पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२२०

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टकसारी १९३६ २ जेपी या प्रामाणिक वस्तु । ४०-नष्ट का यह" राज है न काम को नहीं किया है या मैं इस बात को नहीं जानता। फरक बरवै क । सार यब्द टकसार है हिरदय मोहि विवेक । साफ निकल जाना । कानों पर हाथ रखना। टका सा मुंह --कबीर (शम्प.), लेकर रह जाना- छोटा सा मुंह लेकर रह जाना । सज्जित दकसारी -वि० [हिं० टकसार ] दे० 'टकसालो'। हो जाना। खिसिया जाना 1 टका सी जान-पकेला वम । टकसाल-सका बी० [सं० टनुशाला] १ वह स्थान बहाँ सिक्के एका ही जीय। (स्त्रि.)। टके ऐंठना= मनुचित रूप से मा मनाप या बाले जाते हैं। रुपए पैसे मादि बनने का कार्यालय । धूवंता से रुपया प्राप्त करना । रुपया पेंठना । १०-यों टफा सा जवाब उसको दें। जिस किसी से सदा टके ऐंठे। मुहा०-टकसाल का खोटा-नीच। दुष्ट। कमीना । कम असम मशिष्ट । टकसाल के चट्ट बट्ट = टकसाल में ढले हुए । -पोखे०, पृ००७ टके की प्रोकात == (१) साधारण वित्त विशिष्ट प्रकृति के । उ.--राज्य के अधिकारी तो वही पुरानी फा प्रादमी। गरीब मादमी। (२) मस्तित्वहीनवा) टकसाल के चट्टै बट्टे थे। -किन्नर०, पृ०२५। टकसाल उ०-हम गरी मादमी है, टके की हमारी मौकात ।- चढ़ना = (१) टकसाल में परखा जाना । सिक्के या धातु- फिसाना०, भा० ३, पु०८७ टके को न पूछना लेखमात्र खर की परीक्षा होना। (२) किसी विद्या या, कला कौशल महत्व न देना। महत्वहीन समझना । उ.-मूखों मरते में दक्ष माना जामा | पारगत माना जाना । (२) बुराई में है कोई टके को भी नहीं पूछता। फिसाना०, मा० ३, पृ. पम्पस्त होना । कुकर्म या दुष्टता में परिपक्व होना । बदमाशी ३६७ । टके कोस का दौड़नेवाला थोड़ी मजूरी पर में पक्का होना । निसंज्ज होना। टकसाल बाहर = (१) मधिक परिश्रम करनेवाला। गरीब नौकर। उ.-टके कोस (सिक्का) जो राज्य को टकसाल का न होने के कारण के दौड़नेवाले, हमको दौडने धूपने से काम है। -सैर कु, प्रामाणिक न माना जाय। जो प्रचार में न हो। (२) (वाक्य मा०१, पृ० ३१ । टके गज की चाल = मोटी पाल। किफा- या शब्द) जो प्रामाणिक न माना जाय । जिसका प्रयोग यत से निर्वाह टिके गिनना = हुक्के का गुर गुह बोलना। शिष्ट न माना जाय। ३, धन । द्रव्या रुपया पैसा। पैसे,-जब टका पास में रहेगा, २ जंची या प्रामाणिक वस्तु । असल चीज । निदोष वस्तु । तब सब सुनेंगे। ४ तीन तोले को तौल। दो मालाचाही पैठे भर की तौल । माघी छटाफ का मान । ( वैद्यक)। टकसालो-वि० [हिं० टकसाल+ई (प्रत्य॰)] १. टकसाल का। टकसाल संबंधी। २ जो टकसाल का बना हो। खरा। मुहा०-टका भर % (१) तीन तोले का परिमारण । (२) मोड़ा चोखा। पैसे, टकसाली रुपया। ३. सर्वसमत । मधिकारियो सा। जरा सा। पा विशो द्वारा अनुमोदित । माना हमा। जैसे, टकसाली ५. गढ़वाल को एक तौल जो सवा सेर के बराबर होती है। भाया। ४ जंचा हुमा । एक्का। प्रामाणिक । परीक्षित। टकाई'-वि० जी० [हिं०] दे० 'टकाही', 'टकहाई। बैसे, टकसाली बात। टकाई-सहा षी० [हिं०] दे॰ 'टकासी'। महा० टकसाली बात = पक्की बात। ठीक बात । ऐसी बात टकाउल-वि० [हिं० टका(=सिक्का) उल (= वाला) (प्रत्य॰)] जो अन्यथा न हो। टकसाली बोली= सर्वसमत भाषा। विज्ञों टकावाला। टके का । उ०-मारिणसुकोडिटकाउच हार। द्वारा अनुमोदित भाषा। शिष्ट माषा । ऐसी भाषा जिसमें -बी. रासी, पृ. ३६। प्राम्य मादि दोष न हों। टकाटकी-सा सी० [हिं०] दे० 'टकटकी' । टकसालो-सका पु० टकसाल का अधिकारी। टकसाल का मध्यक्ष। टकातोप-सभा सी० [देश ] एक प्रकार की तोप जो जहाजों पर टकहाई-वि० सी० [हि. टका ] जो टके टके पर व्यभिचार करती रहती है। -(बश०)। हो । जो वेश्यामों में नीष हो । जैसे, टकहाई ररी। टकाना-क्रि० स० [हिं० ] दे॰ 'टंकाना' । का-सा पुं० [सं० टक] १. चौदी का एक पुराना सिक्का। टकानी-सहा स्त्री० [हिटॅकना ] बैलगाड़ी का जूमा। रुपया 180-(क) रतन सेन दीरामन पीन्हा । लाख टका हा। लाख टका टकासी-सहा जो हिटका] १. टके कपए का ध्यान दो होना पाह्मन कह दीन्हा। जायसी (शब्द०) (ख) लाख टका पैसे रुपए का सूद। २ वह कर या पदा जो प्रति मनुष्य से पर झूमक सारी दे दाईको नेग ।-सूर (शब्द०)। २. तांबे पक एक टोके हिसाब से लिया जाय । का एक सिक्का जो दो पैसों के बराबर होता है। प्रपन्ना। टकाही'-वि० [हिं० टका+हो (प्रत्य॰)] दे॰ 'टकहाई'। दो पैसे। जैसे-पंधेर नगरी चौपट राजा। टके सेर भाजी टके सेर खाषा। टकाहीर-सा स्त्री० दे० 'टकासी'। मुहा०-टका पास न होना - निधन होना। दरिद्र होना । टका टको"-सा सी० [हिं० टक] दे० 'टकटको' । सा जवाब देना- (१) खट से जवाब देना। तुरत पस्वीकार टकी'-वि० [हिं० टकना ] देकी हुई। करना। किसी की प्रार्थना, यापना, मनुरोध या पाशा को तुरत टकुवा-सक्षा पुं० [सं० तकुंक, प्रा., तपकुम] १. एक प्रकारका भस्वीकार करना । साफ इनकार करना । कोरा जवाब देना। सूमा जो घरखे में लगा रहा है। तकला। २. बिनोसा जैसे,—मैंने दो दिन के लिये उनसे घोड़ा मांगा तो उन्होंने निकालने की परखी में लगा हुमा लोहे का एक पुरषा । ३. टका सा जवाब दे दिया । (२) साफ जवान देना कि मैंने इस छोटे तराजु या काटे के पलड़ो में बंधा हमावागा।