पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२२३

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टटावलो टट्टी टटावली-सहा सी० [सं० टिट्टभावली ] टिटिहरी नाम की चिड़िया। ४ पौष या परीक्षा करना । परखना। पाजमाना । जैसे,- कुररी। (क) हम उसे खूब टटोस धुके हैं, उसमें कुछ विशेष विद्या टटिया-सक्षा स्त्री० [हिं० ] दे० 'टट्टी' उ०-देखत फछु कौतिगु गहीं है । (ख) मैंने तो सिर्फ तुम्हें टटोलने के लिये रुपए इते देखी नैक निहारि। कब की इकटक उटि रही टटिया मांगे थे, रुपए मेरे पास है। मंगुरिनु फारि।-बिहारी र०, दो० ६३४ । टटोहना -क्रि० स० [हि टोहना ] दे० 'टटोलना। टटियाना-कि.. हि. ठठ] सूख जाना। सूखकर पकड़ टड़ा-सा पुं० [हिं०] दे० 'टट्टर। जाना। टट्टनी-मशा स्त्री० [सं०] छिपकली। टीवा-सशा० [ मनु घिरनी। चक्कर। ०-खेचू तो मावै टर-संघा पुस-तट(-ऊँचा किनारा)मा ७० स्थात(=जो सड़ा नहीं जो छोउ'तो जाय । कवीर मन पूछ रे प्रान टटौवा खाय। हो)] बांस की फट्रियों, सरकडों आदि को परस्पर जोड़कर ---कबीर (शब्द०)। बनाया हुमा ढाँचा । जैसे,—(क) कुता टट्टर खोलकर झोपड़े क्रि० प्र०--खाना में घुस गया । (ख) टट्टर खोलो निखट्ट, माए। (कहावत)। टटीरो-सहा सीहि .1 दे० 'टिटिहरी'। उ-चीरती, ज्यों मुहा०-ट्टर देना या लगाना- टट्टर बंद करना। वेदना का ठीर, संबी टटीरी की माह ।-इत्यवम् प० २१६। दरी-समा स्त्री [0] १. ढोल का शब्द । नगाड़े मादि का शम्द। टुमा-चबा पुं० [हिं.] दे० 'द्र'। उ०-ताफ धागे माइक २ संबी पौड़ी बात । ३. धुहलबाजी। ठट्ठा। ४. झूठ (को०)। टुमा फेर बाल ।-सुंदर. ५०, मा०२,पु०७३७ । दा-सबा पुं० [सं० तट (= ऊंचा किनारा) या सं० स्पावा (जो टदुई–सश क्षी० [हिं० टट्ट.] मादा टट्टू । खा हो)] [स्त्री० टट्टी] १. वांस की फट्टियों का परवा टुवा--प्रथा पुं० [हिं० टटू ] दे॰ 'टद'। 10--फाहे का या पल्ला । टट्टर। बड़ी टट्टी। २ लकड़ी का पल्ला। बिना टटुवा काहे क पाखर काहे क भरी गौनियाँ-कबीर स०, पुश्तवान का तख्ता । ३ पंडकोश । -(पंजापी)। भा० १, पृ.२२ ॥ टट्टी-सश स्त्री-[सं० तटो ( पा किनारा) या संस्थाची टोना--क्रि० स० [हिं० दे० 'टटोलना'। (=जो खड़ी हो)].बस की फट्रिपों, सरको माविको ददोरना-शि. स० [हिं० टटोलना] दे० 'टटोलना। 5-- परस्पर पोसफर बनाया हंपा ढाचा जो पाइ, रोक या रक्षा कबहूँ कमला आपला पाइ के टेढ़े टेढे जात । कबहुँक मग पग के लिये परवाजे, बरामदे अथवा और किसी सुले स्थान धूरि टटोरत मोजन को विलखात ।-सुर (शब्द०)। में लगाया जाता है। बांस की फट्टियों मादिका पना पल्ला टटोल-संघा स्री० [हिं० टटोलना] टटोलने का भाव । उँगलियों जो परये, किवाद या छाजन यादि का काम दे। से, बस सेलू या दवाकर मालूम करने का भाव या क्रिया | गूढ़ स्पर्थ । की टट्टी। कि० प्र०-सगाना। टटोलना-कि. २० [सं० त्यक् + तोलन (=पदाज करना)] 1 मालूम करने के लिये उँगलियों से छूना या दवाना। किसी मुहा०-ट्टी की प्राइ (या-मोट) से शिकार सेसना=(१) वस्तु के तल को अवस्था प्रथवा उसको फड़ाई प्रादि जानने किसी के विरुद्ध छिपकर कोई पाल चलना। किसी के विरुव के लिये नसपर उँगलिया फेरना या गढ़ाना । गूढ़ संस्पर्श गुप्त रूप से कोई काररवाई करना। (२) छिपाकर बुरा काम करना । जैसे,-ये पाम पके हैं, टटोलफर देख लो। करना । लोगों की रष्टि पपाकर कोई मनुचित कार्य करना। टट्टीका शीपा पतले दन काबीया। टट्टी में शेर करना- संयो० मिलेना ।-डालना। किसी की बुराई करने में किसी प्रकार का परवा म रखना। २.फिगी नस्तु को पाने के लिये इधर उधर हाथ फेरना । ढूढने प्रकट प से कुकर्म करता । खुल खेलना । निर्मज्ज हो जाना। या पता लगाने के लिये पर उपर हाथ रखना। वैसे,- लोकलज्जा छोड़ देना। टट्टी लपाना-3 (1) मार करता। () अंधेरे मे श्या टटोलते हो! रुपया गिरा होगा तो सबेरे परदा सा करना । (२) किसी सामने भीड़ समाना। मिल जायगा। (ख) यह मघा टटोलता हुमा अपने घर तक किसी के भागे इस प्रकार पक्ति में सा होना कि उसका पहुँच पाया। (ग) घर के कोने टटोल शले कही पुस्तक का सामना रुक जाय । जैसे,--यही क्या दट्टी मगा रखी है, क्या पक्षान लगा। कोई तमाण हो रहा है। पोसे की टट्टी (1) टट्टी संयो० क्रि--डायना। जिसकी माह में शिकारी, शिकार पर वार करते है। (२) ३. किसी से कुछ बातचीत करके उसके विचार या प्राशय का इस ऐसी वस्तु जिसे ऊपर से देखने से उसके होनेवाली बुराई का प्रकार पता लगाना कि उसे मालूम न हो। बातों में किसी के पत्ता न चले। ऐसी वस्तु यह बात जिसके कारण लोग धोखा हृन्य से भाष का पदाज लेना । थाह लेना । यहाना । जैसे- खाकर हानि उठा। जैसे, उसकी दुकान वगैरह वा पोधे तुम भी उसे टटोलो कि वह कहाँ तक देने के लिये तैयार है। की टट्टी ले भूमकर भी रुपयान देना। (३) ऐसी वस्त मुहा०-मन टटोलना - हृदय के माव का पता लगाना । जो कपर से देखने में सुपर जान पड़े, पर काम देनेवालीन ४-२७ संयोन बोलिये