पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२२४

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टट्टी संप्रदाय टप हो। चटपट दुट या विगह जानेवाली वस्तु । काजू मोजू चीज। टनमन-वि० [हिं० टनमना] दे० 'टनमना'। २.चिक । चिलमन। ३. पतली दीवार जो परदे के लिये खड़ी टनमना-वि० सं० तन्मनस् ] जो सुस्त न हो। जिसकी चेष्टा मद की जाती है।४ पाखाना। न हो। जिसकी सबीयत हरी हो । जो शिपिर न हो। स्वस्थ । क्रि० प्र०-जाना। चंगा।'भनमना' का उमटा। ५ पूनवारी फा तस्ता पो परातों में निकलता है। ६ बसि टनमनाना-पि .हि. टनमना+ना (प्रत्य॰)].. तबीयत की फट्टियों प्रावि की बनी हुई वह दीवार पर छाजन जिस- हरी होना । स्वस्थ होना । २ कुलबुलाना । टलमनाना। पर भगूर मादि की वेलें चढ़ाई जाती है। टना-सञ्ज्ञा पुं० [१० तु] [लो पल्पा० टनी ] . स्त्रियों की टट्टी संप्रदाय-सा पुं० [हिं० टट्टी+सप्रदाय ] एक पामिक वैष्णव योनि में 'निकलाहमा वह मांस का टुकड़ा जो दोनो किनारों सप्रदाय जिसके संस्थापक स्वामी हरिदास जी हैं। के बीच में होता है।२ योनि । भग। टहर- सज्ञा पुं० [सं०] भेरी का शब्द । टनाका-सा पुं० [पनु० टन ] घटा अपने का पन्न। टट्ट-सहा पृ० [ मनु०] [ वि० टटुपानी, टटुई] १ छोटे कद का टनाका-वि०बहुत कड़ी (धूप)। माथा टनकानेवाली (धूप)। घोड़ा टागन। टनाटन'-सा श्री० [ मनु.] चपातार घटा बजने का पद। मुहा०-टट्ट पार होना- वेळा पार होना। काम निकल जाना। टनादन-कि० वि० १ भला। चगा। २. मच्छी हालत में। प्रयोजन सिद्ध हो जाना। भारे का टठद् = रुपया लेकर दूसरे की मोर से कोई काम करनेवाला । २. लिंगेत्रिय' ।-(पाजारू) पढ़िया। क्रि० प्र०-होना। मुहा०-टटू मडकना-कामोद्दीपन होना । टनी-सका स्त्री० [हिं०] दे० 'टना'। दठिया-सा बी० [हिं०] ३० 'टाठी'। टनेल--सक्षा पुं० [40] सुरंग खोदकर बनाया हुमा मार्ग । पैसा रास्ता टठियार-सहा स्त्री . [ देश० ] एक प्रकार की भांग । जो जमीन या किसी पहाइ भादि के नीचे होकर गया हो। टदिया-सका सी० [सं० वाट ] पाँव में पहनने का एक गहना षो टन्नाका'--सभा पुं० [हिं० टनाका ] दे० 'टनाका'। भनत के भाकार का पर उससे मोटा मोर बिना धुडी का होता है। टोमा टन्नाका--वि० दे० 'टनाका'। टण-सक पुं० [हिं०] दे० 'टना'। टन्नाना-क्रि० स० [हिं० टनटनटनटन की पावाज करना । टनटन की ध्वनि उत्पन्न होना। टन-सहा स्त्री॰ [ अनु० ] घंटा वजने का शब्द । किसी घातु खंड पर पाघात पड़ने से उत्पन्न ध्वनि । टनकार। झनकार। टन्नाना-कि० अ० [हिं० ] बिगड़ना। नाराज होना । बझझक जैसे,-टन से घटा बोला। करना। निरोष खटपट' प्रावि टो समान इस का प्रयोग टप-सक्षा ली.[हिं० टोप, तोपभाच्छादन, बैस, घटाटोप)] भी पधिकतर 'से' विपक्ति के साथ कि.वि. बत् ही होता है। १ जोड़ी, फिटन, टमटम या इसी प्रकार की पौर सुप्ली पत इसका लिंग पतमा निश्चित नहीं। गाड़ियों का मोहार या सायवान जो इच्छानुसार चढ़ाया पा मुहा०-टन हो पाना = घटपट मर जाना। गिराया जा सकता है। कजंदरा। २. भटकानेवाले नपके ऊपर की छतरी। टन-सा [.] एक प्रप्रेजी तौल जो भट्ठाईस मन के अगभग होती है। टप-10 पु० [अ० टब ] ना के प्राकार फा पानी रखने का खुला बरतना टोका। टनकना-कि० अ० [अनु० टन ] । टनटन अषना। २ धूप या गरमी लगने के कारण सिर में दर्द होना। रह रहकर पाघात टप-समई० [अ० ट्यूम ] जहाजों की गति का पता भगाने का पहरे की सौ पोश देना । जैसे, माथा टनकना। एक पौधार -(मरा०)। टनकारहु-सा स्त्रो० हि० टन ] दे॰ 'टंकार'। उ०-कड़ी टप.-सक्षा पुं० [हिं० ठप्पा] एक भौजार जिससे विवरी का पेच कमान अव ऐठि के संचिया, तीन बेर टनकार महज टका।- धुमावदार बनाया जाता है। कीरा, मा०४, १० १३ । टप-सहा सी[मनु.] 1 वूद वूध टपकने का प्राद। १०-- टनटन-सज्ञा स्त्री० [ मनु० टन ] घटा बजने का शब्द । ( क ) परत श्रम द टप टपकि मानन थान भई बेहाष क्रि०प्र.- करता। होना। रति मोह मारी!-सूर (शब्द)। (ख) प्यारी दिनु कठा न कारो रेन । टप टप टपक्त दुख भरे नैन ।-हरिश्चन्द्र टनटनाना-कि० स० [हिं० टनटन से नामिक धातु ] घटा पजाना । किसी धातु खंड पर प्राधात करके उसमे से 'टनटन' यौ०-- टपे। शब्द निकालना। २ किसी वस्तु के एकबारगी ऊपर से गिर पड़ने का शब्द । टनटनाना- कि० मा टनटन वजना। जैसे-आमे टप से टपक पड़ा। उनमन-ममा पु० सं० तन्त्र मन्त्र] तम मत्र । टोना । जाद। यौ--टप टप।