पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२००

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जाता। मिलना मिस्सिका घरि घरि को।-प्रिया (शब्द)। ३. मग्न होना। तल्लीन मिलमिलाना-क्रि० स० १. किसी चीज को इस प्रकार हिलाना कि होना। उ.-कटयो कर चले हरि रंग माझ झिले मानी जिसमे वह रह रहकर चमके । २. हिलाना । पाना। जानी छ चूक मेरी यह हर पारिए ।-प्रिया (शब्द०)। मिलमिलाहट-सा बी.[अनु॰] झिलमिलाने की क्रिया या भाव। ४. ( कष्ट, मापत्ति पादि) भेला जाना । सहा जाना । सहन मिलमिली-सहा स्त्री० [हिं० झिलमिल ] १. एक दूसरे पर तिरछी होना । उठाया जाना। लगी हुई बहुत सी पाडी पटरियों का ढांचा जो किवाड़ों पौर मिलना-सधा पुं० [सं० झिल्ली ] झींगुर। खिड़कियो मादि में जड़ा रहता है। सहखरिया। मिलम-सा स्त्री [हि. झिलमिला] लोहे का बना हुमा एक प्रकार विशेष-ये सब पटरियां पीछे को भोर पतली लंबी लकड़ी या का झांझरीदार पहरावा जो लड़ाई के समय सिर और मुह छा में बड़ी होती हैं जिनकी सहायना से झिलमिली खोली पर पहना जाता था। एक प्रकार का लोहे का टोप या या बंद की जाती है। इसका व्यवहार बाहर से भानेवाला खोल । उ०-झलकत पावै झुड झिलम झलानि झप्यो तमकत प्रकाश और गर्द मादि रोकने के लिये अथवा इसलिये होता पावै गवाही पौ सिलाही के।-पद्माकर (शम्द०)। है कि जिसमें बाहर से भीतर का दृश्य दिखलाईन पड़े। भिलमटोप-सगा पुं० [हिं०] दे० 'झिलम'। झिलमिली के पीछे लगी हुई लकडी या छड को परा सा मिलमलित -वि० [हिं० झिलमिल+इत (प्रत्य॰)] झिलमिलाता नीचे की ओर खींचने से एक दूसरे पर पडी पटरिया मलग हुमा। कापता हुमा। मखग खड़ी हो जाती है और उन सबके बीच में इतना पव- मिलमा-सदा पु०[देश॰] एक प्रकार का पान को संयुक्त प्रांत में काश निकल पाता है जिसमें से प्रकाश या वायु मादि मच्छी तरह भा सके। होता है। कि०प्र०-उठाना।-खोलना ।-गिराना !---बढ़ाना। झिलमिल'-सचा बी. [मनु०] १कांपती हुई रोशनी। हिलता, हुमा प्रकाश । झलममाता हुपा उजाला । २ ज्योति की मस्थिरता। २. चिफ । चिलमन। ३. कान में पहनने का एक प्रकार रह रहकर प्रकाश के घटने बढ़ने की क्रिया । 30---(क) का गहना। ४ देखने या शोभा के लिये मकानों में हेरि हेरि बिल में न लीन्हो हिलमिल में रही हौं हाथ मिल बनी जाली। में प्रभा की झिलमिल में 1-पभाकर (शब्द॰) । (ख) धुंघट के मिलवाना-क्रि० स० [हि० झेलना का प्रे• रूप ] झेलने का घूमि के सु झूमके जवाहिर झिलमिख झालर को भूमि झिल काम कराना । सहन कराना। झकत पात !-पदमाकर (शब्द०)। ३. बढ़िया मलमल या मिलमिलिए-वि० [अनु० दे० 'झिलमिल'। उ०-छाँडो झिल- तनजेब की तरह का एक प्रकार का वारीक मोर मुलायम मिलि नेह, पुरुष गम राखि के।-घरम०, पृ०५२। कपडा। उ.-(क) चंदनोता जो खरदुख भारी। पांस- फिलिम्म-सचा स्त्री० [हि. झिलम ] दे० 'झिलम'। उ०-धरे पूर झिलमिस की सारी। -बायसी (शब्द०)। (ख) टोप कुडी कसे कोच मग | झिलिम्मै घटाटोप पेटी मभगं- राम भारती होन लगी है, जगमग जगमग जोति जगी है। हम्मीर०, पृ० २४ । फवन भवन रतन सिंहासन । दासम डासे झिलमिख सन । तापर राषत जगत प्रकाशन | देखत श्रधि मति प्रेम पगी। मिल्सी -सवा स्त्री० [सं०] दे० 'झिल्ली' .-मननात गोलिन है। -मनालाम (शब्द०)।@४. पक्ष में पहनने का लोहे की भनक जनु पनि धुकार झिल्लीन की ।-पद्माकर प्र०, का कवच । उ०-करन पासबीन्ह छविप्र रूप धरि पु. १२। झिलमिल इयू 1-बायसी (शम्म०)। झिल्ल-सा श्री. [सं०] नील की जाति का एक प्रकार का पौधा । इसकी छाल और फूल लाल होते हैं और पत्ते और फल बहुत मिलमिल-वि० रह रहकर धमकता हमा। झलमनाता हुमा। छोटे होते हैं। उ.-नबो किनारे में बड़ी पायो झिमिन होय । में मैनी प्रिय कबरे मिसना किस विषि होय 1-(पन्द०)। झिल्लद-वि० [हिं० झिल्ला] ( वह कपा) जिसकी बुनावट दूर दूर पर हो। पतला मोर झलरा ( कपडा ) । गफ मिलमिला-वि॰ [ मनु०] [वि० लो• झिलमिसी] १ जो गफ या का उलटा। गाढ़ा न हो। २ जिसमें बहुत से छोटे छोटे शेव हों। मझरा मिल्लन-संज्ञा स्त्री० [देश॰] वरी बुनने की करघे को वह झोना। ३ जिसमें रह रहकर हिसता हमा प्रकार निकले। कही लकडी जिसमे का चांस लगा रहता है। गुरिया। ४ झलझलाता हमा। चमकता हुमा। ५. वो बहुत स्पष्ट मिमा-वि [भन॰] [वि०सी० झिल्ली] १. पतला। बारोका २. न हो। झंझरा । जिसमे बहुत से छोटे छोटे छेद हों। मिलमिलाना--क्रि० प्र० मिनु.] १ रह रहकर चमकना। जुगजुगाना। 30---Tस नल कपर ग्रीव पुनि कठ कपोटी मिल्लिसमा बी० [सं०] १. एक बाजे का नाम । २ झींगुर । कैन ? पीक लीक जहं झिप्तमिलत सो छवि कोने मैन |--- न मिल्ली। २ चिमडा कागज । चर्मपत्र को भनेकार्य, पृ०२६।२. प्रकाश का हिलना । ज्योति का झिल्लिका-समा बी० [सं०] १ झीगुर। झिल्ली । २.झिल्ली की पस्पिर होवा । ३. प्रकाप का दिमदिमाना। झकार (को०)। ३. सूर्य का प्रकाय (को०)। ३. चमक।