पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१८२

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पटना १९२ झप्पर झपटना-कि.म. से झम्प (= कूदना)] १, किसी (वस्तु झपसना-क्रि० [हिं० अपना (=ढंकना) 7 सदा या पैर की या व्यक्ति)को पोर झोक के साप बढ़ना। वैग से किसी की डासियों का खूब धना होकर फैनना। पेड़ या लदा मादि का पोर पलना। २. पकड़ने या भाक्रमण करने के लिये वेग से गुजान होना । जैसे,-यह लता खूब झपसी हुई है। बढ़ना । टूटना । धावा करना। झपाक-क्रि. वि.[हिं. झप] पलक भांजते । चटपट । उ.- महा०-किसी पर झपटना- किसी पर माक्रमण करना । जैसे, कोरिपाक मपटि जर समय गवाई। नहिं समुफत निज बिल्ली का चूहे पर झपटना । मूल मष दृष्टि छिपाई।--मोसा.,पू.८७॥ मपटना-क्रि० स० बहुत तेजी से रखकर कोई भीष ले लेना। भपाका'-सम पुं० [हिं० झप] शीघ्रता। जल्दी। झपटकर कोई चीज पकड़ या छीन लेना। -जैसे, तोते को झपाका-कि. वि. जन्थी से। शीघ्रतापूर्वक। बिल्ली झपट ले गई। संयोकि०-लेना। झपाटा-कि० वि० [ प] भटपट । तुरंत। शीघ्र ही। झपटाना-समालो.[हिं० पटना] झपटने का क्रिया। झपाटा-संज्ञा पुं॰ [हि. झपठ] चपेट । माक्रमण । दे. "झपट' । मपटाना-क्रि० स० [हिं० झपटना का प्रे०रूप] धावा कराना। झपाटा-क्रि० वि० [18. झपाटीघ्र । झटपट । माक्रमण कराना । हमला कराना । इश्तियालक देना। वार मपाना-कि० स० [8. झरना].. झपने का सकर्मक रूप। कराना । लड़ने को उभारना। उसकाना । बढ़ावा देना। किसी मुखना या बंर करना (विशेषतः प्रांतों या पलको का) । को झपटने में प्रवृत्त करना। २. झुकाया । ३ दे. 'झिपाना'। झपट्टा-संधी [हि. झपटना ] दे॰ 'झपट । झपाव-संशा पुं० [देश॰] घास काटने का एक प्रकार का पौजार। क्रि०प्र०-मारना । मपावना-कि. स.हि. झपामा छिपाना। गोपन करना। यौ०-झपट्टामार-झपट्टा मारनेवाला । झपटनेवाला। 3०-बदन झपावए भसकत भार, पादमडल अनि मिलए मंधार ।-विद्यापति, पृ.३४.। मपताल-संज्ञा पुं० [20] संगीत में एक तास जो पांच मात्रामों का होता है और जिसमें चार पूर्ण और दो प्रषं होती है। झपित-वि० [हिं. झपना] १. झपा हुमा । मुदा हुमा । २. इसमें तीन माघाट मौर एक खाली रहता है। इसका प्रदंग जिसमें नींद भरी हो। झपकोहा या उनींदा ( नेत्र)। ३ का पोल यह है- लग्जिट । लज्जायुक्त । लजालू । 30--कवि पदमाकर छकित + २ . + झपित झपि रहत गंचन। -पदमाकर (शब्द॰) । पाग, धागे ने, तटे, धागे, ने पा । और .इसका तबले का बोस मपिया-मक्ष बी. देश.] १. गले में पहनने का एक प्रकार यह है-घिन था, घिन घिन षा, देत, ता तिन तिन का गहना। ता।पा। विशेष—यह गहना हसुनी की तरह का बना होता है और इसके मपना -समासी• [हि.] झपने या मुदनेवाली वस्तु। पलक । सोने या चांदी के बीच में एक की जा रहता है। यह उ०-भगमपुरी की संकरी गलियों मड़बड़ है पश्चना । ठोकर गहना प्रायः रोम जाति को लिया पहनती हैं। लपी गुर ज्ञान शब्द की उघर गए झपना |--कबीर. . २. पेटारी। पच्छी। भा०१, पृ०६७। झपना-क्रि.प. [ मनु० ], (पलकों का) पिरना। (पमों मपेट- संवा श्री. [ हिं. झपट ] दें. झपट'। का) रद होना। २.(माखे) झपकना या बद होना । मुकना। झपेटना-क्रि० स० [अनु॰] पाश्रमण करके दवा सेना। बपेटना । ३. लज्जित होना । भैपना । झिपना। बोपना। छोप लेना। ३.-सहमि सुखात बात जात की मपनी--एक बी.देख०1१.टकना। वह जिससे कोई पीज सुरति करि लवा ज्यों सुकात तुलसी झपेटे नागके।-सुलसी ढकी जाय । २. पिटारी। .५.१३ झपलेया-पानी. .] पोला' । १०--प्रस कहि झपलेया झपेटा- पु. [ मनु.].पपेट । झपट । भाक्रमण । २ भूत- विखरायो। शिलपिल्ले को दरस करायो ।-रघुराज (चन्द०)। प्रेतादित बाषा या माक्रमण। ३ झा का मोंका। झपचाना-कि० स० [अनु.] झपाना का प्रेरणार्थक प किसी झकोरा-(स.)। को झपाने में प्रवृत्त करना। कपोला-संक्षा पुं० [हि.][.मल्पा० झरोली] दे० 'झेपोला। झपस-सा स्त्री० [हि. झपसना] १. गुजान होने की क्रिया ग झपोली- मला खी• [ हिं• ] झेपोला का पस्पार्थक। छोटा झपोला ___ भाय ! २ कहारों की परिभाषा मे पेड़ की झुकी हुई गल। या झावा । अपोली। विशेष-इसका व्यवहार पिछले कहार को पागे पेड की हाल मप्पड़-संशपुं० [अनु.] झापड़ा थप्पड़ होने की सूचना देने के लिये पहला कहार करता है। झम्परा-संशा पुं० [अनु.] १.३. 'झप्पर । २. मार। पोट । झपसट-राशा श्री [अनु.] १. घोसा। दवसट । कपट । १२ उ.-दोनो मुहीम को भार बहादुर ढागो सहै क्यों गयंद को एक पाली। झप्पर !-मवरण पृ०७१।