पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/१९८

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मिंगो मिड़कना लग्गि । मनो पुच्छ परि झिगिनियो, करत राखि निसि बग्गि। बरुनीन ह नैन झिकै मिझिके मनो वजन मीन पे जाल परे। --पु० रा०,८।४३ । –ठाकुर (शब्द॰) । मिंगी-संह सो• [सं०मिती] दे० 'झिगिनी'। भिखनाल-कि० प्र० [हिं०] टिमटिमाना । २०-मसकत झिझिा -वि० [ देशी ] प्रत्यत क्षीण । दुर्बल । बगत्तर टोप झिरी । रसचाह निसा प्रतिव्यब रखे ।--रा..., पु० ३४। मिमिम--सज्ञा पुं० [सं० झिझिम ] जप्तता हुमा वन (को०] । मिखना --कि० म.हि. भीखना २० "झीखना'। उ०- मिझिया-सा बी० [अनु॰] दे॰ 'झिझिया भोर अगि प्यारी पथ ऊरध इ सी मोर माखी खिझि झिरकि झिझिरिस्टा-सबा खी• [सं० झिझिरिष्टा ] मिझिरिटा नामक उघारि अष पलके ।--पग्राफर (शब्द०)। क्षुप। मिगड़ा-सया पुं० [ मनु० ] दे॰ 'झगड़ा' । सिकिरीटा-सद्या स्त्री० [सं० झिझिरिस्टा ] एक प्रकारका क्षुप।झिरामि - विftoझिलमिल 1 दे० 'मिषमिल' ! उ०-दोस मिमी-सहा सौ. [ सं० झिझी ] झिल्बी। कोंगुर । रहधा दिल माहि दर्शन सोईदा। साई दा साई दा झिगमिय झिंझोटी-सहा स्त्री॰ [देश०] सपूर्ण जाति की एक रागिनी जिसमे झाई दा । -राम• धर्म०, पृ. ४६ । सब शुद्ध स्वर लगते हैं। यह दिन के चौथे पहर में गाई झिगरा.झिगरो-स) [ पनु.] झगडा । कमट । ३०- खाती है। समुझिय जग जननें को फल मन में, हरि सुमिरर मे दिन मिंटी-सका सी० [• झिस्टी ] कठसरैया। पियाषासा । - भरिए। झिारोबहरो घेर घनेरो मेरो तेरो परिहरिए।- मिकवा-सबा . [ देश० ] दे० 'झोंका'। उ०--घोसे चलु जैतवा, भिखारी० न., भा० पू० २२६ । झफि लेह झिकवा, देवस मुखल भैया पाहन रे की।-कबीर झिमक-सधा बी० [ मनु.] दे० 'झझ' । (शब्द०)। मिमकना--कि. म.[हिं० झझक, झिझक ] दे॰ 'झमकना। मिगनी--सना स्त्री॰ [हिं० ] तरोई । तुरई । उ०--वहाँ साँचे चलें तजि प्रापुनपो झिझके कपटी गो निसाक मिंगवा-सका स्त्री [सं० भिड्द, झिङ्गट] एक प्रकार को छोटी नहीं । -घनानद (शब्द०)। मछली जिसके मुंह पर पूछ के पास दोनो तरफ बाल झिझकार-सबा खी० [ मनु.] ३. 'झझकार'। होते हैं। झिझकारना-क्रि० स०अनु०] १.३०. झझकारना' 130- मिगारना -कि०म० [हिं० झीगुर या झनकार ] झींगुर का वोही ढंग तुम रहे कन्हाई सबै उठी झिझकारि । लेहु पसीस सवन के मुख ते काहि दिवावत गारि !--र (शब्द॰) । २. शब्द होना । झींगुर का शन्द करना । दे० 'झटकना'। ७०--रसना मति इत नैना निजगुन लीन । मिगली -सश सो. [ हिं. मगा ] छोटे बच्चो के पहनने का कर तें पिय झिझकारे मजुगति कौन । -रहीम (शब्द०)। कुरता। झगा। उ०-पीत झोन झिगुली तन सोही। झिमकी-सहा स्त्री० [हिं०] दे० 'झझक'। उ.-मुकि भाकत झिझकी फिल कनि चितवनि मावति मोही।-तुलसी (शब्द०)। करति, उझकि झरोखनि बाल ।-प्र० प्र०, पृ० २। हिंगोरनाg-f० म० [सं० झङ्करण ] झकार करना । कूकना झिमिकg -सस थी. [हिं० ] दे॰ 'झझक' । णवाज करवा । पिहना। 30--₹गरिया इरिया हुमा वणे झिमिकनाg/fr. प्र.हि. झिझक+बा (प्रत्य॰)] 3.-- झिंगोरया मोरण रिति तीराइनीसरह, जाधक, चातक, पश्नीन है नैव झिकै झिझिके मनो खंबन मोन पै वामे परे । पोर।-होला०, ३० २५३।। -ठाकुर (शब्द०)। मिझिg--वि० सी. देशी ] झोनी। अश्यत क्षीण। उ०-काहि मिमिया-सखा स्त्री० [मनु० दे० मिमिया'। कधीर किहि देवह खोरी। जब पलिहह झिमि पासा तोरी। मिमोड़ना-कि० स० [पनु०] दे॰ 'झकझोरना। उ.-से -हबीर बी०, पृ० २८२ । झिमोड़कर उसने हिला दिया, क्योंकि मधुबन का वह रूप मिमिया-सका सौ. [अनु० ] छोटे छोटे छेदोवाला वह घड़ा देखकर मैना को भी भय भगा |--तितली, पु. १८९। जिसमे दीया बाय कर कुमार के महीने में लड़कियाँ घुमाती झिटका-सा पुं० [हिं०] १. 'झटका' उ.-एक झिटका सा सगा है। 3०-वायरन मग ह्र कड़े तिय तर दोपति पुष। सहर्ष । रिबने नगे लुटे से, कौनमा रहा यह सुदर पगोत? झिझिया कसो घट भयो दिन ही में परफुज।-मतिराम कुतुहल रहन सका फिर मौन । -कामायनी, पु. ४५। (सन्द०)। मिटकारना-कि० स० [हिं० मिटका ] २० 'भटकारना' या मिझोटी, मिझौटी-सवा स्त्री॰ [देश॰] दे॰ 'झिझौटी'। 'भटकना'। झिकझोरना-फि. स० [हिं० झकझोरना ] दे० 'झकझोरना। झिड़का-सका पी० [अनु.] दे० 'झिडकी'। उ.-महिं नहिं करप नयन ढर नोरकष कमल भमरा मिटकना-क्रि० स० [भन०1१ अवज्ञा या तिरस्कारपूर्वक झिकझोर-विद्यापति, पृ० २०४। बिगडकर कोई बात कहना। २. पलग फेंक देना । झटकना । झिकना--क्रि० म.हि. झांकता ] देखना । ताकना । उ०-- --(क्व०)।