पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२२१

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टकली' टक्कर कुली'-सबा स्त्री॰ [देश॰] हिमालय की तराई में होनेवाला एक ऐसा पैर जिसकी पत्तियां भर जाया करती हैं। पोट सिरीस । टकली-सबा सी-से० टङ्क] १. पत्थर काटने का भौषार । २. पेचकर की तरह लोहे का एक प्रौषार बो नक्काशी बनाने के काम में पाता है। टकुवा-सा . [ संतकुंक, प्रा० तक्कुम] दे० 'कुमा' । उ.- टिकली सेंदुर टकुवा चरखा दासी ने फरमाया। -कीर०, शा, था.४,१०२५) टकचना-क्रि० स० [हि. टोकना ] खाना 1-(दलाल)। टकैट'-वि० हि ] दे० 'टके'। टकैव-विहि . टका+ऐव (प्रत्यय)] १ टकेवाला। रुपए सेवाला । धनी । २. कम हैसियत या पोटी पूजीवाला। किया--वि० [हिं० टका+या (प्रत्यय)]१.टका । टहै- वाधा २ तुच्छ । साधारण । टकोर--संशमी-सं० टमार].१. हलकी पोट । प्रहार । भाषा । ठेस । थपेड। क्रि० प्र०-देना। २ की चोट । नगादेपर का प्राघात। ३. हके का शब्द । नगारेकी पावाज । ४ धनुप की डोरी वोपने का शब्द । टकार। ५. दवा भरी हुई गरम पोटली को किसी मग पर रखकर छुलाने की क्रिया। सेंकदातों को यह टीस जो किसी वस्तु के खाने से होती है। दांतों के गुठले होने का भाव । चमका क्रि० प्र०-लगना। ७. भाल। परपराहट । उ.---कवहूँ कौर खात मिरचन की नगी दसन टकोर-सूर (शब्द॰) । क्रि० प्र०-लगना। टकोरना-शि०४० [हि. टकोर से नामिक पातु, ठोकर खगाना। हलका पाघात पहुँचाना । ठेस या थपड़ मारना । २रके पादि पर चोटे बगाना पकाना। ३ वा भरी हो किसी गरम पोटली को किसी प्रग पर रह रहकर छुलाना। सेंकना । सेन करना। टकोरा-एमा पु० [सं० टारफे की चोट । नौबत की पावाप। टकोना--सबा पुं० [हिं० टका+भोवा (प्रत्य.)] दे. 'टका'। टकौरीसह स्रो० [मेट सोना मादितौलने का छोटा सराजू । छोटा कोटा| २ दे. 'टकासी'! टक्क- पु० [सं०] १ जुस व्यक्ति । कृपण। २ वाहीक जातीय व्यक्ति [को० ॥ टक्कदेश-सा ० [.बना मोर पास के बीच प्रदेश का प्राचीन नाम । विशेष-~-राजरतगिरणी में टक्क देश को गुर्जर (गुमरात) राज्य के पतगंत लिखा है। टक्क जाति किसी समय मे भत्यत प्रताप- शालिनी पी और सारे पजान में राज्य करती थी। धोनी यात्री हुएनसांग ने टक राज्य तथा उसके प्रषिपति मिहिरकुत का उल्लेख किया है। मिहिरकुल का हूण होना इतिहासों में प्रसिद्ध है। ये हूण पंजार और राजपूताने में बस गए ये। यशोधर्मन् द्वारा मिहिरकुल के पराजित होने ( ५२८ ईसवी) के ७० वर्ष पीछे हर्षवर्धन राजसिंहासन पर बैठे थे जिनके राजत्वकाल मे हुएनसांग पाया था। टक्क घायद हण जाति की हो कोई शाखा रही हो। टव कदेशीय-वि० [सं०] टक्फदेय का। टगक देश में उत्पन्न । टक्कदेशीयः- पु. बयुमा नाम का साग। टक्कवाई-सश श्री. [हिं० टक+बाई ] एक प्रकार का बात- . रोग जिसमे रोगी का शरीर सुन्न हो जाता है और वह टक साधकर ताकता रहता है। टक्कर-संशश्री [अनु० ठक [१. वह माघात जो दो वस्तुओं वेग साप मिलने या जाने से लगता है। दो वस्तुओं के मिलने का धक्का । ठोकर। क्रि०प्र०--सगना। मुहा० टक्कर खाना-१. किसी कड़ी वस्तु के साथ इतने वेप से मिड़ना या जाना कि पहरा मापात पहूंचे। जैसे,-बट्टान से टक्कर खाकर नाव पूर पुर हो गई। २. मारा मारा फिरना । जैसे,-नौकरी छूट पाने से वह इधर उधर टककरे साता फिरता है। २ भुकाविला। मुठमेडी भिड़त लड़ाई। जैसे,-दिन भर में दोनों की पक टक्कर हो जाती है। मुहा०-टक्कर का जोड का। मुकाविले का। बराबरीका। समान । तुल्य ! जैसे,-उनकी टक्कर का विद्वान यहां कोई नहीं है। टक्कर खाना-(१)मुकाविला करना । समुख होना। लड़ना । भिड़ना। (२) मुकाविले का होना । समान होना। तुल्य होना । 7.-- इस टोपी का काम सच्चे फाम से टक्कर खाता है। टक्कर लड़ना=बराबरी होना। समानता होना। उ.---इस ठास से रहती है कि मच्छी मच्छी रईस जातियों से टक्कर लड़े।-फिसाना, भा० ३, १० ११ टक्कर मेना- वार सहना । पोट सहारना । मुकाबिला करना। पड़ना। मिहना । पक्षार से टक्कर लेना-पहेमारी शत्रु से भिड़ना। अपने से पषिक सामथ्र्यवाले शत्रु से पहना। ३ जोर से सिर मारने का धक्का। किसी कड़ी वस्तु पर माषा मारने या पटकने का प्राघात । क्रि० प्र०-गाना। मुहा० टक्कर मारना - (१) मापात पहुंचाने के लिये जोर से सिर मारना या पटकना । सिर से घनका लगाना । (२) मापा मारना। हैरान होना। घोर परिश्रम भौर उद्योग करना। ऐसा प्रयल करना जिसका फल शीघ्र न दिखाई है। जैसे,-लाख टक्कर मारी मद वह तुम्हारे हाप नहीं भा। टनकर, लड़ना-दूसरे के सिर पर सिर मारकर लड़ता। माथे से मापा भिडाना । जैसे,-~दोनों मेरे लब टक्कर सड़ रहे हैं। टक्कर लड़ाना-मिर से धक्का मारना।