पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर भाग ४.pdf/२३७

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गबादशी टिकटिको टाबादलीश बी. [हिं० टालना ] टालटुल । उ.-टाला- छोटे खरबूजे के बराबर गोम फल लगते हैं। इन फों की दुली दिन गया, ब्याज बढ़ता जाय 1-कबीर सा०, पृ०७५। तरकारी बनती है । इसी । डेंड्सी। "शालिमाल-वि० [हिं० टालना ?] चुने हए। चुनिदा । उ.--विणि हिंरिश- स टिरियटिसाडसी।सी। मई मेस्मा टालिमा, बांकड मुहाँ विहंग ।--ढोला०, दू० २२७॥ हिंदी-सा श्री[देश01.लको पकडकर दबानेवाली मुठिया। टाली-सहा की. [ देश०१ गाय बैल मादि के गले में बांधने २ जाता घुमाने का खूटा। की घंटी। २. जवान गाय पा वधिया जो तीन वर्ष से कम । दिक-संशा पुं० [?] टिक्कर । लिट । ठोकवा । पूमा । की हो और. बहुत चंपल हो। २०-पाई पाई है भया । कर व में टाली। प्रब के अपनी घट ही परावर जैहें टिकईश सी. [ देरा०] १. टीकेवाली गाय । वह गाय जिसके हटकी घाली ।-सूर (शब्द०)। ३ एक प्रकार का बाजा) माये पर सफेद टीका हो। २. एक छोटी चिड़िया जो वासों ४.पठन्नी भाषा रुपया । धेनी । -(दलाल)। में उतरती है और जाड़ा बीतने पर बाहर चली जाती है। टाली-संवा पु० दे० एक प्रकार का शीशम जिसके पेट पंजाब टिकट-मम पुं० [मंटिकेट] १. वह कागज का टुकड़ा जो किसी में बहुत होते हैं। प्रकार का महसूल, भाडा, कर'या फीस चुकानेवाले को दिया विशेष-इस होर की साड़ी मूरी और बहुत मजबूत होती हैं। जाय भोर जिसमें पारा वह कहीमा जा सके या कोई काम मह इमारतों में लगी है वषा गायी, खेती के सामान प्रादि कर सके। जैसे, रेल का टिकट, शक का टिकट, थिएटर बनाने के काम में माती है। का टिकट । २.कहीं प्राने पाने या कोई काम करने के लिये अधिकारपत्र। ३. संसद या विधानसभा या नगरपालिका टावर-संह पुं० [.] १. लाट। मीनार । बुर्ज। २. के चुनाव के लिये किसी प्रत्याशी को दलक्वेिष के प्रतिनिधि किला। कोट। करूप में चुनाव लडने के लिये दिया जानेवासा पषिकार या टाइली-संहा. [हि. हत्त ] टहल करनेवाला। टहलुपा। स्वीकृति । ४. वह कर, फीस या महसूल जो किसी काम दास । सेवक सिदमतगार | 10-कादर को भादर काहू के के करनेवालों पर लगाया जाय। जैसे, स्नान का टिकट, मेले नाहि देखियत सबनि सोहात है सेवा सुजान टाहली ।- का टिकट ।। तुलसी (शब्द॰) । मुहा०-टिकट लगाना-महसुस लगाना । कर नियत करना। टोहली -सा भी.हि.टाहली ] टहलुई। नौकरानी । 30--- टिकटघर-संश पुं० [प.टिकट+ हिं० घर वह स्थान मा कमरा पनि समारो टाहली, चोवा घदन मंग महाई।-बी० रासो, पहाँ टिकट विकता है। टिंग-सबा श्री दश टिकठिक-समालो.[ मनु.] १ घोडों को होकने के लिये मुंह से स्त्री की योनि । भग ।-(पशिष्ट) किया हमा शब्द । २. घड़ी में बोलने का शब्द । टिंचर-संश[म. टिकवर 1 किसी प्रौषध का सार जो स्पिरिट . टिकटिकी-समा स्त्री.हि.टिकठी] १. तीन तिरछी खडी की के योग से तरल रूप में बनाया जाता है। हुई लकड़ियों का एक ढाचा जिससे अपराधियों के हाथ पैर टिपर प्रायोडीन-संवा प्र.टिक्चर प्रायोजन ] सूजन आदि चौपकर उनके शरीर पर बैत मा कोसे लगाए जाते हैं। ऊँची पर लगाने के लिये भायोदिन मौर स्पिरिट मोदि का घोल । तिपाई जिसपर अपराधियों को खड़ा करके उनके गले में टिंचर गोपियाई-सबा पुं० [मं. टिंक्चर पोपियाई अफीम फांसी लगाते हैं। टिकठो। २. ऊँची तिपाई। टिकठी। मौर स्पिरिट मादि का घोल । महा०-टिकटिकी पर खड़ा करना लडई में न हटनेवाले चोट टिंचर कार्डिमम-सबा 14. टिंक्चर काटिमम] इलायची "खाकर मरे हुए मुरगे को तीन लकड़ियों पर खड़ा करना। का प्रक विशेष---मुरगों की लड़ाई में जब कोई वहादुर मुरगा लडते ही दिघर स्टील-सा पु . टिनचर स्टील फोलार भाविका लड़ते पोट खाकर मर जाता है और मरते दम तक नही सिरिट में बनाया हुमा घोस । हटता है, तब उसके शरीर को तीन लकड़ियों पर खड़ा कर टिटिनिका-सशकी. .टिपिटनिका] १.जल सिरीस का पेड़। देते हैं। यदि दुसरा मुरगा लात मारकर उसे सकड़ी के नीचे प्रशिरीपिका । दादौन । २.जोंक। गिरा देता है तो उसकी बात समझो पाती है और यदि वह टिर-सक टिएिच11.ककडी को जाति की एक बेल किसी पोर तरफ चला जाता हैं तो मरे हुए मुरगे को जीत विसमें गोल गोल फल लगते हैं। इन फलों की तरकारी समझी जाती है। बनतीती । सी। २. रहट में लगा हुमा बरतन टिकटिकी-संशा [ देश० ] पाठ नौ अगुल संगी एक चिडिया जिसमें पानी भरकर पाता है। उम्मू। जिसका रंग भुरा मोर पैर कुछ लाली सिए होते है। टिसर-सक पुं० [सं०टिएड(डेडसी) रहट में लगी हुई हंडिया। विशेष-जाड़े में यह सारे भारतवर्ष में देखी जाती है मोर प्रायः टिसी-सक्षोसटिरिब टिड नाम को तरकारी उसी। जसाचयों के किनारे झाड़ियों में घोंसला बनाती है। यह एक दिसामा पु०० दिएच को की जातिको एक बेल जिसमें बार में पार पडे देती है।