पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२१७

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टका १९६३ कना जो एक तोले के बराबर होती थी। २.वि का एक पुराना उससे राम्द उत्पन्न करना। टकारना। २. ठोकर लगाना। सिक्का। टका। ३. सिक्का । मुद्रा। उ०पान कसए सोनाक ठोकर मारकर शन्य उत्पन्न करना। ३ वर्जनी या मध्यमा टका पादन क मूल ईधन विका।-कीति, पृ०६८। उंगली की कुरसी बनाकर उसकी नोक को मंगूठे से दबाकर टका-सहा . [देश॰] एक प्रकार का गन्ना या ईख । बलपूर्वक छोड़ना जिससे किसी वस्तु में जोर से कार मगे। टका'-मासी० [स० टखा १ जंधा।२ तारा देवी । ३ संपूर्ण टग-स . [सं० ] १.टोग। टंगड़ी। २ कुल्हाड़ी। . पाति की एक रागिनी जो त्रिपाल और पादि मुना युक्त कुदाल । परशु। फरसा । ४. सुहागा। ५ पार माथे की एक होती है। हनुमद के अनुसार इसका स्वरग्राम यों है-सरे तौल । ६ एक प्रकार की तलवार (को०)। गमप पनि टंग-संहा पुं० [सं० टङ्गण ] टकरण । सोहागा। टंकानक-सा (० [सं० टवानक] ब्रह्मदार । शहतूत । टगा--सहा पी० [सं० दङ्गा ] elग। पैर (को०] । टंकार-संश मौ. [सं० टद्वार] १. वह चन्द जो धनुष की कसी गिनी-सहा ली [सं० टगिनी ] पाठा। हुई होरी पर बाण रखकर सींचने से होता है। धनुष की टंधई-वि० सं०चएल, हि० चठ] १. सूमड़ा। कजुस । कृपण। फसी हुई पतचिका खींच या दानकर छोड़ने का शन्द । २. ३.नेपत्य । निष्ठुर । टनटन शब्द जो कसे हुए तार प्रादि पर उँगली मारने से टंच- टिपन ] दैयार । मुस्तैद । होता है। टेटघंट-संवा पुं० [अनु० टन टन+घंटा] पूजा पाठ का भारी ३. पातुखह पर भाघात लमने का शब्द। ठनाका । मनकार । पाडवर । घड़ी घटा प्रादि बजाकर पूजा करने का भारी ४. विस्मय । ५. कीति । नाम । प्रसिदि। ६ कोलाहस । प्रपच । मिथ्या माढवर। शोरगुल (को०)।७ अपयश । कुख्याति (को०)। क्रि०प्र०-करना।-फैलाना। टंकारना-कि० स० [सं० टवार+ना (प्रत्य०)] धनुष की डोरी खोपकर शब्द करना। पतचिका तानकर ध्वनि उत्पन्न "टंदा-सा पुं० [सं० एम(-माक्रमण) अथवा मनु० टनटन 11. करना । चिल्ला सौंपकर बजाना। उपद्रव । हलचल । दगा । फसाद । टंकारी-सका श्री. [सं० टवारी] एक पेड़ जिसकी पत्तियां संबोतरी क्रि०प्र०-मनाना। होती है। मुहा०-टदा सड़ा करना% उपद्रव करना। झगड़ा मचाना। विशेष-फूल के मेद से इसकी कई जातियां हैं। किसी में साद २. तकरारचड़ाई। फसह । फूल लगते हैं, किसी में गुलाबी और किसी में सफेद । फूल यो०---झगड़ा टंदा। गुच्छों में सगते हैं जिनके भड़ने पर छोटे छोटे फलों गुच्छ ३ मारबर । प्रपंच बखेड़ा । सटराग । लंबी चौड़ी प्रकिया। लपतेहै। यह धुप जंगलों में बहुत होता है । वैद्यक मे इसका जैसे, इस.पदा के बनाने में तो बड़ा टटा है। स्वाद कटु प्रौर गुण वात कफ का नाटक और मग्निदीपक टंडर-मक्ष पुं० [ मं. टेंडर वह कागज जिसके द्वारा कोई मनुष्य लिखा है। टकारी उदर रोग पौर विस रोग में भी दो किसी दूसरे से कुछ काम करने या कोई माल किसी नियत जाती है। घर पर देखने सरीदने का इकरार करता है। निविदा । टंकारी-वि० [सं० टसारिनु ] [वि॰सी. टारियो टंकार २. मदालत का वह माज्ञापत्र जिसके द्वारा कोई मनुष्य किसी करनेवाला । के प्रति अपना देना प्रदालत में दाखिल करे। निविदा । टकिका साथी. .रिका परपर काटने का मौजार। टंडल-संवा पुं० [पं० जेनरल हि. जडेल ] मजदूरों का मेठ टाकी। ऐनी। उ.-सुतर सुजन बन ऊस सम खसटकिका या जमादार। खान । परहित मनहित लागि सब साँसति सहत समान। टंडल-समा० [प्र.टॅटर 1 दे. "बर'। -तुलसी (पन्द०)। टंटस-संकापुं० [हिं० टटा ] दिखावटी काम्। अठा काम। टंकी'-सहा डी० [ ८] श्री राम की एक रागिनी। 30-टडस वादे जवासा । -भरनी०, पृ०४१। टकी- श्री [७० ठर (वह या गहा)]१. दीवार उठाकर टेडल-संथा. [मं. जेनरम, हि० अंडेल ] दे० 'टॉल'। बनाया इमा पानी भरने का एक छोटा सा कुड। पौवच्चा ! टंसरी-ममा सी० [7] एक प्रकार की बीणा। टांका। २. पानी भरवे का बड़ा बदन । दव । ३. तेल भरने या टॅकना-कि . [ हि० टकना का प्रक-प] १ टीका जाना । सचिठ करने का पात्र । कील धादि षड़कर जोड़ा जाना। वैसे-एक छोटी सी चिप्पी टकत-सबा . [१० टङ्कत ] टकार की ध्वनि [को०] । टेक पायगी तो यह गारा काम देने लायक हो जायगा । टंकोर- पुं० [सं० दद्वार ] दे० 'टकार11०-देखें राम पषिक संयो-नि-बाना। मापद मुक्ति मोर। मानत मनह सहित ललित घन, मनु २ सिलाई वारा जुड़ना । सिलना। सिया जाना । जैसे, फटा सुरधनु, परजनि टेकोर । तुलसी प्र०पू० ३६३ । जूता टेंकना, चकती टॅकना, गोटा टेकना। दंकोरना-त्रि०स० तु. १ धनुष को रस्सी को खींचकर संयोक्रि०-वाचा।