनेवाला । 1 37 - im -विज्यो! - जेठ - विहिक रा(प्रत्य॰)] दे० जेठ' (वि.)' जेता-सधा ०.[मं०], विधा। जेठरतसचा पुं० [हिं० जेठरा+ ऐत (प्रत्य] गाँव का मुखिया जेताल-कि.वि.स.यावत् जितना जेठरेता-वि. ज्येष्ठ । डा। 1-17 -~: मी . जेता -वि० [हिं० जिस+तना (प्रत्य॰)] जिस मात्रा का । जिस जठरैयत--तमा पु० [हिजेटरिंगत गांव का मुखिया, परिमाण का। जितना। ३०-संकलदीप मई जेनी रानी। जिसकी धमति के अनुसार गांव के सब लोग कार्य करते हों। तिन्ह महें दीपक बारह वानी जायसी (शब्द०)। जेठवा-शा पुं० [हिं० जेठj एक प्रकार को कपास जो बेठ में तैयार जेतारल+-समा ६० [हिं०] दे० 'जता होती है। इसे मतवा भी कहते हैं । वि० ३० 'मुलवा । 'जेति वि० [हिं० जितना जितना । उ० हूँ ,रग बह जानति जेठा-वि० [सं० ज्येष्ठ] [वि० श्री जेठो मजा बड़ी ३. सबसे लहर जेति समुद। पै पिप को चतुराई. सक्कि न एको बुद। उराम । सबसे अच्छा 1 5 . जायसी प्र०, (गुप्त), १०.३११ ,~ भाई। 3